अक्सर आपने सुना होगा कि डम्बल सिर्फ बाइसेप्स के लिए होते हैं? यह सिर्फ पुरुषों के लिए होता है। विशेषज्ञ इस बात को नकारते हैं। यदि इसका सही ढंग से प्रयोग किया जाए, तो ये महिलाओं की मांसपेशियों को भी मजबूत (Strong Muscles) बना सकते हैं। इसके डेवलपमेंट में मदद कर सकते हैं। डम्बल के साथ एक्सरसाइज न्यूकमर और एक्सपर्ट लिफ्टर दोनों के लिए बढ़िया हैं। फुल-बॉडी डंबल वर्कआउट को कार्डियो के साथ मिला कर करने पर लीन मसल्स हासिल करने और फैट बर्न करने में मदद मिल सकती है। इससे शरीर भी सुडौल दिखेगा और फिटनेस लेवल बढ़ेगा। यहां महिलाओं के लिए डंबल वर्कआउट (Dumbbell workout) कितना फायदेमंद है-विस्तार से बताया जा रहा है।
फिजिकल एक्सरसाइज में डम्बल वर्कआउट जोड़ने से बहुत बड़ा अंतर आ सकता है। महिलाओं के लिए डम्बल वर्कआउट के लाभों को जानने के लिए हेल्थ शॉट्स ने फिटनेस कोच महेश घनेकर से बात की। महेश घनेकर करीना कपूर खान और सोहा अली खान जैसी बॉलीवुड हस्तियों को प्रशिक्षित करते हैं। महेश बताते हैं, “अपने शरीर को मजबूत बनाना और उसे टोन करना वजन कम करने जितना ही जरूरी है।”
डम्बल एक्सरसाइज लीन मांसपेशियां प्राप्त करने, मांसपेशियों को टोन रखने और मांसपेशियों की गतिविधि को बढ़ाने में मदद कर सकता है। टोनिंग और मजबूती के लिए डम्बल प्रैक्टिस जरूरी परिणाम प्राप्त करने में सक्षम बना सकते हैं। जब इन्हें हेल्दी डाइट, भरपूर पानी और सेल्फ केयर के साथ जोड़ा जाता है, तो ये सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं। यदि किसी तरह का कोई मेडिकल हिस्ट्री रही है या चोट है, तो कोई भी फिटनेस कार्यक्रम शुरू करने से पहले डॉक्टर से बात कर लें।”
1 डम्बल एक्सरसाइज मांसपेशियों पर प्रभाव डालता है, जिससे ब्लड अधिक मजबूती से पंप हो पाता है। इससे पूरे शरीर में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है।
2 डम्बल वेटलिफ्टिंग से हृदय रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है। पॉवर बढ़ाने वाला एक्सरसाइज फैट जलाने में मदद करता है। यह लीन मसल्स को बढ़ाता है।
3 डम्बल के साथ एक्सरसाइज करने से बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है। अधिक नींद लेने से वर्कआउट करना आसान हो जाता है।
4 फैट जलने और लीन मांसपेशियां बढ़ने से वजन कम हो जाता है। वजन घटाने के मामले में कार्डियो इतनी ही मदद कर सकता है। सबसे बढ़िया परिणाम पाने के लिए पॉवर ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। यह पॉवर और एनड्योरेंस बनाता है। यह बीएमआर (Basal Metabolic Rate) लेवल को नियंत्रित करता है। यह शरीर को टोन करता है। यह थायरॉइड और पीसीओडी को भी नियंत्रित करता है।
हर कंधे पर एक डम्बल रखें, जिसका एक सिरा सामने की ओर हो।
आपके पैर हिप्स की चौड़ाई जितनेअलग होने चाहिए। एड़ियां मजबूती से जमीन पर टिकी होनी चाहिए।
बेहतर संतुलन के लिए कंधों को पीछे लायें। स्ट्रेट खड़े होकर पेट को पकड़ें।
घुटनों के बल झुकें और बट को पीछे की ओर ले जाएं।
सावधानी बरतें कि आगे की ओर न झुकें।
अपने आप को तब तक नीचे करें जब तक आपकी जांघें जमीन के समानांतर न हो जाएं। इस अवस्था में थोड़ी देर रुकें।
अब अपने घुटनों और हिप्स को सीधा करने और खड़े होने की स्थिति में वापस आने के लिए, एड़ियों पर दबाव डालें। पीठ को स्थिर रखें और चेस्ट को हाई बनाये रखें।
कूल्हों, घुटनों और टखनों को एक स्थान पर टिका लें। शरीर को फर्श की ओर नीचे करें।
शरीर को ऊंचे प्लैंक पोजीशन में रखें। डम्बल को फर्श पर रखें और पैरों को हिप्स जितनी चौड़ाई से अलग रखते हुए पीछे की ओर झुकें।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंजैसे ही आप खड़ी होती हैं, पैरों को हाथों की ओर वापस लायें। डम्बल को अपने साथ ले जाकर एक्सप्लोसिव लिफ्ट के साथ खुद को जमीन से ऊपर उठाएं।
पीठ सीधी रखें और सीधे खड़े रहें।
ओवरहैंड ग्रिप का उपयोग करते हुए प्रत्येक हाथ में एक डम्बल पकड़ कर कंधों पर रखें।
पोर (knuckle) ऊपर की ओर हों। अंगूठे अंदर की ओर हों।
जब आप ध्यान देकर वजन को सिर के ऊपर उठाती हैं, तो सांस छोड़ें।
मूवमेंट के चरम पर थोड़ा रुकें। सांस लें और डम्बल को वापस अपने कंधों पर रखें।
पैरों को शोल्डर की चौड़ाई तक फैलाकर डम्बल हाथ में लेकर सीधे खड़े हो जाएं।
कंधों को नीचे झुकाकर डम्बल को हाथ से पकड़कर उन्हें अपने सामने करें। हिप्स को मोड़कर घुटनों को भी थोड़ा मोड़ें। ग्लूट्स को स्क्वीज कर टेंशन की स्टैंडिंग लाइन का पता लगाएं।
कोर को सक्रिय करने के लिए नाभि को रीढ़ के करीब लाएं और अपनी साइड को तनाव दें।
कंधे को झुका लें। सिर को पीछे की ओर झुकाकर रखें।
डंबल क्रंचेज के दौरान पेट की सभी मांसपेशियां काम करती हैं। यह रेक्टस एब्डोमिनिस और ओब्लिक पर विशेष रूप से काम कर सकता है।
पैरों को फर्श पर फ़्लैट रखते हुए पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
दोनों हाथों का उपयोग करके चेस्ट पर डम्बल पकड़ें।
धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सिर और कंधों सहित शरीर के ऊपरी हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं। कंधा जब ऊपर उठायें तो यह जमीन से केवल चार इंच ऊपर रहना चाहिए। पीठ के निचले हिस्से को ज़मीन पर रखना चाहिए।
जैसे ही उठें, पेट की मांसपेशियों (abdominal muscles) पर स्ट्रेच दें। कुछ सेकेंड्स के लिए कांट्रेक्शन को रोककर रखें। सांस लें और फिर धीरे-धीरे पहले वाली स्थिति में आ जाएं।
जितनी बार आप आराम से कर सकें, उतनी बार दोहराएं।
“क्या 5 किलो का डम्बल महिलाओं के लिए अच्छा है?” यह सवाल अकसर पूछा जाता है। ज्यादातर महिलाएं एक्सट्रीमली मस्कुलर दिखने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहती हैं। महिलाओं को शुरुआत 2 किलो तक के डम्बल से करनी चाहिए। इन्हें ताकत और क्षमता के आधार पर बढ़ाया जा सकता है। शुरुआती महीनों में वजन बढ़ाने की बजाय रिपीटीशन अधिक करने पर ध्यान दें। पुरुषों और महिलाओं के लिए इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह सब व्यक्ति की ताकत, क्षमता, उम्र और वर्कआउट में निरंतरता पर निर्भर करता है।
अपने वर्कआउट में वज़न जोड़ना बुरा नहीं हो सकता, जब तक कि डम्बल के साथ वर्कआउट करते समय आप जिस तकनीक और फॉर्म का उपयोग करते हैं, वह सही (dumbbell workout) होना चाहिए। इससे चोटों या मांसपेशियों में खिंचाव के किसी भी जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
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