सर्दी के मौसम में जोड़ों में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। दरअसल, शरीर में बढ़ने वाली सूजन इस समस्या का कारण साबित होती है। अक्सर लोग इस समस्या से बचने के लिए व्यायाम और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं की मदद लेते हैं। मगर काइरोप्रैक्टिक मसाज थेरेपी की मदद से भी इस समस्या को हल किया जा सकता है। नसों से लेकर जोड़ों तक विभिन्न तरीके से समस्या को हल किया जाता है। जानते हैं काइरोप्रैक्टिक मसाज (Chiropractic massage) किसे कहते हैं और इससे शरीर को मिलने वाले फायदे और लिमिटेशंस भी।
रीढ़, स्पाइन और मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली की मदद से स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए काइरोप्रैक्टिक (Chiropractic massage) तकनीक की मदद ली जाती है। ये दर्द से राहत दिलाने, शरीर की गति की सीमा में बढ़ाने और उपचार को बढ़ावा देने में मददगार साबित होती है। इससे पोश्चर में सुधार महसूस होता है।
इस बारे में कायरोप्रैक्टर हरप्रीत कौन बताती हैं कि नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए स्पाइन की मदद से ब्लड की सप्लाई होती है। जब उसमें मिसअलाइनमेंट बढ़ने लगता है, तो उससे नर्वस इरिटेट होती है। उसके कारण शरीर में डिफंक्शन होता है। ऐसे में काइरोप्रैक्टिक मसाज थेरेपी की मदद से शरीर में मेनुअल एडजस्टमेट की जाती है।
काइरोप्रैक्टिक (Chiropractic massage) एडजस्टमेंट सभी उम्र के लोगों के लिए एक फायदेमंद उपचार है। इसका लाभ बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग ले सकते हैं। दोनों शामिल हैं। इस खास मसाज लेने वालों में सबसे अधिक तादाद 45 से 64 वर्ष के उम्र के लोगों की होती है। काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट से पहले स्क्रीनिंग करवानी फायदेमंद साबित हो सकती है।। इससे समस्या को समझने में मदद मिलती है।
इसके लिए समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को पेट के बल टेबल पर लिटा दिया जाता है। उसके बाद कपिंग, इक्वीप्मेंट और मसाजर की मदद से स्पाइन से लेकर गर्दन, कंधों और टांगों की नसों में आने वाली ब्लॉकेज को दूर किया जाता है। इस दौरान शारीरिक अंगों से क्रैक की आवाजें सुनने को मिलती है, जो वास्तर में ज्वाइंटस और शारीकि अंगों में मौजूद वो गैस होती है, जिससे ऐंठन का सामना करना पउ़ता है।
थेरेपी की मदद से स्पाइन से लेकर कंधों और टांगों में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे बॉडी फंक्शनिंग उचित बनी रहती है और शरीर में बए़ने वाले संक्रमण के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। इसे करने के बाद वर्कआउट के समान शरीर को कुछ देर आराम दें।
इससे शरीर में बढ़ने वाली सूजन को कम किया जा सकता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी बना रहता है। इससे नसों में बनने वाले प्रेशर से राहत मिलती है, जिससे नर्वस सिस्टम हेल्दी बना रहता है। साथ ही इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है। शरीर में न्यूरोपेप्टाइड्स और साइटोकाइन्स का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है।
गर्दन, पीठ और साइटिका के दर्द को कम किया जा सकता है। साथ ही हड्डियों में बढ़ने वाले शारीरिक और मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है। इससे मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती है और बॉडी पार्टस में बढ़ने वाली ऐंठन कम हो जाती है।
देर तक एक ही मुद्रा में बैठकर पोश्चर में आने वाले बदलाव को दूर करने के लिए भी इस मसाज की मदद ली जाती है। इससे जोड़ों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को कम करके लचीलेपन को बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने में मदद मिलती है।
शरीर की गति में आने वाली कमी को बढ़ाने के लिए इसकी मदद ली जाती है। इससे किसी भी कार्य को करने की शारीरिक क्षमता में सुधार आने लगता है और शरीर हेल्दी व फिट बना रहता है। इसे करने के बाद शरीर में हल्की थकान महसूस होती है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंमस्तिष्क को भी इससे फायदा मिलता है। रक्त का प्रवाह बढ़ने से ब्रेन सेल्स एक्टिव होने लगते है और शरीर का लचीलापन भी बढ़ जाता है। इससे मूड स्विंग से राहत मिलती है और याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद मिल जाती है।