आमतौर पर मन की शांति और इंद्रियों पर अपने नियंत्रण को बनाए रखने के लिए मेडिटेशन की मदद ली जाती है। साइंटीफिकली प्रूवन ध्यान से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। मगर इस क्रिया को करने के बावजूद भी कुछ लोग इससे संतुष्ट नज़र नहीं आते हैं। उनके अनुसार मेडिटेशन से उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, जिस प्रकार से अन्य रोज़मर्रा के कार्यों को करने के लिए एक योजना की आवश्यकता होती है। इसके लिए भी कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्सक है। सबसे पहले जानते हैं वो गलतियां जो मेडिटेशन (Mistakes during meditation) के दौरान अक्सर लोग दोहराते हैं।
इस बारे में योग एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि मेडिटेशन का मकसद ध्यान को केंद्रित करके आत्म जागरूकता को बढ़ाना है। इससे व्यक्ति के मन में निरंतर उठने वाले विचारों की रोकथाम की जा सकती है। ऐसे में मेडिटेशन के लिए शांतपूर्ण माहौल की तलाश करें। उसके बाद मन के अंदर के शोर को शांत करने का प्रयास करें। नियमित रूप से इसका अभ्यास मन को खुशहाल और शांत बनाए रखता है (Mistakes during meditation) ।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार 8 सप्ताह तक मेडिटेशन करने से एंग्ज़ाइटी से ग्रस्त लोगों में चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही व्यवहार में सकारात्मकता बढ़ने लगती है और तनाव को दूर किया जा सकता है। एक अन्य रिसर्च में पाया गया कि जिन कर्मचारियों ने 8 सप्ताह तक माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास किया, उनमें अन्य लोगों की तुलना में कम तनाव पाया गया। मेडिटेशन के दौरान इन गलतियों ((Mistakes during meditation) को करने से बचें।
व्यायाम करने से पहले जिस प्रकार से बॉडी को वॉर्मअप किया जाता है। ठीक उसी तरह से ध्यान की मुद्रा में बैठने से पहले माइंडफुलनेस बेहद ज़रूरी है। इसका अर्थ है अपने मस्तिष्क को एकाग्र कर लें। अपनी बॉडी को रिलैक्स करें, सामान्य रूप से सांस लें और मन ही मन खुद को मडिटेशन के लिए तैयार कर लें। अधिकतर लोग जो मन में उठने वाले ढ़ेरों विचारों में उलझे रहते हैं, वे ध्यान नहीं लगा पाते है। इसके लिए ध्यान से पहले माइंडफुलनेस आवश्यक है।
अधिकतर लोग मेडिटेशन के दौरान कमर और रीढ़ की हड्डी को सीधा नहीं करते है। ऐसे में अधिकतर लोब आगे की ओर झुककर बैठने लगते है, जिससे शरीर में एनर्जी का संचार उचित प्रकार से नहीं हो जाता है और एकाग्रता की कीम बढ़ने लगती है। इसके चलते गर्दन और पीठ की मांसपेशियों में दर्द बढ़ने लगता है और स्टिफनेस का सामना करना पड़ता है।
फोर्सफुली ब्रीदिंग मेडिटेशन में एक बहुत बड़ी गलती के समान है। ध्यान का मकसद तन और मन को रिलैक्स रखकर तनाव से मुक्ति पाना है। मगर ध्यान लगाने के दौरान तेज़ी से सांस लेना और छोड़ना शरीर में दबाव बढ़ाने लगता है। इससे शरीर में तनाव की स्थिति बढ़ने लगती है और छाती में जकड़न व सिरदर्द का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में किसी भी कार्य को ज़बरदस्ती करने की जगह नेचुरल फ्लो को बनाए रखें।
अक्सर लोग ध्यान से मिलने वाले फायदों की जानकारी पाने के बाद बिना सोचे समझे मेडिटेशन करने लगते है। मगर एकाग्रता की कमी इस प्रयास को सफल नहीं होने देती है। ऐसे में अपने मन को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए जल्द परिणाम पाने की अपेक्षा को छोड़कर शांति और स्प्ष्टता को अपनाने का प्रयास करें।
शाम की थकान के बाद मेडिटेशन करने से शरीर में नींद की समस्या बढ़ने लगती है। इसके लिए एक चित्त होकर माइंड का अलर्ट होने आवश्यक हैं। ऐसे में खाना खाने के बाद या नींद आने के दौरान मेडिटेशन करने से बचें। इसमें व्यक्ति अपने मन को एक्राग्र नहीं रख पाता है।
जब माइंड पूरी तरह से अलर्ट रहता है यानि सुबह का समय या यावर लेने के बाद मेडिटेशन के लिए जाएं। इससे ब्रेन एक्टिव बना रहता है और मन को शांति प्राप्त होती है।
रोज़ाना मेडिटेशन के लिए एक समय निर्धारित कर लें और उस वक्त ध्यान में बैठें। इससे जीवन में अनुशासन बढ़ने लगता है और सकारात्मक परिणाम देखने को भी मिलते हैं।
ध्यान के दौरान अपने मन को भटकने से बचाने के लिए मंत्र पढ़ें। इससे एकाग्रता बढ़ने लगती है और जीवन में सहजता का अनुभव होने लगता है। गहरी सांस लें और धीरे धीरे छोड़ें। इससे मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है।
की ओर झुककर बैठने से शारीरिक अंगों में खि्ांचाव बढ़ने लगता है। इससे पीठ में दर्द, गर्दन में ऐंठन और चक्कर आने की समस्या बनी रहती है। ऐसे में ध्यान लगाने से पहले पीठ को सीधा कर लें औश्र सहरा लेकर बैठने से बचें। उसके बाद ध्यान की मुद्रा में बैठकर मन को एकाग्र करने का प्रयास करें।
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