घुटनों का दर्द कम कर सकती है रेट्रो वॉकिंग, जानिए इसके और भी फायदे

कार्डियो के लिए सबसे बढ़िया एक्सरसाइज है वाकिंग। यह सक्रिय रहने में मदद करता है। लेकिन बैकवार्ड वाकिंग यानी उल्टे पैर चलने के अपने फायदे हैं। रिवर्स वॉकिंग या बैकवार्ड वाकिंग यानी उल्टे पैर चलना शरीर को ताकतवर और लचीला बनाने में मदद कर सकती है।
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रिवर्स या रेट्रो वॉकिंग में मूवमेंट पैटर्न से पैरों को आगे चलने की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। चित्र : अडॉबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 17 Jan 2024, 07:14 pm IST
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इनपुट फ्राॅम

वॉकिंग बोंस और मसल्स को मजबूत बनाता है। यह हार्ट हेल्थ को भी मजबूती देता है। पर क्या आपने पीछे की ओर चलने का अभ्यास किया है? पीछे चलना यानी बैकवार्ड वाकिंग शरीर के मसल्स और बोन को मजबूती देने के लिए चुनौती देता है? पूर पूरे दिन पीछे की ओर चलना अच्छा विचार नहीं है। अपने एक्सरसाइज रूटीन में रिवर्स वॉकिंग यानी बैकवार्ड वॉकिंग को शामिल करती हैं, तो यह फायदेमंद (Retro walking benefits) हो सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट (Expert view on backward walking)

शोधकर्ता मानते हैं कि जैसा कि नाम से पता चलता है, पीछे की ओर चलना आगे की ओर चलने के ओपोजिट है। जहां आप पहले हील से स्ट्राइक करती हैं, और आगे की गति आपके एंकल से आती है। पीछे की ओर चलने में पावर आपके घुटनों और कूल्हे से आती है। आपके पैर का अंगूठा पहले जमीन पर हिट करता है। .

यहां हैं बैकवार्ड वाकिंग से मिलने वाले 7 फायदे (Backward walking benefits)

1. मांसपेशियों को मजबूती देता है (Retro walking for muscles health)

जब आप चलती हैं, तो आपकी चाल या चलने का पैटर्न एड़ी से पैर तक होता है। प्रत्येक कदम के साथ आपकी एड़ी पहले ज़मीन से टकराती है। उसके बाद आपके पैर की उंगलियां प्रभावित होती हैं। पीछे की ओर चलने के साथ यह विपरीत है। आपके पैर की उंगलियां आपकी एड़ी से पहले ज़मीन से टकराती हैं।

क्वाड्रिसेप्स की ताकत बेहतर (Quadriceps Strength) 

रिवर्स या रेट्रो वॉकिंग में मूवमेंट पैटर्न से पैरों को आगे चलने की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। उदाहरण के लिए जब आप पीछे की ओर चलती हैं, तो आप पैरों को सीधा करने और आपको पीछे धकेलने के लिए जांघ के सामने क्वाड्रिसेप्स को संलग्न करती हैं। यह आपको निचले शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है। आगे की ओर चलने की तुलना में पीछे की ओर चलने से क्वाड्रिसेप्स की ताकत बेहतर होती है।

2. संतुलन और चाल में सुधार (Retro walking increases balance and movement)

पीछे की ओर चलने से चाल, चलने की गति और संतुलन में सुधार हो सकता है, खासकर चोट या बीमारी के बाद। जब अन्य चिकित्सा उपचारों के साथ रेट्रो वॉकिंग को जोड़ा जाता है, तो घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, चोट वाले लोगों की चाल और मांसपेशियों की ताकत में सुधार होता है। एक स्टडी में स्ट्रोक से उबरने वाले लोग सप्ताह में तीन बार 30 मिनट तक ट्रेडमिल पर पीछे की ओर चले। चार सप्ताह में उनका संतुलन, चलने की गति और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस बेहतर हो गई।

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पीछे की ओर चलने से चाल, चलने की गति और संतुलन में सुधार हो सकता है, खासकर चोट या बीमारी के बाद। चित्र : अडोबी स्टॉक

3  लचीलेपन और गति की सीमा में सुधार (Retro walking increases elasticity)

जब आप पीछे की ओर कदम बढ़ाती हैं, तो पैर के जमीन पर उतरने से पहले घुटना सीधा हो जाता है। यदि चोट या बीमारी के कारण घुटने को पूरी तरह से फैलाने में परेशानी हो रही है, तो यह बार-बार किया जाने वाला मूवमेंट गति की सीमा में सुधार कर सकता है। दर्द से राहत मिल सकती है। यह एंकल और हैमस्ट्रिंग में लचीलेपन को भी बढ़ावा दे सकता है।

4. ज्यादा कैलोरी बर्न होती है (Reverse walking for calorie burn)

रिवर्स वॉकिंग में आपकी मांसपेशियां अधिक मेहनत करती हैं। यह नियमित वॉकिंग की तुलना में अधिक कैलोरी जलाने में मदद कर सकती है। आपका शरीर शारीरिक गतिविधि के दौरान अधिक ऊर्जा का उपयोग करता है। तेज चलने की तुलना में रिवर्स वॉकिंग से प्रति मिनट लगभग 40% अधिक कैलोरी बर्न होती है। यह व्यायाम की तीव्रता बढ़ाने का एक शानदार तरीका है।

5. कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस को बढ़ावा देता है (Reverse walking for cardiorespiratory fitness)

चलना कार्डियो का बेहतर व्यायाम है, जो हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। रिवर्स वॉकिंग से कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस में सुधार हो सकता है। इससे हृदय और फेफड़ों को व्यायाम के दौरान अधिक कुशलता से ऑक्सीजन प्रदान करने की अनुमति मिलती है। 6 सप्ताह तक इसे नियमित रूप से करने पर शरीर में वसा कम हो जाती है और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस बेहतर होती है।

6. घुटने का दर्द कम हो सकता है (Retro walking controls joint pain)

उल्टा चलने से घुटने के जोड़ और घुटनों पर कम दबाव पड़ता है। यह क्वाड्स को भी मजबूत करता है, जो घुटने को सहारा देने में मदद करता है। इससे घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और घुटने जैसी बीमारियों या चोटों से होने वाले घुटने के दर्द में राहत मिल सकती है। चलने की दिशा में बदलाव से पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां भी सक्रिय होती हैं जो रीढ़ को स्थिर करती हैं। इससे पुराने पीठ दर्द से पीड़ित लोगों को मदद मिल सकती है।

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उल्टा चलने से घुटने के जोड़ और घुटनों पर कम दबाव पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

7 ब्रेन की मजेदार एक्सरसाइज है (Retro walking for mental health)

पीछे की ओर चलना आपके दिमाग के लिए भी अच्छा है। कई लोगों के लिए चलना एक स्वचालित प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत अधिक विचार करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन रिवर्स वॉकिंग अधिक ध्यान देने और सचेत रूप से सोचने की चुनौती देती है कि आप कैसे चलती हैं। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ती हैं, यह प्रोप्रियोसेप्शन और शारीरिक जागरूकता में मदद कर सकता है। रेट्रो वॉकिंग तकनीक जैसी नई चीज सीखने में महारत हासिल करना दिमाग को तेज रखने के कई तरीकों में से एक है। इससे मेमोरी लॉस में भी सुधार हो सकता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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