सर्दियों की धूप हर किसी को सुहानी लगती है। दरअसल, सर्दी के मौसम में कुछ देर धूप में रहने से शरीर में गर्माहट पैदा होती हैं। मगर देर तक यूवी रेज़ के संपर्क में रहने से ये त्वचा के नुकसान का कारण बन सकती है। ऐसे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल त्वचा को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। इससे न केवल स्किन हेल्दी रहती है बल्कि त्वचा को कई फायदे भी प्राप्ति होते हैं। जानते हैं सर्दियों में सनस्क्रीन क्यों है आवश्यक।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से त्वचा को विटामिन सी, कोलेजन और हाइलूरोनिक एसिड की प्राप्ति होती है। ऐसे में सनब्लॉक से स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाया जा सकता है। इसके अलावा कोलेजन की मदद से स्किन टिशू की रिपेयरिंग करके स्किन की इलास्टीसिटी को बनाए रखने में मदद मिलती है।
इस बारे में डर्माटोलॉजिस्ट डॉ कशिश कालरा बताते हैं कि सनलाइट तीन रेज़ से मिलकर बनती है, जिसमें अल्ट्रावायलेट, इन्फ़्रारेड और विजिबल रेज़ मौजूद होती है। धूप के अलावा फॉग के दौरान भी अल्ट्रावायलेट रेज़ का प्रभाव त्वचा पर बना रहता है। ऐसे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल कारबर साबित होता है। सर्दियों में सूर्य की किरणों का प्रभाव और साथ ही त्वचा का रूखापन स्किन को दोहरे तरीके से डैमजे करने का काम करते हैं। ऐसे में त्वचा के रूखेपन को कम करने के लिए मॉइश्चराइज़र के अलावा लोशन बेस्ड सनस्क्रीन अवश्य लगाएं।
यूवी रेज़ से स्किन की रक्षा करने वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से इलास्टिन फाइबर की प्राप्ति होती है। इससे त्वचा पर दिखने वाली फाइन लाइंस और झुर्रियों से राहत मिलती है और स्किन हेल्दी रहती है। मेडिसिन प्लस की रिपोर्ट के अनुसार उम्र बढ़ने से त्वचा पर उसका प्रभाव दिखने लगता है। मगर साथ ही लंबे समय तक सूर्य के संपर्क में रहना सिकन सेल्स को डैमेज करके एजिंग का कारण साबित होता है। यूवी रेज़ स्किन पर दिखने वाली 90 फीसदी समस्याओं का कारण साबित होता है। इसे नियमित तौर पर लगाने से त्वचा का लचीलापन बना रहता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार देर तक स्क्रीन देखने से ब्लू लाइट स्किन को नुकसान पहुंचाने लगती है। फेनिलीन बिस डिफेनिलट्रायज़ीन यानि ट्राईएसोरबी से भरपूर एसपीएफ 50 सनस्क्रीन नीली रोशनी से सेलुलर फोटोडैमेज से सुरक्षा परत चेहरे पर बनने लगती है।
कलर सांइस की रिपोर्ट के अनुसार स्क्रीन या इनडोर लाइट्स से सिकन पर ब्लू लाइट को एकपोज़र बढ़ने लगता है। ऐसे में सनस्क्रीन में मौजूद जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे तत्वों से स्किन पर होने वाले उसके असर से बचा जा सकता है।
सनस्क्रीन से न केवल स्किन सेल्स बूस्ट होते है बल्कि सर्दी में बढ़ने वाला रूखापन भी कम किया जा सकता है। दरअसल, शुष्क हवाएं और सूर्य की किरणों ड्राईनेस का कारण साबित होती हैं। लोशन बेस्ट सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से स्किन ड्राईनेस दूर होती है और त्वचा हाइड्रेट रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट आूफ हेल्थ के अनुसार इसमें पाए जाने वाले सेरामाइड्स और हाइलूरोनिक एसिड त्वचा में मॉइश्चर को लाफक करके त्वचा को रूखेपन से बचाते हैं।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से त्वचा में बढ़ने वाले मेलेनिन का स्तर नियंत्रित रहता है और स्किन टोन रहती है। स्किन कैंसर फाउनडेशन के अनुसार एसपीएफ 30 का इस्तेमाल करने के बावजूद 3 फीसदी यूवी रेज़ त्वचा में प्रवेश कर जाती है। वहीं एसपीएफ 50 के इस्तेमाल से 2 फीसदी स्किन प्रभावित होती है।
अधिकतर लोग यूवी रेज़ के संपर्क में आने के बाद स्किन एलर्जी और रैशेज का सामना करते हैं। यूएस डार्मटोलॉजी के अनुसार इसमें मौजूद टिटेनियम ऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड एंक्वि इंग्रीडिएंट के रूप से त्वचा की रक्षा करते हैं। सनबर्न से बचने के लिए दिन में 3 से 4 बार सनसक्रीन का इस्तेमाल करें।
यूवीबी रेज़ के संपर्क में अधिक समय तक बने रहने से सनबर्न और स्किन कैंसर का खतरा बना रहता है। इस समस्या के जोखिम को कम करने के लिए नियमित रूप से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। दरअसल, यूवीए किरणें स्किन में गहराई से प्रवेश करती हैं और त्वचा कैंसर के जोखिम को बढ़ा देती हैं। इससे मेलेनोमा का खतरा बना रहता है।
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