जांघों, कूल्हों और पैल्विक मसल्स को मजबूत बनाता है मंडूकासन, इन स्टेप्स के साथ करें इसका अभ्यास

फ्रॉग पोज़ कूल्हे के जोड़ों के लचीलेपन और मूवमेंट को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है। यह मुद्रा कूल्हे के जोड़ों, कमर और भीतरी जांघों को फैलाती है, जो इन क्षेत्रों में तनाव और जकड़न को कम करने में मदद कर सकती है।
मंडूकासन योग परंपरा के पुराने आसनों में से एक है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Published: 8 Jul 2024, 06:13 pm IST
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क्या आपने कभी मेंढक की तरह छलांग लगाने की कोशिश की है? वैसे, योग मुद्रा मंडूकासन (Frog Pose) शायद आपको ऐसी ऊंची छलांगों के लिए बिल्कुल तैयार न करे, लेकिन इसे अभ्यास करने के कई अन्य कारण हैं। चलिए आज आपको बताते है कि आपको फ्रॉग पोज़ क्यों करना चाहिए।

मंडूकासन योग परंपरा के पुराने आसनों में से एक है। 17वीं सदी के क्लासिक हठ योग ग्रंथ घेरंडा संहिता में इसे योग के 32 सबसे मूल्यवान आसनों में से एक बताया गया है। इस मुद्रा का एक और आम नाम “जंपिंग फ्रॉग पोज़” है क्योंकि यह कूदने वाले मेंढक की मुद्रा जैसा दिखता है।

आसन का अभ्यास पारंपरिक रूप से बैठकर ध्यान करने की मुद्रा के रूप में तैयार किया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंडूकासन उन क्षेत्रों को गतिशील करने में मदद कर सकता है जो हमें आसान मुद्रा (सुखासन) और शायद लोटस मुद्रा (पद्मासन) में भी आराम से बैठने की अनुमति देते हैं। मंडूकासन एडिक्टर्स, कमर क्षेत्र और पेट को टारगेट करता है। यह उन लोगों के लिए एक अच्छी मुद्रा है जो अपनी आंतरिक जांघ का लचीलापन बढ़ाना चाहते हैं।

मंडूकासन एडिक्टर्स, कमर क्षेत्र और पेट को टारगेट करता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

अपने एक्सरसाइज रूटीन में फ्रॉग पोज़ को शामिल करने के लाभ

फ्रॉग पोज़ शरीर, मन और आत्मा के लिए कई चिकित्सीय लाभ हैं। इस मुद्रा के कुछ फायदे आज हम आपको बताते है।

1 कूल्हे का लचीलापन बढ़ाता है

फ्रॉग पोज़ कूल्हे के जोड़ों के लचीलेपन और मूवमेंट को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है। यह मुद्रा कूल्हे के जोड़ों, कमर और भीतरी जांघों को फैलाती है, जो इन क्षेत्रों में तनाव और जकड़न को कम करने में मदद कर सकती है।

2 पाचन स्वास्थ्य को बढ़ाता है

फ्रॉग पोज़ पेट के अंगों पर हल्का दबाव डालती है, जो स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। इससे आपकी ब्लोटिंग, अपच या गैस क समस्या को दूर करने में भी मगग मिलती है। ये आरन आपके पेट के हिस्से को लचीला बनाने में भी मदद करता है।

3 तनाव से राहत देता है

फ्रॉग पोज़ शरीर में तनाव और स्ट्रेस को दूर करने में मदद कर सकती है। इस मुद्रा को करते समय आपको गहरी सांस लेनी होती है, जो मन को शांत करने और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है। इसस आपका दिमाग शांत होता है।

4 ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है

फ्रॉग पोज़ कूल्हे और पैर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह मुद्रा इन क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को ठीक कर सकती है, जो सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। अगर आपके कूल्हों या पैरों में दर्द रहता है तो इन आसनों को करें।

5 कोर को मजबूत बनाता है

फ्रॉग पोज़ पेट और पीठ के निचले हिस्से सहित कोर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकती है। मुद्रा के लिए संतुलन और स्थिरता की आवश्यकता होती है, जो आपके पूरे कोर की शक्ति को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।

फ्रॉग पोज या मंडूकासन आपकी सेक्‍स लाइफ में भी सुधार कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
 मंडूकासन आपकी सेक्‍स लाइफ में भी सुधार कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

फ्रॉग पोज को करने का सही तरीका

  1. अपने शरीर को वॉर्म करने के लिए कुछ मिनटों की हल्की स्ट्रेचिंग या योगा सीक्वेंस से शुरुआत करें। कूल्हों, भीतरी जांघों और पीठ के निचले हिस्से पर ज्यादा ध्यान दें।
  2. टेबलटॉप पोजीशन में अपने हाथों और घुटनों के बल आएं। सुनिश्चित करें कि आपकी कलाई आपके कंधों के नीचे और आपके घुटने सीधे आपके कूल्हों के नीचे हों।
  3. धीरे-धीरे अपने घुटनों को चौड़ा करें, उन्हें साइड में ले जाएं। अपने टखनों को अपने घुटनों के साथ लाइन में रखें और अपने पैरों को इस तरह मोड़ें कि आपके पैरों के अंदरूनी किनारे फर्श पर दबाव डाल रहे हों।
  4. अपने कूल्हों को फर्श की ओर नीचे करें, उन्हें अपने घुटनों के साथ लाइन में लाएं। आपको अपनी भीतरी जांघों और कूल्हों में गहरा स्ट्रेच महसूस होना चाहिए।
  5. धीरे-धीरे अपने फोरऑर्म को फर्श पर नीचे करें, अपनी कोहनी को सीधे अपने कंधों के नीचे रखें। यदि जरूरत हो तो आप अपनी छाती या फोरऑर्म के नीचे सहारे के लिए बोल्स्टर या तकिया का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  6. अपनी पीठ को सीधा और अपनी गर्दन को तटस्थ स्थिति में रखें। अपनी रीढ़ को गोल करने से बचें। अपनी पीठ के निचले हिस्से को सहारा देने के लिए अपनी मुख्य मांसपेशियों को एक्टिव करें।
  7. अपने आराम के स्तर और लचीलेपन के आधार पर, 30 सेकंड से 2 मिनट तक इस मुद्रा को बनाए रखें। गहरी और समान रूप से सांस लें, हर सांस छोड़ते समय अपने कूल्हों और आंतरिक जांघों को आराम देने पर ध्यान रखें।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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