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Deload Week : फिटनेस फ्रीक्स के लिए भी जरूरी है डिलोड वीक, जानिए कब होती है इसकी जरूरत

फिट रहने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है। इसके लिए सिर्फ डाइट और वर्कआउट करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि वर्कआउट से ब्रेक लेना भी जरूरी है। फिटनेस जर्नी के दौरान डिलोड वीक फॉलो करना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कब और क्यों लेना चाहिए डिलोड वीक?
Updated On: 21 Mar 2025, 11:41 am IST
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Heart health ka kaise rakhein khayal
रोजाना चलने से आपका हार्ट स्वस्थ रहता है। चित्र ; अडॉबीस्टॉक

अगर आप फिट होना चाहती हैं या फिट होने के बारे में सोच रही हैं, तो इसके लिए आप सबसे पहले डाइट करना और वर्कआउट करना शुरू कर दें। बहुत लोग इसके लिए ज्यादा से ज्यादा वर्कआउट करने लगते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। हर 5 से 8 हफ्ते में जिम या वर्कआउट से थोड़ी दूरी (Deload week benefits) बनाना बेहद जरूरी है। ‘इसे डिलोड वीक’ के नाम से जाना जाता है। इसे करने से मांसपेशियों को रिकवरी करने का समय मिल जाता है। इससे आपकी फिटनेस बेहतर होती है।

 

डॉ. त्रेहन प्रशांत कंसल्टेंट जनरल मेडिसिन छत्रपति शिवाजी सुभारती हॉस्पिटल मेरठ बताते हैं कि, Deload Week एक ऐसा हफ्ता होता है जब हम अपने वर्कआउट की इंटेंसिटी या वजन को कम कर देते हैं ताकि शरीर को आराम और रिकवरी का समय मिल सके। यह उन लोगों के लिए जरूरी होता है जो नियमित रूप से भारी वर्कआउट करते हैं, क्योंकि लगातार मेहनत से मसल्स, हड्डियों और नर्वस सिस्टम पर दबाव बढ़ता है, जिससे थकान, चोट और कमजोरी आ सकती है। अगर आप बहुत ज्यादा थकान महसूस कर रहे हैं, शरीर में दर्द हो रहा है, या वर्कआउट में परफॉर्मेंस कम हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपको Deload Week की जरूरत है। इस दौरान आप हल्का वर्कआउट कर सकते हैं, जैसे कम वजन उठाना, कम सेट और रेप्स करना, या योग और स्ट्रेचिंग जैसी एक्टिव रिकवरी पर ध्यान देना। इससे शरीर को खुद को ठीक करने और फिर से ताकत पाने में मदद मिलती है, जिससे आप अगली बार और बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं। आमतौर पर हर 4 से 8 हफ्ते में एक बार Deload Week लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह आपकी फिटनेस लेवल और ट्रेनिंग की तीव्रता पर निर्भर करता है। यह एक स्मार्ट तरीका है जिससे आप बिना चोट खाए लंबे समय तक फिट और एक्टिव रह सकते हैं।

क्या है डिलोड वीक? (What is deload week?)

डिलोड वीक में वर्कआउट या जिम को पूरी तरह बंद नहीं किया जाता, बल्कि इस वीक में वर्कआउट की तीव्रता कम कर दी जाती है। ये खासतौर पर उन लोगों के लिए बेहद जरूरी होता है जो भारी वजन उठाते हैं और ज्यादा कसरत करते हैं। हैवी ट्रेनिंग के दौरान डिलोड वीक (Deload week benefits) लेना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

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महिलाएं अपने स्वास्थ्य को अधिक गंभीरता से लें। चित्र:शटरस्टॉक

क्या जरूरी है डिलोड वीक? (Is deload week necessary?)

ट्रेनिंग के दौरान शरीर की थकान और डैमेज से रिकवर होने का समय देना बेहद जरूरी है, जो कि ज्यादा वर्कआउट के कारण होती है। डॉ. त्रेहन प्रशांत कहते हैं कि ज्यादा वर्कआउट के कारण हमारे मसल्स के टिशूज डैमेज हो जाते हैं, लेकिन फिटनेस के लिए डिलोड वीक (Deload week benefits) लेना बेहद जरूरी हो जाता है। ऐसे में शरीर को रिकवर होने के लिए थोड़ा समय देना चाहिए। ज्यादा ट्रेनिंग के कारण मांसपेशियों में छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं, जिन्हें ठीक होने के लिए समय की जरूरत होती है। लगातार ज्यादा वर्कआउट करने के बाद आराम करने से मसल्स ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं। लगातार ट्रेनिंग करने से शरीर पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या हो अगर न लें डिलोड वीक? (What happens if you don’t take a deload week?)

ज्यादा वर्कआउट या ट्रेनिंग करने के कारण मसल्स में हल्की दरारें पड़ जाती हैं और मसल्स में दर्द और ये थोड़े अव्यवस्थित हो जाते हैं। यही कारण है कि मसल्स टिशूज में सूजन की समस्या हो जाती है, जिसे सही होने के लिए समय चाहिए होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि बेहतर फिटनेस के लिए वर्कआउट के कारण मसल्स में होने वाली सूजन जरूरी होती है, लेकिन पर्याप्त आराम न करके आप इन मसल्स को हमेशा के लिए डैमेज अवस्था में पहुंचा देते हैं। यही वजह है कि आपको डिलोड वीक लेना बेहद जरूरी होता है।

ज्यादा ट्रेनिंग नुकसान न पहुंचा दे (Too much training may not harm you)

जिम से प्यार करने वालों के लिए यह मानना मुश्किल है कि वो वर्कआउट से ऑफ कैसे ले सकते हैं। उन्हें ये लगता है कि कहीं ऐसा करने के कारण उनकी फिटनेस खराब न हो जाए। लेकिन ऐसा नहीं है। मसल्स में मौजूद जीन्स सारी एक्टविटीज का पता रखते हैं। यही वजह है कि जब आप ब्रेक के बाद तेज वर्कआउट करते हैं, तो मसल्स ज्यादा बेहतर होती है और आराम के बाद मसल्स की ग्रोथ भी ज्यादा अच्छी होती है।

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पूरा आराम नहीं करना है (Do not take complete rest)

इसका मतलब ये नहीं है कि आप डिलोड वीक (Deload week benefits) में वर्कआउट से पूरी तरह ब्रेक ले रहे हैं, ये रेस्ट नहीं है ये इससे अलग चीज है। रेस्ट में आप कोई भी एक्सरसाइज नहीं करते या फिर हफ्ते में एक दो बार हल्की एक्सरसाइज करते हैं। जबकि डिलोड वीक में ट्रेनिंग होती है, लेकिन पहले से उसकी तीव्रता कम हो जाती है। आप आमतौर पर जिस तरह की वर्कआउट करते हैं, तो डिलोड वीक में 40-50% तक वर्कआउट रहता है या उसकी तीव्रता को लगभग 20% तक कम कर दिया जाता है।

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हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज आपके शरीर की चर्बी को कम करने में मदद करती है। चित्र : शटरस्टॉक

कैसे जानें डिलोड वीक को शामिल करना है (How to know when to incorporate a deload week)

डॉ. प्रशांत कहते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान हर 6 से 8 हफ्ते में डिलोड वीक को शामिल करना चाहिए। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपकी परफॉर्मेंस पहले से कम हो गई है या फिर पहले से खराब हो गई है। तो समझ जाइए की अब डिलोड वीक का समय आ गया है।

अगर ये लक्षण नजर आएं (If these symptoms appear)

अगर आपको इस तरह के लक्षण नजर आने लगे तो डिलोड वीक शामिल करने का समय आ गया है।

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  • अगर आपको कमजोरी महसूस होने लगे।
  • आपके जोड़ों और मसल्स में सूजन आजाए तो।
  • अगर आप हैवी वेट नहीं उठा पा रही हैं तो।
  • आपका वर्कआउट करने का मन ना हो रहा है तो आप डिलोड वीक ले सकती हैं।
  • आपको ज्यादा थकान लग रही है तो आप डिलोड वीक ले सकती हैं।

अगर आप जिम में नए हैं (If you are new to the gym)

आज कल लगभग हर किसी को फिट रहने का शौक होता है। हर किसी का फिट होने का लेवल अलग होता है। कम तीव्रता और कम अनुभव वाले लोग बिना डिलोड वीक के लंबे समय तक वर्कआउट (Deload week benefits) करते हैं। लेकिन ज्यादा तीव्रता वाले वर्कआउट करने वालों को इसकी जरूरत होती है। अगर आपने अभी जिम जाना शुरू किया है, तो आप इस डिलोड को अपने वर्कआउट में शामिल कर सकते हैं।हैवी वर्कआउट के 4-8 हफ्तों के बाद 1 डिलोड वीक लें।

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लेखक के बारे में
रूबी शुक्ला
रूबी शुक्ला

रूबी शुक्ला युवा हिंदी कंटेट क्रिएटर हैं। वे स्किन केयर, हेयर केयर, हेल्दी लाइफस्टाइल और पारंपरिक उपचार पद्धति के बारे में लिखती हैं।

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