दिनचर्या के सभी कार्यों को करने के लिए हमें जिस चीज़ की आवश्यकता होती है, वो है ब्रेन। ब्रेन के उचित रूप से कार्य न कर पाने के कारण व्यक्ति अपने शरीर का संतुलन खोने लगता है और मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है। व्यस्त दिनचर्या के चलते जहां लोगों के पास नियमित खान पान का समय नहीं है, वे ब्रेन जिम के बारे में नहीं सोच पाते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने व्यवहार को संतुलित करना चाहता है और हर समस्यास को आसानी से हल करना चाहता है, तो उसके लिए ब्रेन जिम एक कारगर विकल्प है। जानते हैं ब्रेन जिम क्या है और इसे कैसे दिनचर्या में कर सकते हैं शामिल ( Brain gym)।
रिसर्चगेट के अनुसार ब्रेन जिम (Brain gym) एक अकेडमिक काइन्सियोलॉजिकल प्रोग्राम है। इसका मकसद याददाश्त, साइकोलॉजिकल परसेप्शन और काफगनीटिव स्किल्स को बढ़ाना है। ब्रेन जिम गतिविधियों में 26 बेसिक मोशंस को शामिल किया गया हैं। रिसर्च के अनुसार उन मोशंस की मदद से ब्रेन की लर्निंग क्षमता बढ़ने लगती है।
दरअसल इस प्रक्रिया से ब्रेन हेमिस्पेयर को स्टिम्यूलेट किया जाता है। इसकी मदद से मस्तिष्क के दोनों पक्षों को संतुलित करते हैं। साथ ही बिहेवियरिकल प्रोबलम्स, सोशल व इंटेलेक्चुअल बर्डन को करने में मदद करती है। इसका मकसद ब्रेन बढ़ने वाले तनाव को कम करना है। सप्ताह में तीन दिन 25 मिनट तक ब्रेन जिम (Brain gym) करने से मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है।
इस बारे में लाइफ कोच परिक्षित जोबनपुत्रा का कहना है शरीर के मसल्स को जिस प्रकार एक्सरसाइज़ की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार के ब्रेन के न्यूरॉन्स का व्यायाम आवश्यक है। शरीर के लिए जिस प्रकार एरोबिक्स फायदेमंद होता है, वहीं ब्रेन के लिए न्यूरोबिक्स को फायदेमंद माना जाता है। इसकी मदद से ब्रेन के न्यूरांस को एक्टीविट किया जाता है। इसे नियमित तौर पर करने से तनाव, एंगज़ाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है। इससे शरीर में पॉजिटिव इमोशंस और हार्मोन बढ़ने लगते हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार जो राइड साइड का ब्रेन है, वो लेफ्ट साइड को हैंडल करता है। वहीं जो लेफ्ट साइड का ब्रेन है, वो राइट साइड हैंडल करता है। अगर आप जीवन में प्रोडक्टिव रहना चाहते हैं, तो उसके लिए ब्रेन का कार्डिनेशन आवश्यक है।
चीजों को याद रखने में परेशानी का सामना करना
किसी नए विषय को समझने में मुश्किल होना
फोकस करने में दिक्कत आना और दिमाग का इधर उधर भागना
हर वक्त तनाव में रहना और छोटी छोटी बातों पर झुझंला जाना
सोशल सर्कल बिल्ड न कर पाना और एकांत की तलाश करना
बातचीत करते हुए हिचकिचाहट महसूस करना और किसी नए व्यक्ति के सामने आने से कतराना
ब्रेन जिम एक्सरसाइज़ का अभ्यास करने से शरीर की गतिविधियों में संतुलन और सुधार आने लगता है। साथ ही आलस्य की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है। इसे नियमित तौर पर करने से शरीर और ब्रेन दोनों ही सतर्क बने रहते हैं। हर कार्य के लिए तत्पर रहते हैं और कार्यक्षमता में भी सुधार आने लगता है।
इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दाहिनी बाजू को उपर उठाएं और बाहिने घुटने को मोड़ते हुए उपर लेकर जाएं। इसके बाद दाहिनी बाजू को कोहनी से मोड़ें और कोहनी को घुटने से छूएं। इस एक्सरसाइज़ का निरंतर करने से व्यक्ति के मस्तिष्क में एकाग्रता बढ़ने लगती है और तनाव कम होने लगता है।
अंगूठें से की जाने वाली इस एक्साइज़ को करने के लिए दोनों बाजूओं को सामने की ओर लेकर आएं। अब दाएं हाथ को कमर पर रखें और बाएं हाथ के अंगूठे से सामने की ओर देखकर आठ की आकृति बनाएं। इसे आप धीरे धीरे या तेज कर सकते हैं। आपका पूरा ध्यान अपने अंगूठे पर होना चाहिए। इसके बाद बाएं हाथ को कमर पर रखकर दाहिने हाथ से भी इसी समान आठ का अंक बनाएं।
द एलीफैंट एक्सरसाइज़ को करने के लिए अपने दाहिने हाथ को उपर की ओर लेकर जाएं और कान से चिपका लें। अब धीरे धीरे उसे नीचे लेकर आएं और उससे तीन बार इन्फिनिटी का साइन ड्रा करें। इसके बाद दाहिने हाथ को नीचे करके बाहिने हाथ से यही प्रतिक्रिया अपनाएं। रोज़ाना इसका अभ्यास करने से शरीर में संतुलन, एकाग्रता और मन की शांति बढ़ती है।
इस गतिविधि को करने ने लिए एक पेपर लें और दोनों हाथों में पैन या पैंसिल पकड़ लें। अब एक ही वक्त में दोनों हाथों से कार्य करने की कोशिश करें। ध्यान रखें की दोनों हाथों से एक जैसा ही चित्र बनाएं। इससे न केवल फोकस बढ़ता है बल्कि लेखन कला, कैल्कुलेशन और लर्निंग पावर बढ़ने लगती है। इसे करने से बच्चे खासतौर से मल्टीटास्किंग बनने लगते हैं। साथ ही हाथों और आंखों में कॉर्डिनेशन बढ़ता है।
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