अक्सर फिटनेस गोल्स को अचीव करने के लिए नियमित रूप से वर्कआउट करने की सलाह दी जाती है। मगर इसके लिए जहां कुछ लोग हाई इंटैसिटी एक्सरसाइज़ करते हैं, तो कुछ कार्डियो की मदद लेते है। वहीं कुछ लोग वॉक और रनिंग से वज़न को नियंत्रित करने और खुद को फिट रखने का प्रयास करने लगते है। अगर आप फिटनेस रूटीन के लिए कुछ समय निकाल सकते हैं, तो कोई एक फॉर्म या व्यायाम चुनने की जगह वर्कआउट शेड्यूल (7 Day Workout Schedule) तैयार करें। इससे न केवल रूटीन में नयापन बढ़ने लगता है बल्कि शरीर को कई फायदे भी मिलने लगते हैं।
हांलाकि दौड़ना, चलना और तैरना वजन कम करने के सभी बेहतरीन तरीके हैं। लेकिन सात दिन (7 Day Workout Schedule) का वजन घटाने वाला वर्कआउट प्लान बनाते हैं, तो उसके लिए एरोबिक एक्टिविटी, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और योग को शामिल करना फायदेमंद साबित होता है। हर दिन अलग-अलग एक्सरसाइज करना वजन कम करने का एक प्रभावी तरीका है। फिटनेस एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि अधिकतर लोग वेटलॉस के लिए व्यायाम की मदद लेते हैं। मगर इससे वेटगेन से बचाव होने के अलावा मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य को फायदा मिलता है, जिससे बोन डेंसिटी में सुधार आने लगता है। नियमित व्यायाम करने से शरीर में एनर्जी का लेवल बना रहता है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार रोज़ाना व्यायाम करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। हांलाकि कुछ लोग डाइट में भी बदलाव लेकर आते है। मगर वे लोग जो वजन घटाने के लिए केवल व्यायाम पर निर्भर हैं, तो नियमित रूप से 60 मिनट तक व्यायाम की आवश्यकता होती है। सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करनी फायदेमंद साबित होती है। सप्ताह में पाँच दिन प्रति दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम आवश्यक है। वहीं दो दिन मांसपेशियों को मज़बूत बनाने वाली गतिविधियाँ करने से भी फायदा मिलता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार कार्डियो एक्सरसाइज़ करने से जहां शरीर के स्टेमिना में सुधार आने लगता है, तो वहीं हृदय रोगों और डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन का उचित प्रवाह बना रहता है, जिससे मसल्स की भी मज़बूती बढ़ने लगती है।
इसके लिए 30 मिनट एरोबिक एक्सरसाइज़ अवश्य करें। इसमें बाइकिंग, जॉगिंग, रनिंग और वॉकिंग शामिल करें। इससे ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है और शरीर एक्टिव बना रहता है।
कम्पाउंड लिफ्ट के साथ लोअर बॉडी एक्सरसाइज़ को करने से फायदा मिलता है। इसके लिए शरीर के निचले हिस्से यानि हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और क्वाड्स को मज़बूती मिलती हैं। कम्पाउंड लिफ्ट करने से मसल्स ग्रुप की मज़बूती बढ़ती हैं।
इसके लिए डेडलिफ्ट कीं, जिससे शरीर के निचले हिस्सों और कोर की मांसपेशियों को फायदा मिलता है। साथ ही हिप थ्रस्ट, लंजिज़, स्क्वैट और बैंडिग पोज़िशन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है।
बैक फैट, पेन और ऐंठन को दूर करने के लिए अपर बॉडी एक्सरसाइज़ फायदेमंद साबित होता है। इन एक्सरसाइज़ में शरीर का उपर हिस्सा एगेंज रहता है। इनका अभ्यास करने से बाइसेप्स, ट्राइसेप्स और छाती की मांसपेशियों को फायदा मिलता है।
अपर बॉडी को हेल्दी और फिट बनाए रखने के लिए बाइसेप कर्ल, चेस्ट प्रेस, ट्राइसेप डिप और बैक एक्सरसाइज़ की जाती हैं। इसे करने से हाथों, बाजूओं और चेस्ट के मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है। 30 मिनट इसका अभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाता है।
शरीर की क्षमता के अनुसार लोअर बॉडी सेशन का फॉलो करें। इसमें खासतौर से ग्लूट्स पर अपना ध्यान केंद्रित करें। इसके लिए ब्रिज, क्लैमशेल और स्क्वैट्स जैसे रेजिस्टेंस बैंड एक्सरसाइज के साथ अपने ग्लूट्स को 1 से 2 मिनट तक एगेंज रखें। उसके बाद ब्रेक लें और दोबारा से अन्य एक्सरसाइज़ करें।
एक बार जब आप अपने ग्लूट्स को सक्रिय कर लेंगे तो वेट एक्सरसाइज़ को करने के लिए आगे बढ़े। इसके लिए डेडलिफ्ट, हिप थ्रस्ट और सिंगल लेग्ड हिप थ्रस्ट सहित हिंज मूवमेंट के तीन सेट 10 बार करें। इनमें ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग एगेंज रहते हैं।
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। इसके अलावा शरीर दिनभर एक्टिव रहता है। शरीर की क्षमता के मुताबिक योगाभ्यास करें। इससे मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ने लगता है और सांस संबधी समस्याएं हल होने लगती है।
इसके लिए सूर्य नमस्कार के स्टेप्स से शुरूआत करें। उसके बाद कुछ देर मेडिटेशन करें, जिससे तनाव व एंग्ज़ाइटी से राहत मिलती है। इसके अलावा अधोमुखशवासन, बालासन, धनुरासन, चक्रासन और शवासन का अभ्यास करें।
सप्ताह के आखिरी दिन किए जाने वाले वर्कआउट में पीठ और कंधों के मसल्स पर ध्यान केंद्रित करें। वज़न उठाने के अलावा पुशअप और पुलअप का अभ्यास करें। इसके लिए शरीर की क्षमता के अनुसार इनक्लाइन पुशअप और असिस्टेड पुलअप का अभ्यास करें।
इसके अलावा रिवर्स फ्लाई, लेटरल रेज़, लेट पुल डाउन और सिंगल आर्म रो एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इसके अलावा शेल्डर प्रेस का अभ्यास करने से भी शरीर एक्टिप रहता है और बैक फैट की समस्या हल हो जाती है।
मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियाँ मसल्स के टिशूज में छोटे छोटे माइक्रोटियर बनाती हैं, जिससे मांसपेशियों में दर्द और पीड़ा बढ़ने लगती है। ऐसे में मांसपेशियों को ठीक न होने देना चोट के जोखिम को बढ़ाता है। साथ ही शरीर में दिनों दिन थकान बढ़ने लगती है।
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