लगातार एक ही पोश्चर में बैठकर काम करने से जहां पीठ में ऐंठन बढ़ने लगती है, तो वहीं बैली फैट का भी सामना करना पड़ता है। पेट पर जमा चर्बी को दूर करने के लिए यूं तो कई नुस्खे अपनाए जाते हैं और अधिकतर लोग जिम की भी मदद लेते है। मगर हेल्दी वेट मैनेजमेंट के लिए योगासनों का अभ्यास बेहद कारगर साबित होता है। भुजंगासन यानि कोबरा पोज़ (cobra pose) करने से पेट के मसल्स को मज़बूती मिलती है। इससे पेट पर जमा चर्बी दूर होती है और शरीर को कई फायदे भी मिलने लगते है। जानते हैं भुजंगासन के फायदे (Bhujangasana benefits) और इसे करने की विधि।
इस बारे में योग एक्सपर्ट डॉ गरिमा सेठी बताती हैं कि भुजंगासन सूर्य नमस्कार के 12 योगासनों में से एक है। सातवें स्थान पर की जाने वाली इस योग मुद्रा में पेट की मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है। न केवल शरीर में लचीलापन बढ़ता है बल्कि ब्लड का सर्कुलेशन नियमित होने लगता है।
मसल्स में खिंचाव आने से आसपास जमा चर्बी कम होने लगती है। पेट के बल किए जाने वाले इस योगासन को शरीर की क्षमता के अनुसार ही करें। वे महिलाएं, जो गभवती हैं, उन्हें इस योगासन को करने से परहेज़ करना चाहिए।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की रिसर्च के अनुसार भुजंगासन (Bhujangasana benefits) को करने के दौरान पेट पर प्रेशर बढ़ जाता है। पेट के आसपास जमा चर्बी को दूर करने में मदद मिलती है। इससे शरीर के पोश्चर में भी बदलाव आने लगता हैं। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से पेट, पीठ और कमर पर जमा फैट को बर्न किया जा सकता है। शरीर का लचीलापन भी बना रहता है।
इसका नियमित अभ्यास करने से शरीर में बढ़ने वाली ऐंठन से राहत मिलती है और शरीर का लचीलापन बना रहता है। इससे पेट, घुटनों, कंधों और स्पाइन को मज़बूती मिलती है। कोर मसल्स को भी ताकत मिलती है। दिन में दो बार भुजंगासन का अभ्यास (Bhujangasana benefits) करना फायदेमंद साबित होता है।
योग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। योग को रूटीन में शामिल करने से तनाव और एंग्ज़ाइटी कम होने लगती है। एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार सप्ताह में 2 दिन भुजंगासन का अभ्यास (Bhujangasana benefits) करने से तनाव और डिप्रेशन के गंभीर लक्षणों में गिरावट पाई गई। एकाग्रता बढ़ने लगती है और मूड बूस्ट होता है।
देर तक बैठन से कमर में बढ़ने वाले दर्द को कम करने के लिए ये योगासन कारगर साबित होता है। इसे करने से स्पाइन के मसल्स स्ट्रेच होते है। ऐसे में खासतौर से ठंड के मौसम में बढ़ने वाले दर्द को आसानी से कम किया जा सकता है।
नियमित रूप से भुजंगासन का अभ्यास (Bhujangasana benefits) शरीर में एनर्जी को बढ़ाने के अलावा स्टेमिना को भी बूस्ट करता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। साथ ही ठंड के मौसम में बढ़ने वाले आलस्य से बचा जा सकता है। इससे शारीरिक अंगों में बढ़ने वाली कमज़ोरी और दर्द से राहत मिलती है।
वे लोग जो ब्लोटिंग, अपच और पेट दर्द से ग्रस्त रहते हैं, उन्हें इसका अभ्यास करना चाहिए। इससे पेट पर प्रेशर बढ़ने लगता है, जिससे पाचनतंत्र संतुलित बना रहता है। साथ ही एसिडिटी का सामना कर रहे लोगों के लिए भी ये उपाय फायदेमंद है।
प्रदूषण के चलते सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए भंजुगासन का अभ्यास आवश्यक है। इसे करने से चेस्ट कपेसिटी बढ़ने लगती है और ऑक्सीजन के इनटेक में भी सुधार आने लगता है। इसके अलावा रेस्पिरेटरी मसल्स में भी सुधार देखने को मिलता है। साथ ही संक्रमण के चलते चेस्ट कंजेशन से भी राहत मिलती है।
शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने वाले इस योगासन से रीढ़ की हड्डी को मज़बूत बनती है। साथ ही इसका नियमित अभ्यास कमर दर्द, गर्दन दर्द और कंधे के दर्द से राहत दिलाने में भी मदद करता है।
इसका अभ्यास करने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और कैलोरीज का टोरोज कम होने लगता है। कैलोरीज़ को बर्न करने से पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है।
किसी भी योग मुद्रा को शरीर की क्षमता के अनुसार करने से शरीर को इसका फायदा मिलता है। इससे शरीर को मज़बूती मिलती है। वे लोग जो इसका नियमित अभ्यास करते हैं, वे इसकी समय सीमा 10 से 15 मिनट तक किया जा सकता है।
आमातौर पर वे महिलाएं, जो गर्भवती है, उन्हें इसे करने से बचना चाहिए। इसके अलावा गर्दन या रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर इससे बचना चाहिए। साथ ही हृदय संबंधी समस्या होने और पेट की हर्निया होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए।
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