पुश डे वर्कआउट आपकी मांसपेशियों को कमजोर होने से बचाता है, जानिए इसके फायदे और जरूरी एक्सरसाइज
उम्र के साथ शरीर में बढ़ती थकान और ऐंठन मांसपेशियों की कमज़ोरी का मुख्य संकेत है। ऐसे में अधिकतर लोग व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं। शरीर को हेल्दी और फिट बनाए रखने के लिए पुश डे वर्कआउट बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसमें पुशिंग मूवमेंट को शामिल किया जाता हैं, जिससे चेस्ट, शेल्डर और पीठ के मसल्स एगेंज हो जाते हैं और मांसपेशियों की मज़बूती को बढ़ाते हैं। जानते हैं पुश डे वर्कआउट (Push day workout) किसे कहते हैं और किन एक्सरसाइज़ को करें रूटीन में शामिल।
पुश डे वर्कआउट क्या है (What is Push Day workout)
फिटनेस एक्सपर्ट गरिमा भाटिया बताती हैं कि पुश डे वर्कआउट में उन एक्सरसाइज़ को शामिल किया जाता है, जो पुशिंग व्यायाम पर केंद्रित होती हैं। इसमें चेस्ट, कंधों और ट्राइसेप्स की मांसपेशियों पर खासतौर से फोकस किया जाता हैं । इस अपर बाफडी वर्कआउट से शरीर में बढ़ने वाली थकान और पीठ पर एकत्रित होने वाले फैट्स से भी बचा जा सकता है। इसमें बेंच प्रेस और शोल्डर प्रेस जैसे व्यायाम शामिल किए जाते हैं।
जर्नल ऑफ़ स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार पुश डे वर्कआउट एक स्ट्रेंथ ट्रेनिंग रूटीन का हिस्सा है, जिसमें वर्कआउट को डिवाइड किया जाता हैं। इसमें अपर बॉडी पर फोकस किया जाता है। इस दौरान वजन को अपने शरीर से दूर धकेलते वाले मूवस को शामिल किया जाता हैं जिसमें आप अपने शरीर को किसी चीज़ से दूर ले जाते हैं जैसे पुशअप करना।
पुश डे वर्कआउट के लाभ (Push Day workout benefits)
1. मांसपेशियों की मज़बूती को बढ़ाए
शरीर के ऊपरी हिस्से की ताकत को बढ़ेने के लिए किए जाने वाले इस व्यायाम में पेक्टोरल मांसपेशियों पर फोकस किया जाता हैं। इससे शरीर की ताकत में सुधार आने लगता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से कंधे की स्थिरता में सुधार आने लगता है।
2. थकान होगी कम
नियमित पुश एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे ऑक्सीजन के प्रवाह में सुधार आने लगता है। इससे शरीर का लचीलापन बढ़ने लगता है और शारीरिक क्षमता में भी सुधार आने लगता है।
3. पोश्चर में सुधार
वे लोग जो देर तक बैठकर कार्य करते हैं, उनके लिए भी ये बेहद कारगर उपाय है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार अच्छी मुद्रा और छाती की मज़बूत मांसपेशियों के लिए ये एक्सरसाइज़ आवश्यक हैं।
4. हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए
पुश डे वर्कआउट दिल के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। जामा नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार नियमित व्यायाम से ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम कम होने लगता है। साथ ही शरीर स्वस्थ और एक्टिव रहता है।
पुश डे वर्कआउट के लिए व्यायाम (Push day workout exercise)
1. पुश अप्स
- इसे करने के लिए अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे लेकर आएं। उसके बाद प्लैंक पोजीशन में शरीर को लेकर आएं।
- इससे कोर और ग्लूट्स के मसल्स एगेंज हो जाते है और पीठ पर दवाब बढ़ने लगता है। साथ ही कंधों की मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ती है।
- इसके लिए कोहनी को मोड़कर चेस्ट को नीचे की ओर लेकर जाएं और फिर उपर लाएं।
2. डंबल बेंच प्रेस
- अपर बॉडी की मज़बूती बढ़ाने के लिए की जाने वाली इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए बेंच पर सीधे लेट जाएँ।
- हाथों में डंबल को उठाएं और उन्हें अपनी चेस्ट के नज़दीक लेकर आएं। उसी पोज़िशन में अपनी बाजूओं को लॉक कर दें।
- उसके बाद बाजूओं को दोबारा उपर लेकर जाएं और फिर कोहनी को मोड़ते हुए नीचे लेकर आएं।
3. डंबल शोल्डर प्रेस
- दोनों हाथों में डंबल लेकर खड़े हों जाएं और बाजूओं को आगे की ओर रखें। इस दौरान शरीर को सीधा रखें।
- हाथों में डंबल लेकर बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं और कोहनियों को सीधा रखें उसके बाद बाजूओं को नीचे लाएं।
- अब दोबारा से धीरे धीरे डंबल को वापस शुरुआती स्थिति में लाएँ।
4. डंबल चेस्ट फ्लाई
- इसके लिए बेंच पर लेट जाएँ और दोनों हाथों में डंबल पकड़कर अपनी छाती के ऊपर रखें।
- अब अपनी कोहनी को थोड़ा मोड़कर रखेंए जैसे ही आप अपनी बाहें चौड़ी करते हैं, डंबल को नीचे लेकर आएं।
- जब आपकी बाजूएं छाती के बराबर हो जाएँ, तो फिर डंबल को अपनी छाती के ऊपर वापस लाएँ।
5. ट्राइसेप्स डिप
- किसी मजबूत बेंच या कुर्सी के किनारे पर बैठें। अब हाथों से किनारे को पकड़ें और उंगलियाँ आगे की ओर हों।
- अब शरीर को नीचे की ओर लेकर जाएं और फिर दोबारा से बाजूओं पर दबाव लेकर आएं और बेंच पर बैठ जाएं।
- 10 बार 2 सेट्स में इस एक्सरसाइज़ कस अभ्यास करें।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।