देर तक धूप की किरणों के संपर्क में रहने से त्वचा पर दाग धब्बों के अलावा रूखापन बढ़ने लगता है। इससे चेहरे पर उम्र से पहले फाइन लाइंस नज़र आने लगती है, तो चेहरे की खूबसूरती को कम कर देती है। अधिकतर लोग सन डैमेज से बचने के लिए सनस्क्रीन Benefits of sunscreen) का इस्तेमाल करते है। मगर दिनों दिन स्किन का बढ़ता रूखापन (causes of skin dryness) और लचीलेपन की कमी कोलेजन की कमी का संकेत है। इससे स्किन सैगिंग का सामना करना पड़ता है। जानते हैं कोलेजन की कमी के संकेत (signs of collagen deficiency) और इसे बूस्ट करने के उपाय भी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कोलेजन एक प्रकार के प्रोटीन को कहा जाता है, जो अमीनो एसिड ग्लाइसिन, प्रोलाइन और हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन से बनकर तैयार होता है। ट्रिपल.हेलिक्स तरीके से तैयार होने वाला कोलेजन त्वचा, हड्डियों, टिशूज और जोड़ों में पाया जाता है। शरीर में कोलेजन का उत्पादन (collagen boosting tips) प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगता है। इसके अलावा मांस, मछली और सप्लीमेंटस से भी इसकी प्राप्ति होती है। स्मोकिंग, अल्कोहल और मीठा अधिक मात्रा में खाने से कोलेजन की मात्रा प्रभावित होने लगती है। इसके चलते त्वचा पर झुर्रियों का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में स्किन एक्सपर्ट डॉ कशिश कालरा बताते हैं कि स्किन में सिरामाइडस कम होने लगते है। ऐसे में स्किन को मॉइश्चराइज़ (skin moisturizer) रखना आवश्यक है। दिनभर से 3 से 4 बार अप्लाई करें। दरअसल, त्वचा सेंसिटिव होने लगती है, ऐसे में धूप से किरणों से बचाएं अन्यथा पिगमेंटेशन की समस्या बढ़ने लगती है। सनस्क्रीन का उचित तरीके से इस्तेमाल करें। रेटिनॉल का इस्तेमाल करें और इसकी शुरूआत पैच टेस्ट से करें। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोलेजन आवश्यक है। कोलेजन से टिशू रिपेयर करके स्किन की इलास्टीसिटी बढ़ने लगती है।
स्किन में कोलेजन की उच्च मात्रा से स्किन हेल्दी और क्लीन दिखने लगती है। मगर शरीर में कोलेजन का घटता स्तर झुर्रियों और महीन रेखाओं का कारण बनने लगता है। इसके अलावा आंखों के नीचे की त्वचा पतली और गहरी होने लगती है। इससे त्वचा में लोच की कमी बढ़ने लगती है और कम उम्र में सैगी स्किन का सामना करना पड़ता है।
कोलेजन फाइबर की मदद से स्किन के लिए इलास्टिन और हायलूरोनिक एसिड की प्राप्ति होती है। इससे त्वचा की नमी और लोच बरकरार रहती है। बहुत से लोगों को कोलेजन की कमी के चलते त्वचा में रूखापन बना रहता है और स्किन के टैक्सचर में बदलाव नज़र आने लगता है।
सैगी स्किन कोलेजन की कमी का मुख्य संकेत है। इसके चलते चेहरे, गर्दन और बाजूबों की त्वचा ढीली नज़र आने लगती है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार उम्र के साथ कोलेजन की कमी का सामना करना पउ़ता है, जिसका असर स्किन के अलावा जोड़ों और अन्य शारीरिक अंगों पर भी दिखने लगता है।
विक्टोरियन कॉस्मेटिक इंस्टीट्यूट की रिसर्च के अनुसार सनसक्रीन की मदद से यूवी रेज के प्रभाव को कम करके कोलेजन फाइबर को डैमेज से बचा जा सकता है। 3 से 4 घंटे में सनस्क्रीन अवश्य अप्लाई करें। इससे त्वचा में बढ़ने वाले मेलेनिन के प्रभाव को रोका जा सकता है।
स्किन में कोलेजन की मात्रा को बूस्ट करने के लिए विटामिन सी कारगर उपाय है। इसमें पाई जाने वाली एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा त्वचा पर बढ़ने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करके स्किन को आफक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करती है। सिरम के अलावा विटामिन से भरपूर फलों का भी सेवन करें। इसके लिए बैरीज़, संतरा और हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।
त्वचा की लोच को बरकरार रखने के लिए रेटिनॉल युक्त प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। इससे डैमेज टिशूज को रियर करके स्किन इलास्टीसिटी बढ़ने लगती है। इसके अलावा चेहरे की स्किन के टेक्सचर में आने वाले बदलाव को भी रिवर्स किया जा सकता है और त्वचा की नमी बनी रहती है।
शरीर में कोलेजन की मात्रा कम होने से त्वचा का रूखापन बढ़ जाता है। ऐसे में स्किन को दिन में 3 से 4 बार मॉइश्चराइज़ करना आवश्यक है। इससे डलनेस को कम करके स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है।
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