शरीर के वज़न को नियंत्रित करने से लेकर शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए नियमित वॉक (Regular walk) करना फायदेमंद साबित होता है। आमतौर पर लोग ब्रिस्क वॉक (Brisk walk benefits) या जॉगिंग से फिटनेस रूटीन की शूरूआत करते हैं। मगर इन दिनों एनिमल वॉक(Animal walk) भी खूब ट्रेंड में है। कभी आपने सोचा है कि मेंढक की तरह फुदकने से लेकर भालू की धीमी चाल भी शरीर को फायदा पहुंचा सकती है। जी हां एनिमल वॉक से मसल्स की टोनिंग से लेकर मज़बूती को बढ़ाने में मदद मिलती है। जानते हैं एक्सपर्ट से कि एनिमल वॉक (Animal walks) किस प्रकार से है स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद।
फिटनेस एक्सप्रेस इंडिया के डायरेकटर और फिटनेस कोच अंकित गौतम बताते हैं कि एनिमल वॉक वॉर्मअप या वर्कआउट का एक नया रूप है। इसकी मदद से वेटलॉस में मदद मिलती है। इसे करने के लिए किसी प्रकार के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके लिए बियर वॉक (bear walk), डक वॉक (duck walk), क्रैब वॉक (crab walk), फ्रॉग जंप्स (frog walk), इंचवॉर्म (Inch worm), बनी हॉप्स (bunny hops) और पेंगुइन वॉक (penguin walk) किया जा सकता है।
नियमित कसरत की तुलना में ये वॉक सहनशक्ति, एनर्जी, मांसपेशियों के निर्माण और अधिक कैलोरी जलाने में मदद करती है। सप्ताह में एक या दो बार आपके फिटनेस स्तर के आधार पर 15 20 मिनट से 40 से 45 मिनट के लिए इस तरह के अभ्यास शरीर के लिए पर्याप्त है। जोड़ों में दर्द या चोट है, तो इसे करने से परहेज करें। शुरूआत में इसे करने के दौरान मांसपेशियों में दर्द महसूस होता है इसलिए धीरे.धीरे शुरू करें।
फ्रॉग वॉक को स्क्वैट भी कहा जाता है। इससे काफ मसल्स को मज़बूती मिलती है और टांगों का स्टेमिना बढ़ जाता है। कूदकर आगे की ओर बढ़ने से शरीर के लचीलेपन में बढ़ोतरी होने लगती है, जिससे लोअर बॉडी के हिप्स के मसल्स की स्टिफनेस को कम किया जा सकता है। इसे हीप ओपनर वर्कआउट भी कहा जाता है।
इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के मध्य दूरी बनाकर रखें। अब इसके लिए दोनों घुटनों को मोड़ ले। उसके बाद दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिला ले। अब चेयर पोज़ में आकर कूदकर आगे की ओर बढ़ें और फिर कूदकर अपनी जगह पर वापिस लौट आएं। 10 बार 2 सेट्स में इस एक्सरसाइज़ को करें।
छाती और टांगों के मसल्स को हेल्दी बनाए रखने के लिए डक वॉक की मदद ली जाती है। इसे करने से शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ जाता है। इसे करने से शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ने लगती है। इसके अलावा स्पाइन स्ट्रांग बनती है और बैली फैट की समस्या भी कम होने लगती है।
डक वॉक करने के लिए दोनों बाजूओं को एक दूसरे से बांध लें। अब हिप्स को पीछे की ओर पुश करें और धीमी गति से एक एक कर कदम आगे बढ़ाएं। इससे ग्लूट्स को मज़बूती मिलती है और शरीर हेल्दी व एक्टिव रहता है। दिन में दो बार इसका अभ्यास करने से शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है।
शरीर के बैलेंस को मेंटेन रखने के लिए ब्रैक वॉक बेहद कारगर है। बाजूओं और टांगों की मदद से आगे की ओर बढ़े और पीछे की ओर आना क्रैब वॉक कहलाता है। इसे करने से पीठ दर्द, फ्रोज़न शोल्डर्स और पोश्चर में सुधार आने लगता है। कोर मसल्स को रिलैक्स करने वाली इस एक्सरसाइज़ का नियमित अभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाता है।
क्रैब वॉक करने के लिए मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अब उठकर बैठें और पीठ को सीधा कर लें। इसके बाद हिप्स को उंचा उठाएं और दोनों बाजूओं को पीछे की ओर लेकर जाएं। अब घुटनों को मोड़ते हुए टांगों को आगे रखें। शरीर को पीछे की ओर पुश करें। अब दो से तीन कदम पीछे की ओर बढ़ांए और फिर उसी पोज़िशन में आगे की ओर बढ़ें।
4. बैली फैट कम करती है बियर वॉक (Bear Walk)
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंबियर वॉक को बियर क्राफल भी कहा जाता है। इसे करने के लिए घुटनों को ऊपर की ओर रखा जाता है। इससे हाथों और पैरों के मसल्स की मज़बूती बढ़ जाती है। इसे करने के दौरान अपनी सांस पर नियंत्रण बनाए रखें। इस दौरान पीठ को सीधा रखने का प्रयास करे। इससे बैली फैट और थाइज़ पर जमा अतिरिक्त चर्बी को बर्न किया जा सकता है।
इसे करने के लिए मैट पर घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं और दोनों हाथों को ज़मीन पर रख लें। अब शरीर को उपर की ओर उठाएं और घुटनों को ज़मीन पर छुए बिना आगे की ओर बढ़ें। इस दौरान पूरा वज़ पैरों के पंतों पर महसूस होता है। अब शरीर को आगे की ओर बढ़ाएं।