पूरे दिन काम करना, प्रदूषण, सूरज की हानिकारक किरणों से लेकर तला हुआ भोजन तक हम जो भी करते और खाते हैं इसका सीधा असर हमारी त्वचा पर दिखाई देता है। इन सभी समस्याओं को कंट्रोल और मैनेज किया जा सकता है। परंतु एजिंग को समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है, अन्यथा यह हाथ से बाहर निकल जाती है। आप में से कई लोग एजिंग को कंट्रोल करने के लिए मार्केट से महंगे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स लेती होंगी, परंतु यह पैसे की बर्बादी के साथ ही केमिकल का लोड लेना है। जो एक समस्या की जगह कई और समस्या होने की संभावना बढ़ा देता है। तो ऐसे में सबसे बेहतर यही है, कि आप प्राकृतिक रूप से आयुर्वेदिक उपचारों को फॉलो करें और अपनी त्वचा का सौंदर्य बनाए रखें।
हालांकि इसके कई कारण हैं, जिसकी वजह से प्रीमेच्योर एजिंग होती है। यहां हम उनमें से 3 प्रमुख कारण बता रहे हैं
1. लाइफस्टाइल – अस्वस्थ खानपान की आदतें।
2. स्ट्रेस – अप्रत्याशित तनाव के कारण स्किन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3. पर्यावरण की स्थिति – सूरज की हानिकारक यूवी रेज, पॉल्यूशन और मौसम के हालात के कारण भी आपकी तरह प्रभावित हो सकती है।
हेल्थ शॉर्ट्स ने आयुर्वेद और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर गौरव त्रिपाठी से बात की और पूछा कि कैसे आयुर्वेद कम उम्र में होने वाली फाइन लाइन, रिंकल्स और झुर्रियों को रोकने में मदद कर सकता है।
डॉक्टर त्रिपाठी कहते हैं “यंग और खूबसूरत दिखने की इच्छा महिलाओं में प्राचीन काल से चली आ रही है। वही पुराने समय से ही आयुर्वेद के पास कई एंटी एजिंग रहस्य छुपे हैं। आयुर्वेद लंबे समय तक जवां बने रहने के लिए त्वचा देखभाल के उपाय बताता है।
आयुर्वेद स्किन केयर, एंटी एजिंग हर्ब्स और उपचार का खजाना है। आयुर्वेद में कई ऐसे प्राकृतिक एंटी एजिंग तत्व पाए जाते हैं, जिसके साथ तरह-तरह की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और मिनरल्स का प्रयोग करके इसका इस्तेमाल कर सकती है। यह आपकी त्वचा को हेल्दी रखने के साथ ही सौंदर्य को भी बनाए रखने में मदद करेगा।
नीचे दिए गए सभी आयुर्वेदिक टिप्स आपके लिए कई रूपों में फायदेमंद हो सकते हैं। एंटी ऑक्सीडेंट, सेल्यूलर प्रोटेक्शन, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी स्ट्रेस प्रॉपर्टीज से भरपूर यह सभी टिप्स आपकी एजिंग की समस्या को नियंत्रित रखेंगे।
हर बार एक प्रकार का फेशियल एक्सप्रेशन बनाने से बचें। जब आप किसी प्रकार का फैसियल एक्सप्रेशन बनाती है, तो आपकी अंडरलाइन मसल्स सिकुड़ जाती है। बार-बार एक ही प्रकार का भाव व्यक्त करने की आदत कम समय में कई बार मांसपेशियों में सिकुड़न पैदा कर देती है। जिस कारण स्थाई रूप से रिंकल आने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आप नियमित रूप से सही स्किन केयर रूटीन को फॉलो नहीं करेंगी तो एजिंग जैसी समस्या से परेशान हो सकती हैं। चेहरे को आयुर्वेदिक हर्बल फेशियल क्लींजर से साफ करने का प्रयास करें, यह आपकी स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखेगा। एजिंग को रोकने के लिए सनस्क्रीम की मदद ले सकती है।
यह आपकी त्वचा को हानिकारक किरणों के संपर्क में आने से होने वाले नुकसान से दूर रहने में मदद करेगा। सूरज की हानिकारक किरणें चेहरे को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए सनस्क्रीन लगाना और जरूरी एहतियात बरतना न भूलें।
आयुर्वेद में इन तीन गुणों की पहचान है वात (वायु तत्व), पित्त (अग्नि तत्व), और कफ (जल तत्व) (ईथर तत्व)। इन तीनों गुणों के असंतुलित होने के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
वात त्वचा (वायु तत्व) – झुर्रियों और एजिंग से बचने के लिए वात त्वचा को जरूरी पोषण देना और रिहाइड्रेटेड रखना जरूरी है। गर्म तेल की मालिश और प्राकृतिक मॉइस्चराइजर फायदेमंद रहेंगे।
पित्त त्वचा (अग्नि तत्व) – नियमित रूप से सनस्क्रीन और फेशियल ऑयल का प्रयोग करें।
कफ त्वचा (जल तत्व) – नियमित रूप से गर्म तेल से चेहरे की मसाज करें, साथ ही स्किन को हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए साफ रखने का प्रयास करें।
पानी आपकी शरीर को हाइड्रेटेड और तरोताजा रखता है। साथ ही यह आपकी स्किन की इलास्टिसिटी को भी बनाए रखता है। जो लोग पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं, उनके शरीर पर दाग-धब्बे, झुर्रियां, सॉफ्टलाइंस जैसी समस्याएं बहुत कम नजर आती हैं। समय से पहले एजिंग होने की संभावना भी बहुत कम होती है।
हल्दी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो सेहत के लिए कई रूपो में फायदेमंद हो सकती है। यह इम्यूनिटी बूस्टर होने के साथ ही ट्रीट कट्स और दर्द कम करने में भी मदद करता है। यह त्वचा की चमक को बनाए रखता है और स्किन को एक यंग लुक देता है। हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जो स्किन के लिए सूरज के हानिकारक यूवी किरणों से बचाने का काम करता है।
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