Belly Fat : पेट की जिद्दी चर्बी से छुटकारा पाना है, तो सबसे पहले इन 7 चीजों पर लगानी होगी लगाम

किसी जिम की मेंबरशिप, कोई भी डाइट प्लान या डिटॉक्स वॉटर आपके पेट पर जमी जिद्ददी चर्बी को कम नहीं कर सकता, जब तक आपके लाइफस्टाइल में बेली फैट बढ़ाने वाली ये चीजें शामिल हैं।
सभी चित्र देखे Belly fat ko kum karein
नींद की कमी से उच्च कोर्टिसोल के साथ उच्च इंसुलिन शरीर की संरचना में कई तरह के बदलाव ला सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 6 Feb 2024, 18:30 pm IST
  • 123

आज के समय में बेली फैट एक कॉमन समस्या बन चुका है। बॉडी में बढ़ती चर्बी सबसे पहले पेट के हिस्से के आसपास नजर आती है, और इन्हे बर्न करना सबसे मुश्किल होता है। बेली फैट को बर्न करने में बहुत समय लगता है। इसे कम करने को लेकर लोग काफी चिंतित रहते हैं, और तरह-तरह के नुस्खे ढूंढते रहते हैं। पर क्या आपमें से किसी ने इसका कारण जानने की कोशिश की है? यदि किसी चीज का कारण पता हो, तो उन पर नियंत्रण पाना आसान हो जाता है।

सबसे जरूरी है बेली फैट बढ़ने के कारणों को समझना (Causes of belly fat), ताकि आप उन्हे न दोहराएं और बेली फैट कंट्रोल रहे। बिना कारण जाने आप इसे कम करने की कोशिश करती रहती हैं, पर साथ ही साथ आप उन चीजों को भी दोहराती हैं, जो असल में बेली फैट को बढ़ावा देते हैं। इसलिए सबसे पहले उन पर नियंत्रण पाएं ताकि आपकी बेली फैट लॉस की जर्नी आसान हो सके।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर जानकारी प्राप्त करने के लिए सर्टिफाई न्यूट्रीशनिस्ट, योगा ट्रेनर और डायबीटीज एजुकेटर अमृता मिश्रा से बात की। तो चलिए जानते हैं, पेट की जिद्दी चर्बी के लिए कौन कौन से कारण जिम्मेदार होते हैं। साथ ही जानेंगे इन्हें कम करने का तरीका (tips to reduce belly fat)।

calorie cut karne se weight loss hota hai.
अगर आप अपने रेगुलर कैलोरी इनटेक में कटौती करें, तो अधिक उम्र में भी मोटापे को काबू किया जा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

पहले जानें पेट की जिद्दी चर्बी के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में

1. जरूरत से ज्यादा कैलरी का सेवन

अगर आप अपनी डाइट में भरपूर मात्रा में कैलरी ले रही हैं और इन्हे बर्न करने जितनी एक्टिविटीज नहीं कर रही हैं, तो ये वेट गेन का कारण बन सकता है। खास कर ये पेट के आसपास के हिस्से में चर्बी को बढ़ा देता है। वहीं यदि आप फिजिकली एक्टिव होने के बाद भी अपनी कैलरी काउंट सही नहीं रखती हैं तो इससे भी एक्स्ट्रा फैट स्टोर हो सकता है। इसलिए कैलरी इंटेक का ध्यान जरूर रखें।

2. रिफाइंड और प्रोसेस्ड शुगर

लोग पूरे दिन में कितनी शुगर लेते हैं, उन्हे इसका अंदाजा भी नहीं होता। नियमित खानपान में शामिल होने वाली चीजों में भी अधिक मात्रा में शुगर पाया जाता है। खासकर अगर आप किसी मीठी चीज को बाहर से लेती हैं, तो इनमें भरपूर मात्रा में रिफाइंड शुगर मौजूद होता है, जो बेली फैट का एक सबसे बड़ा कारण है। इसलिए एडेड शुगर पकेज्ड फूड और ड्रिंक से पूरी तरह से परहेज करें।

3. शराब का अधिक सेवन

अधिक शराब पीने से तरह तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं, जैसे की लीवर की बीमारी और इंफ्लेमेशन। शराब और ओबेसिटी को लेकर पब मेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित स्टडी के अनुसार शराब के सेवन से लोगों में बॉडी मास इंडेक्स और अन्य मार्क्स की तुलना में विस्सेरल फैट का स्तर बढ़ जाता है। हेल्दी वेट मेंटेन करने के लिए अल्कोहल इंटेक का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

belly fat
जानें पेट की जिद्दी चर्बी के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में. चित्र : एडॉबीस्टॉक

4. स्ट्रेस भी है जिम्मेदार

स्टेरॉइड हार्मोन जिसे कॉर्टिसोल कहा जाता है, ये बॉडी को स्ट्रेस से डील करने में मदद करती है। जब व्यक्ति किसी प्रेशर भरी स्थिति में होता है, तो वैसे में बॉडी में अधिक कॉर्टिसोल रिलीज होता है। जिसका असर मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है। क्रॉनिक स्ट्रेस से बॉडी में एक्स्ट्रा फैट जमा हो सकता है। इसके अलावा तनाव में लोग कंफर्ट फूड्स पर शिफ्ट हो जाते हैं, जिसकी वजह से कैलरी इंटेक बढ़ जाती है। वहीं स्ट्रेस में मेटाबॉलिज्म स्लो होने से कैलरी बर्न करना मुश्किल हो जाता है, और ये पेट के आस पास के हिस्सों में जमा हो जाती हैं।

यह भी पढ़ें: Rose Day Recipes : गुलाब की इन 2 सदाबहार रेसिपीज के साथ करें वैलेंटाइन वीक की शुरुआत

5. ट्रांस फैट

आर्टिफिशियल ट्रांस फैट की वजह से बॉडी में इंफ्लेमेशन हो जाता है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस, हार्ट डिजीज, कुछ प्रकार के कैंसर और कई अन्य बीमारियों के खतरे को बढ़ा देते हैं। वहीं रूमिनेंट ट्रांस फैट जो प्राकृतिक रूप से डेयरी और मीट प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं, इनका प्रभाव आर्टिफिशियल ट्रांस फैट जैसा नहीं होता। अधिक ट्रांस फैट लेने से विस्सरल फैट बढ़ जाता है, वहीं ये बेली फैट को बढ़ाने के साथ साथ समग्र शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जितनी हो सके उतनी कम मात्रा में ट्रांस फैट लेने की कोशिश करें। खास कर अपने नियमित खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल ट्रांस फैट की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

6. लो प्रोटीन डाइट

डाइट में भरपूर मात्रा में प्रोटीन लेने से वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। हाई प्रोटीन डाइट फुलफीलिंग होती है और व्यक्ति इससे लंबे समय तक संतुष्ट रहता है। जिससे कैलरी इंटेक सीमित रहती है और वेट लॉस में मदद मिलती है। ऐसे में पर्याप्त प्रोटीन न मिलने से बॉडी फंक्शंस पर नकारात्मक असर पड़ता है, मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और कैलरी बर्निंग कैपेसिटी भी कम हो जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हाई प्रोटीन युक्त डाइट लेने वाले लोगों का बेली फैट काफी कम होता है।

BMI

वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए

बीएमआई चेक करें
protein bone aur muscles health ke liye jaroori hai.
महिलाओं के लिए प्रोटीन शरीर में कोशिकाओं से लेकर मांसपेशियों तक विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

7. शारीरिक स्थिरता

लंबे समय स्थाई रूप से बैठे रहना, या शारीरिक गतिविधियों से पूरी तरह दूर रहना बेली फैट को बढ़ावा दे सकता है। ऐसे में मेटाबॉलिज्म धीमी हो जाती है और बॉडी में फैट बर्न करने की कैपेसिटी भी कम हो जाती है, इससे बेली फैट बढ़ता है। खुसको एक्टिव रखना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं की आपको भारी एक्सरसाइज करने की आवश्यकता है, आप वॉकिंग, जॉगिंग, स्ट्रेचिंग आदि में पार्टिसिपेट कर अपनी मांसपेशियों को एक्टिवेट कर सकती हैं। इससे फैट जमा नहीं होता और आप फिट रहती हैं।

यह भी पढ़ें: क्या थायराॅइड में नहीं खानी चाहिए मूंगफली? एक आहार विशेषज्ञ से जानते हैं इसका जवाब

  • 123
लेखक के बारे में

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

पीरियड ट्रैकर

अपनी माहवारी को ट्रैक करें हेल्थशॉट्स, पीरियड ट्रैकर
के साथ।

ट्रैक करें
अगला लेख