सिटिंग जॉब के कारण फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो पाती है। नतीजा होता है पेट पर जमा होती चर्बी। यह फैट इतनी जिद्दी होती है कि इसे घटाना बहुत मुश्किल होता है। भोजन की मात्रा घटाने-बढ़ाने के बावजूद इस पर असर नहीं पड़ता है। फिर हम बैली वर्क आउट करने लगते हैं। पर क्या ये वर्कआउट बैली फैट (belly workouts for belly fat) के लिए वाकई कारगर होते हैं? आइये पता करते हैं।
जर्नल ऑफ़ स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग में शोधकर्ता सचिन एस विस्पुट, जॉन डी स्मिथ, किम्बर्ली एस हर्ले के बैली फैट पर किये गये शोध को स्थान दिया गया। शोधकर्ताओं ने बैली फैट पर बैली वर्कआउट के प्रभाव का अध्ययन किया। क्या वाकई बैली वर्क आउट का बैली फैट पर प्रभाव पड़ता है?
पेट पर जमे हुए फैट को कम करने के लिए बैली फैट वर्कआउट किया जाता है। इसमें फैट को खत्म करने के लिए एरोबिक व्यायाम और रेसिस्टेंस ट्रेनिंग को मिलाकर किया जाता है। इसके अलावा, प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर हेल्दी डाइट भी लिया जाता है। ये सभी शरीर की चर्बी को कम करने में मददगार साबित होते हैं। लोअर एब्स, अपर एब्स, ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग और क्वाड्स के लिए पैर उठाना, लेग इन एंड आउट। सिजर किक, क्रंचेस, बाय साइकिल एक्सरसाइज बैली वर्कआउट हैं। इनके अलावा जॉगिंग, तेज गति से वाकिंग भी इसके अंतर्गत आता है।
इस अध्ययन के लिए चौबीस स्वस्थ फिजिकल एक्टिविटी नहीं करने वाले 18 से 40 वर्ष के बीच के प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इसमें 14 पुरुष और 10 महिलाओं को 2 समूहों में बांटा गया। 1 समूह को बैली वर्कआउट एक्सरसाइज करने को कहा गया। दूसरे ग्रुप को अलग तरह के व्यायाम करने को कहा गया।प्रशिक्षण से पहले और बाद में एंथ्रोपोमेट्रिक्स, शरीर संरचना और पेट की मांसपेशियों पर प्रभाव का परीक्षण किया गया।
प्रतिभागियों ने लगातार 6 सप्ताह के लिए वर्कआउट किया। शरीर के वजन, शरीर में वसा प्रतिशत, विसेरल फैट, पेट की परिधि, पेट की त्वचा पर पेट के व्यायाम का प्रभाव देखा गया। अध्ययन के निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि बैली फैट पर बैली एक्सरसाइज का कुछ हद तक प्रभाव देखा गया।
लेकिन शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि लगातार कई महीनों तक बैली एक्सरसाइज करने पर पेट की चर्बी घटती है। यदि अनियमित रूप से बैली वर्कआउट किया जाता है, तो बैली फैट पर कोई विशेष अंतर नहीं दिखता है। वर्कआउट जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, बैली फैट को कम करने के लिए कम से कम 30 मिनट एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। कार्डियो एक्सरसाइज को भी अपनी दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। एरोबिक एक्सरसाइज न सिर्फ बैली फैट को कम करता है, बल्कि फैटी लिवर को भी कम करने में मदद करता है।
जर्नल ऑफ़ ओबेसिटी में शोधकर्ता स्टीफन बूचर के अनुसार, एरोबिक व्यायाम तभी कारगर हैं, जब उन्हें रेगुलर किया जाता है। साथ ही, उच्च तीव्रता वाले व्यायाम का बैली फैट पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
शोध इंगित करता है कि यह अन्य प्रकार के व्यायामों की तुलना में एरोबिक व्यायाम स्किन के नीचे जमे फैट और पेट की चर्बी कम करने में अधिक प्रभावी हो सकता है।
यह इंसुलिन प्रतिरोध को भी काफी कम करता है। मांसपेशियों पर प्रभाव डाल कर मजबूत करता है। इससे फैट ऑक्सीकरण में वृद्धि होती है। ग्लूकोज सहिष्णुता में सुधार होता है। वसा हानि, फिटनेस, इंसुलिन प्रतिरोध और मांसपेशियों पर भी हाई इंटेंसिटी वाले व्यायाम बढ़िया प्रभाव डालते हैं।
बैली फैट पर मध्यम तीव्रता के साथ वॉकिंग और जॉगिंग जैसे एरोबिक एक्सरसाइज अधिक प्रभाव डालते हैं। शोध में शामिल अधिक वजन वाले या बहुत अधिक बैली फैट वाले लोगों के फैट डीपोजिशन पर अधिक प्रभावी ढंग से फैट को घटाते हैं।
हाई इंटेंसिटी वाले एक्सरसाइज से हृदय गति, हार्मोन, ब्लड ग्लूकोज और लैक्टेट स्तर में सुधार हो पाते हैं।
इससे मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया भी सक्रिय होती है। हृदय गति की प्रतिक्रिया हाई इंटेंसिटी वाले एक्सरसाइज की प्रकृति पर निर्भर करती है। आमतौर पर व्यायाम के दौरान यह गति काफी बढ़ जाती है।
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