घंटों बिना हिले-डुले एक ही जगह पर बैठकर काम करने से हिप्स में अक्सर तनाव बढ़ने लगता है। इससे न केवल दर्द बढ़ता है, बल्कि हिप्स के आकार भी भारी और बेडौल हो जाता है। इससे बॉडी के पोश्चर (body posture) में बदलाव महसूस होने लगता है। आप एक्टिव हैं और नहीं चाहेंगी कि आपके शरीर का कोई भी हिस्सा बेडौल और भद्दा नजर आए। इसलिए आपको अपने वर्कआउट में ऐसी एक्सरसाइज शामिल करनी चाहिए, जो हिप्स का तनाव और अकड़न (Hip flexor exercise) कम कर सकें। पर उससे पहले कूल्हों के टाइट और स्टिफ (Causes of tight and stiff hips) होने के कारणों को ठीक से जान लेना चाहिए।
इस बारे में बातचीत करते हुए स्टेडफ़ास्ट न्यूट्रिशन के फाउंडर, फिटनेस एक्सपर्ट अमन पुरी बताते हैं कि हिप एरिया पर मसल्स में बढ़ने वाली टाइटनिंग को हिप फ्लेक्सर्स (Hip flexors) कहा जाता है। हिप्स के चारों ओर मौजूद मांसपेशियों का समूह घुटनों को मोड़ने और चेस्ट तक लाने में मदद करता है। हिप्स लंबर स्पाइन एरिया पर आकर जुड़ते हैं। सही मूवमेंट न होने के कारण स्पाइन और हिप्स में स्टिफनेस (Hip stiffness) और टाइटनेस का सामना करना पड़ता है।
फ्लेक्सियन मांसपेशियों के संकुचन की वो प्रक्रिया है, जो गलत तरीके से बैठने और झुकने से बढ़ती है। इससे घुटने को छाती के नज़दीक लाने में तकलीफ महसूस हो सकती है। जब फ्लेक्सन प्रभावित होता है, तो हिप्स टाइटनिंग (Hip tightening), गंभीर दर्द और सीमित गतिशीलता का सामना करना पड़ता है।
एक्सरसाइज़ न करना मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन की समस्या को बढ़ा देता है। इससे चलने फिरने और उठने बैठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा हिप्स के आकार में भी बदलाव नज़र आने लगता है। सीमित मात्रा में चलना फिरना हिप टाइटनिंग (Hip tightening) को बढ़ाता है।
कुछ लोग दिन में कई घंटों लगातार बैठकर काम करते हैं। फिर चाहे वो डेस्क जॉब हो या फिर ड्राइविंग करना हो। इसका असर भी हिप्स पर दिखने लगता है। देर तक बैठना फ्लेक्सर मसल्स (flexor muscles) को नुकसान पहुंचाता है। इससे दर्द और तनाव दोनों बढ़ने लगता है।
उम्र के साथ शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, जिसका असर हड्डियों और मांसपेशियों पर दिखने लगता है। शरीर में फलेक्सीबीलिटी (body flexibility) की कमी बढ़ने लगती है। इससे कमर को झुकाने और घुटनों को उपर की ओर लेकर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते हिप टाइटनिंग बढ़ जाती है।
छोटी छोटी बातों पर बढ़ने वाला तनाव शारीरिक सक्रियता को कम कर देता है और इससे तन और मन दोनों प्रभावित होने लगते है। इससे ओवरऑल हेल्थ प्रभावित होती है। साथ ही हिप फ्लेक्सर्स का सामना करना पड़ता है।
मैट पर बारी बारी से दोनों घुटनों को मोड़कर एक के बाद एक आगे की ओर लेकर जाना कूल्हों, पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इससे लोअर बॉडी को टोन करने में मदद मिलती है। दिनभर में 2 बार 30 सेट्स में इसका अभ्यास करना फायदेमंद साबित होता है।
कुर्सी पर बैठना और फिर खड़े होना भी हिप्स की मांसपेशियों को फायदा पहुंचाता है। इस दौरान पीठ को सीधा रखें। इससे कूल्हों और पैरों की मांसपेशियों में बार बार होने वाली ऐंठन दूर होती है। इसके अलावा कोर, थाई, हिप्स और ग्लूट मांसपेशियों को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है और शरीर के संतुलन में सुधार होता है।
इस एक्सरसाइज़ में घुटने को लिफ्टअप करके चेस्ट की ओर खींचना और फिर वापिस अपनी जगह पर ले आएं। इससे कूल्हे जांघ और ग्लूट मांसपेशियों को ढीला करने में मदद मिलती है। इसे मैट पर लेटकर या कुर्सी पर बैठकर भी किया जा सकता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंइसे करने के लिए मैट पर लेटकर दोनों टांगो को घुटनों से मोड़ लें। उसके बाद एक एक कर टांग को उपर उठाएं और फिर हिप्स के नज़दीक लेकर आएं। इससे हिप्स में ऐंठन को कम किया जा सकता है।
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