स्किन संबधी समस्याओं में शुमार एक्ने का सामना लगभग सभी लोगों को करना पड़ता है। ये समस्या टीनएज से लेकर मेनोपॉज तक महिलाओं में बनी रहती है। शरीर में समय समय पर होने वाले हार्मोनल बदलाव इस समस्या का कारण साबित होते हैं, जिसके चलते इन्हें हार्मोनल एक्ने कहा जाता है। मगर सबसे पहले इस बात की जानकारी एकत्रित करना आवश्यक है कि हार्मोनल एक्ने क्या है और इस समस्या को ट्रीट करने के लिए किन टिप्स की लें मदद (Signs of hormonal acne) ।
इस बारे में ब्यूटी एक्सपर्ट रेखा कुमारी बताती हैं कि शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में निरंतर आने वाले बदलाव के चलते हार्मोन एक्ने का सामना करना पड़ता है। प्रेगनेंसी और पीसीओडी के समय हार्मोन में बढ़ने वाला असंतुलन इस समस्या का कारण साबित होता है। सिस्ट और नोड्यूल स्किन की लेयर्स में बढ़ते हैं। शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाने से सीबम का सिक्रीशन बढ़ने लगता है, जिससे पोर्स में बैक्टीरिया और ऑयल एकत्रित हो जाता है। पोर्स लॉक होकर मुहांसों का रूप ले लेते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार किशोरावस्था में 95 फीसदी लोगों को हार्मोनल एक्ने का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मासिक धर्म, मेनोपॉज़, पॉलीसिस्टिक ओवरीज़ सिंड्रोम और तनाव के कारण भी हार्मोनल एक्ने बढ़ने लगते हैं। ये एक्ने नाक, चिन, चीक्स, फोरहेड और पीठ पर बनने लगते है। ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स के अलावा सिस्ट, पस्ट्यूल, पपल्स और नोड्यूल्स हार्मोनल एक्ने के ही रूप हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स और डेयरी प्रोडक्टस का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन और एंड्रोजन हार्मोन पर उसका असर दिखने लगता है। इससे त्वचा पर एक्ने की समस्या बनी रहती है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में शुगर, डेयरी प्रोडक्टस और रिफाइंड कार्ब्स को सीमित मात्रा में लें। साथ ही त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए आहार में विटामिन और मिनरल के अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड को एड करें।
त्वचा पर मौजूद अतिरिक्त ऑयल से राहत पाने के लिए क्रीमी प्रोडक्टस से बचें और सोने से पहले मेकअप को अवश्य क्लीन कर लें। चेहरे को धोने के लिए नॉनकॉमेडोजेनिक क्लींजर का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा पर बढ़ने वाली ओपन पोर्स की समस्या हल होने लगती है और त्वचा की नमी बरकरार रहती है।
सनस्क्रीन को अप्लाई करने से मुहासों के बाद बढ़ने वाली दाग धब्बों की समस्या हल हो जाती है। सनस्क्रीन की मदद से पोस्ट इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन (post inflammatory hyperpigmentation) को रोकने के अलावा स्किन टिशूज की मरम्मत में मदद मिलती है। त्वचा पर नॉन.कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन को अप्लाई करके समस्या हल होने लगती है। इसके अलावा मेकअप प्रोडक्टस को स्किन के अनुसार ही चुनें।
ऑयल फ्री स्किन प्रोडक्टस के इस्तेमाल के अलावा त्वचा को छीलने और एक्सफोलिएट करने से बचें। इससे त्वचा पर दाग धब्बों का सामना करना पड़ता है और दर्द का सामना करना पड़ता है। साथ ही एक्ने की समस्या भी बढ़ने लगती है। एक्ने पर हाथ न लगाएं और डॉक्टर से अवश्य जांच करवाएं।
शरीर में हार्मोन इंबैलेंस असर नींद पर खिने लगता है। इससे नींद बाधित होने लगती है, जिससे शरीर में कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में एक्ने के अलावा फेशियल हेयर का भी सामना करना पड़़ता है। ऐसे में स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए सोएं।
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