‘तनाव, डिप्रेशन और एंग्जायटी’- भागदौड़ भरी जिंदगी में ये शब्द बेहद आम हो गए हैं। अत्यधिक काम के चलते लोगों को अक्सर तनाव होने लगता है, वहीं हालात ये हैं कि काम न होने की वजह से भी लोगों को तनाव हो जाता है। जिसका खामियाजा हमारे स्वास्थ्य को उठाना पड़ता है।
पर क्या आप जानती हैं कि इस तनाव का असर सिर्फ हमारे मस्तिष्क पर ही नहीं होता, बल्कि इसका असर हमारे चेहरे पर भी दिखने लगता है। तनाव की वजह से हमारी उम्र असली उम्र से कहीं ज्यादा लगने लगती है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? तो आइए इस पर बात करते हैं विस्तार से।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अत्यधिक तनाव हमारे डीएनए पर असर डालता है जिसकी वजह से हमारे सेल्स की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया और तेजी से होने लगती है। तनाव की वजह से हमारी त्वचा भी हमारी उम्र से ज्यादा बूढ़ी लगने लगती है।
यहां हमने 5 ऐसी चीज़ें बताई हैं जो यह बताती हैं कि किस तरह तनाव हमें जल्दी बूढ़ा बना देता है।
आंखों के चारों तरफ डार्क सर्कल्स होने के कई कारण होते हैं। अक्सर थकान के कारण भी हमें डार्क सर्कल्स हो जाते हैं। स्ट्रेस की वजह से भी हमारे चेहरे पर डार्क सर्कल्स जैसे कई दुष्प्रभाव दिखने लगते हैं। एक शोध के मुताबिक स्ट्रेस हमारे आंखों के आसपास के टिशूज को डैमेज कर देता है जिस वजह से हमारी आंखें डार्क और पफी दिखने लगती हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक जब हमारी त्वचा के कनेक्टिव टिशूज और इलास्टिन टूट जाते हैं, तब हमारे चेहरे पर रिंकल्स हो जाते हैं। यह प्रक्रिया समय के साथ खुद होती है। इसलिए उम्र के साथ आपके चेहरे पर झुर्रियां बढ़ती जाती हैं।
सिर्फ उम्र बढ़ने की वजह से ही ऐसा नहीं होता। स्ट्रेस भी हमारे चेहरे के टिशूज में मौजूद प्रोटीन को नुकसान पहुंचाता है जिस वजह से हमारे चेहरे पर रिंकल्स नजर आने लगते हैं।
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हमारी त्वचा की बाहरी परत को स्ट्रैटम कॉर्नियम कहते हैं। इसमें प्रोटीन और लिपिड होते हैं जो हमारी त्वचा के सेल्स को हाइड्रेटेड रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब स्ट्रैटम कॉर्नियम में कोई समस्या हो जाती है, तो हमारी त्वचा ड्राई और इचि होने लगती है।
इन्फ्लेमेशन एंड एलर्जी ड्रग टारगेट में प्रकाशित एक रिव्यू के अनुसार कई शोध में यह पाया गया कि स्ट्रेस हमारे स्ट्रैटम कॉर्नियम के फंक्शन को बाधित करता है। जिस वजह से हमारी त्वचा की वाटर रिटेंशन पर फर्क पड़ता है। इसके परिणाम स्वरूप हमारी त्वचा ड्राई और इचि हो जाती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार मेलानोसाइट्स सेल्स एक मेलेनिन नामक पिगमेंट को प्रोड्यूस करता है जिस वजह से हमारे बाल काले रहते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार स्ट्रेस मेलानोसाइट्स प्रोड्यूस करने वाले स्टेम सेल्स को खत्म कर देता है।
जब ये सेल्स खत्म हो जाते हैं तो नए सेल्स भी अपना कलर लूज़ कर देते हैं और हमारे बाल सफेद हो जाते हैं। यहां तक कि क्रॉनिक स्ट्रेस हमारे बालों के उगने और बढ़ने की क्षमता को भी कम कर देता है, जिस वजह से हमारे बाल झड़ने लगते हैं।
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दांतों का कमजोर होना बुढ़ापे का एक लक्षण है। बुढ़ापे में अक्सर दांत कमजोर हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि स्ट्रेस भी हमारे दांतों को कमजोर करता है। दरअसल कुछ लोगों को कभी-कभी आदत होती है कि जब भी स्ट्रेस्ड होते हैं तो अपने दांतों को आपस में घिसना शुरू कर देते हैं। दांतों को आपस में घिसने की वजह से हमारे दांत पूरी तरह से डैमेज हो सकते हैं।
अगर आप भी अक्सर स्ट्रेस में रहती हैं, तो अभी से सावधान हो जाएं। यकीनन आप उम्र से पहले बूढ़ी होना नहीं चाहेंगी।
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