हम सभी चाहते हैं कि हमारी त्वचा शायनी हो। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, सेल टर्नओवर धीमा हो जाता है। डेड स्किन सेल्स का जमाव बढने लगता है। इससे हमारी स्किन डल हो सकती है। जरूरी एक्सफ़ोलिएटिंग रूटीन डेड स्किन की परत को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से हटा सकती है। इससे स्किन हेल्दी, शायनी और युवा लग सकती है। स्किन को कैसे एक्सफ़ोलिएट किया (skin exfoliation) जाये, इसके लिए हमने बात की कॉस्मेटोलॉजिस्ट (cosmetologist) अनुभूति सैनी से।
अनुभूति सैनी कहती हैं, ‘त्वचा को एक्सफोलिएट करने से स्किन चमक जाती है। इससे बेहतर दिखने में मदद मिलती है। स्किन हेल्थ में सुधार होता है। स्किन सेल्स का नवीनीकरण हो जाता है। स्किन की बाहरी परतों को बनाने वाली कोशिकाएं मर जाती हैं, क्योंकि नई कोशिकाएं उनकी जगह लेती हैं। एक्सफ़ोलीएटिंग के जरिये डेड सेल्स पूरी तरह से हटा दी जाती हैं। मृत कोशिकाओं को नहीं हटाने पर स्किन डल दिखती है। समय के साथ स्किन पोर्स अवरुद्ध हो सकते हैं। इससे पिम्प्लस या ऑयली स्किन हो जाती है।’
एक्सफ़ोलिएटिंग गंदगी हटाकर स्किन में निखार लाने में मदद करता है। यह पोर्स को बंद करने, पिम्पल्स के धब्बे, ब्लैकहेड्स और व्हाइट हेड्स को रोकने में मदद करता है। एक्सफ़ोलीएटिंग कोलेजन सिंथेसिस कर स्किन की बनावट में सुधार करता है। स्किन को हेल्दी और युवा दिखने में मदद करता है। स्किन की क्वालिटी के आधार पर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कितनी बार एक्सफोलिएट करना चाहिए। कुछ लोग केमिकल एक्सफोलिएंट्स को पसंद करते हैं, तो कुछ नेचुरल एक्सफोलिएंट को। यह स्किन पर भी निर्भर करता है।
इसे फिजिकल एक्सफोलिएशन (Physical Exfoliation) भी कहा जाता है। यह डेड स्किन सेल्स को मैनुअली हटाता है। इसके लिए ब्रश, स्पंज, स्क्रब का उपयोग किया जाता है।
यह अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड (ग्लाइकोलिक और साइट्रिक एसिड) या बीटा हाइड्रॉक्सी एसिड जैसे सैलिसिलिक एसिड जैसे केमिकल का उपयोग करके डेड स्किन सेल्स को हटाता है।
स्किन को सुरक्षित रूप से एक्सफोलिएट करने के लिए त्वचा के प्रकार के अनुसार किसी एक विधि को चुनना है।
दोनों हाथों पर माइल्ड क्लींजर अच्छी तरह लगा लें। इसे चेहरे पर लगा लें और हल्के हाथों से सफाई करें। साफ़ कर गुनगुने पानी से धो लें।
क्लीन्ज़र को धोने के बाद हाथों से थपथपाकर चेहरे को सुखा लें। हल्का मोइस्ट रहने पर मटर के दाने के बराबर मात्रा में एक्सफ़ोलिएंट लें। इसे माथे, दोनों गालों और ठुड्डी पर छोटी सी बिंदी लगा कर चेहरे पर फैलाएं।
हल्के हाथों से गोलाकार गति में एक्सफ़ोलिएंट को पूरे चेहरे पर फैलाएं। स्किन टाइप के अनुसार एक्सफ़ोलिएटर का उपयोग करें। पलकों और भौंहों के ऊपर अलग तरह के एक्सफ़ोलीएटर का प्रयोग किया जाता है। वहीं चेहरे पर अलग तरह के एक्सफ़ोलीएटर का प्रयोग किया जाता है।
लगभग 30 सेकंड तक अपने चेहरे पर एक्सफोलिएंट को धीरे-धीरे रगड़ लें। अधिक समय तक प्रयोग करने पर स्किन ड्राई हो सकती है। इसे धोने के लिए गुनगुने पानी (Lukewarm Water) का उपयोग करें।
एक्सफ़ोलीएटर का उपयोग करने और साफ़ पानी से धोने के बाद मोइस्टराइज़र का प्रयोग जरूर करें। इससे स्किन की नमी बनी रहेगी। एक्सफ़ोलीएटिंग त्वचा को शुष्क कर सकती है। इसके तुरंत बाद मॉइस्चराइज़र लगाने से त्वचा को नमी की अधिकतम मात्रा सोखने में मदद मिलती है। स्किन हाइड्रेटेड बनी रहती है।
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