आमतौर पर सुबह उठते ही शरीर की इंटरनल क्लॉक बॉवल मूवमेंट के लिए प्रेरित करती है। मगर कुछ लोग ब्लोटिंग, अपच और एसिडिटी की समस्या से परेशान रहते हैं, जिसके चलते वो पूप की मार्निंग सेंसेशन को मिस कर देते हैं। इसके चलते उन्हें कई दिनों तक कब्ज की समस्या से दो चार होना पड़ता है, जिसका असर मेटाबॉलिज्म पर भी दिखने लगता है। अगर आप भी कब्ज के शिकार है और मार्निंग में स्टूल पास नहीं कर पा रहे हैं, तो योगासनों का निरंतर अभ्यास आपकी इस समस्या को हल कर सकता है। जानते हैं किन योगासनों की मदद से बॉवल मूवमेंट को बनाया जा सकता है नियमित (Yoga for healthy bowel movement )।
इस योगासन को करने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी की समस्या हल होती है। इसके अलावा पाचतंत्र भी मज़बूत बना रहता है। तिर्यक ताड़ासन को करने से नींद न आने की समस्या हल होने लगती है। इसका निरंतर अभ्यास करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे शरीर ब्लोटिंग और अपच की समस्या से दूर बना रहता है।
इसके लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के मध्य 8 से 10 इंच की दूरी बना लें और कमर को एकदम सीधा रखें।
अब ताड़ासन में खड़े हो जाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरे से मिलाएं और उपर की ओर खींचें।
शरीर को एकदम सीधा रखें और अब कमर को दाहिनी ओर झुकाएं और दोनों हाथों को भी दाहिनी ओर लेकर जाएं।
उसके बाद शरीर को बाहिनी ओर झुकाएं और दोनों बाजूओं को भी बाहिनी ओर लेकर जाएं। 1 से 2 मिनट तक इस योगासन का अभ्यास करें।
वेटलॉस में मददगार कटिचक्रासन को करने से लव हैण्डल्स पर जमा अतिरिक्त चर्बी की समस्या हल होने लगती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है। इसके अलावा पेट संबधी समस्याओं से मुक्ति मिलने लगती है।
बॉवल मूवमेंट को नियमित बनाए रखने के लिए कटिचक्रासन का अभ्यास करें। इसके लिए सीधे खड़े हो जाएं और गहरी सांस लें।
अब दोनों बाजूओं को सामने की ओर ले आएं और सीधा कर लें। इसके बाद पैरो के मध्य गैप बनाकर चलें।
कमर को हिलाएं और बाजूओं को कोहनी से मोड़ते हुए दाहिनी ओर लेकर जाएं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंउसके बाद बाजूओं को बाहिनी ओर ले जाएं और गहरी सांस लें व छोड़ें।
लंबे वक्त से चली आ रही कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए उदराकर्षासन का अभ्यास करें। इससे पाचनतंत्र उचित बना रहता है और एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है।
इसके लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। ध्यान रखें की हिप्स जमीन से टच न हों। इस दौरान गहरी सांस लें।
दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। अब दाईं टांग को बाईं ओर ले जाते हुए जमीन से छूएं।
फिर बाईं टांग को दाईं ओर ले जाते हुए जमीन से टच करें। 30 सेकण्ड तक इस योगासन का अभ्यास करें।
इसके बाद जमीन पर बैठ जाएं और शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
कब्ज की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को मालासन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे पेल्विक मसलस मज़बूत बनते हैं और पेट के निचले हिस्से में मांसपेशियों में आने वाली स्टिनेस दूर होता है। साथ ही रक्त का प्रवाह बढ़ने लगता है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब पीठ और दोनों टांगों को एकदम सीधा कर लें।
दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ लें और घुटनों के बल बैठ जाएं। इस मुद्रा के दौरान हिप्स को जमीन से न छूएं।
अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए बैठ जाएं और हाथों से नमस्कार की मुद्रा बनाएं।
बॉवल मूवमेंट को नियमित बनाए रखने के लिए मालासन में बैठकर 250 मिली हल्का गुनगुना पानी पीएं।
इससे कब्ज की समस्या दूर होने लगती है। दिनभर में इसे 5 से 7 बार करें।
मांसपेशियों में आने वाली ऐंठन का दूर करने के लिए ताड़ासन का अभ्यास फायदेमंद है। इससे टांगों में होने वाली ऐंठन और अनियमित बॉवल मूवमेंट से राहत मिलती है। रोज़ाना इसका अभ्यास करने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ डिटॉक्स होने लगते हैं।
इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और घुटनों को भी एकदम सीधा कर लें।
अब दोनों बाजूओं को उपर की ओर खीचों और दोनों हाथों को आपस में मिला लें।
इसके बाद दोनों एड़ियों को उपर की ओर उठाएं और पंजों के बल खड़े रहें।
इसके बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
ये भी पढ़ें- मूलाधार से लेकर सहस्रार तक सातों चक्रों को बैलेंस कर सकते हैं ये 7 योगासन, जानिए कैसे