दिनों दिन बढ़ने वाला तनाव जहां एंग्ज़ाइटी और डिप्रेशन का कारण साबित हो रहा है, तो वहीं इससे मेमोरी लॉस की समस्या भी बढ़ रही है। ऐसे में हाकिनी योग मुद्रा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने का बेहतरीन विकल्प है। इससे किसी भी चीज़ पर फोकस करने में आने वाली मुश्किलात को हल करके ब्रेन को एक्टिव रखने और नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करने में भी मदद मिलती है। इन दिनों पापुलर पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ भी हाकिनी योग मुद्रा से लोगों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। हाथों से की जाने वाली इस योग मुद्रा में दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ा जाता है। सबसे पहले जानते हैं हाकिनी योग मुद्रा (Hakini mudra) क्या है और इसे करने का तरीका भी।
इस बारे में अक्षर योग के संस्थापक हिमालयन सिद्ध अक्षर बताते हैं कि कुछ मुद्राएं सरल होती है, तो कुछ कठिन होती है, मगर शरीर पर होने वाला उनका लाभ आश्चर्यनजक होता है। इसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। इसे करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित होता है। इसका शरीर पर इस कदर प्रभाव पड़ने लगता है कि शरीर की शक्ति बढ़ने लगती है और आत्मा का प्रकाश बढ़ना शुरू हो जाता है।
हाकिनी मुद्रा उस मुद्रा को कहते है, जिसमें शरीर पांचों तत्वों के बीच तालमेल को बढ़ाने का काम करता है। हकीनी मुद्रा का नाम तीसरी आँख की देवी हकीनी कहा जाता हैं। देवी हकीनी तीसरी आँख चक्र की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसकी मदद से सोच, समझ स्पष्टता और अंतर्ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। इस हस्त मुद्रा का अभ्यास सुखासन में बैठकर किया जाता है। मन को एकाग्रचित्त करके की जाने वाली इस मुद्रा से मन में स्पष्टता बढ़ने लगती है।
इस मुद्रा को पावर पोज़ भी कहा जाता है। इस का अभ्यास करने से फोकस बढ़ने लगता है। वे लोग जिनके मन में स्थिरता नहीं है और उनका ध्यान इधर से उधर भटक रहा है, तो इस मुद्रा का अभ्यास कारगर साबित होता है। इससे मन को संयम की प्राप्ति होती है और तनाव दूर होता है। वे स्थिति जहां आप खुद को नर्वस महसूस कर रहे हैं, तो वहीं इस योगिनी मुद्रा से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।
दोनों हाथों की उंगलियों की टिप्स को एक दूसरे से मिलाकर रखने से फोकस और स्पष्टता बढ़ने लगती है। इससे ब्रेन के दोनों हेमीस्फेयर यानि गोलार्ध उत्तेजित होने लगते है, जिससे शक्ति बढ़ने लगती है। इससे चीजों को याद रखने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है। इस मुद्रा का अभ्यास करने से मेंटल पीस बढ़ने लगता है, जिससे चीजों की स्पष्टता बढ़ने लगती है। इसके अलावा छोटी छोटी बातों पर बढ़ने वाली एंग्ज़ाइटी से राहत मिल जाती है। वे लोग जो डिप्रेशन का शिकार है, उन्हें भी इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
वे लोग जो खुद को कम आंकते है, उन्हें इस मुदा का अभ्यास करना चाहिए। इससे मन में मोटिवेशन और कॉफिंडेंस की भावना बढ़ने लगती है। इससे कार्यक्षमता में सुधार आने लगता है और किसी भी कार्य को करने में हिचकिचाहट महसूस नहीं होती है। इससे नर्वस सिस्टम, टिशूज और सेल्स की फंक्शनिंग बढ़ने लगती है।
रात में जिन्हें भरपूर नींद नहीं आती है और जो अनिद्रा से पेरशान हैं। उन्हें इस योग मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है।
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