हवा में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिक केमिकल शरीर को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा रहे हैं। वे लोग जो फेफड़ों की समस्याओं से जूझ रहे है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। वहीं जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हैं। उनके लिए भी धुएं की चपेट में आने पर गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता हैं। ऐसे लोगों को न केवल घर से निकलना कम करना होगा, बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहने की आवश्यकता है। जानते हैं योग गुरू और आयुर्वेद अध्येता आचार्य प्रतिष्ठा से किन बातों का ख्याल रख के प्रदूषण से भरे माहौल में स्वास्थ्य को सेहतमंद रखा जा सकता है ( tips to stay away from pollution)।
यूनाइटेड स्टेटस एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर यानि पीएम जैसे वायु प्रदूषक फेफड़ों और हृदय संबधी समस्याओं और अन्य हेल्थ प्रोब्लम्स की गंभीरता को बढ़ा देते हैं। वहीं नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल हेल्थ साइंसिज़ के अनुसार दुनियाभर में सालाना प्रदूषण के चलते 6.5 मिलीयन लोगों की मौत हो जाती है। ये आंकड़ा पिछले दो दशकों में तेज़ी से बढ़ा है। पीएम 2.5 यानि पार्टिकुलेट मैटर मानव बाल की तुलना में 30 गुना पतला है। यह फेफड़ों में पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। सल्फेट, नाइटरेट, कार्बन और मिनरल से बनकर तैयार हुआ पार्टिकुलेट मैटर वाहनों से लेकर सिगरेट से लिकलने वाले धुएं में पाया जाता है।
वेटलॉस के लिए की जाने वाली ये खास किस्म की एक्सरसाइज़ को तीव्रता से साथ किया जाता है। शरीर में जमा अतिरिक्त फैट्स को बर्न करने के लिए इस कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज़ को किया जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार पर्यावरण में आई तब्दीली सांस की परेशानी का कारण साबित हो रही है। हाई इंटेंसिटी व्यायाम को करने से सांस फूलने की समस्या बढ़ सकती है। जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के चलते वे व्यायाम जिन्हें करने से सांस फूलने लगे। उन्हें करने से बचना चाहिए।
प्रदूषण के स्तर में हो रहे इजाफे से लोगों का घरों से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। ऐसे में बच्चों को पार्क ले जाने से बचें। साथ ही सुबह उठकर वॉक के लिए जाना अवॉइड करें। मास्क लगाना न भूलें। इससे फेफड़ों को होने वाली समस्या से भी बचा जा सकता है। वायु में बढ़ रहे डस्ट पार्टिकल्स के अलावा मौसम में आई तब्दीली गले में खराश, जुकाम और बुखार का कारण बन सकती है। ऐसे में ज़रूरी एहतियात बरतें।
नियम के अनुसार खुली हवा में बैठकर योग करने ही आदत पर कुछ दिन के लिए विराम लगा दें। आउटडोर की जगह इनडोर योग का प्रयास करें। योगाभ्यास करने के दौरान रोज़ाना कुछ वक्त प्राणायाम करें। ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ फेफड़ों को मज़बूती प्रदान करते हैं। इसके अलावा सांस संबधी समस्याएं हल होने लगती हैं। कपालभाति आपके शरीर को तरोताज़ा बनाए रखता है। ये शरीर को प्रदूषण के बढ़ रहे स्तर के हानिकारक प्रभाव से बचाता है। दिन में दो बार इंडोर योगाभ्यास अवश्य करें। इससे आपकी ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है और शरीर को लचीलापन भी बना रहता है।
रोजमर्रा की जिंदगी में पैक्ड और तला भुना कई प्रकार का खाना हम मील में शामिल कर लेते हैं। जो सेहत को प्रभावित करता है। मौसम में आए बदलाव और प्रदूषण के बढ़ रहे स्तर से खुद को मुक्त रखने के लिए हाइड्रेटिंग फूड लें। बाहर का खाना अवॉइड करें। होम मेड फूड खाने के अलावा स्मोकिंग करने से बचें। अन्यथा फेफड़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
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