बालों का झड़ना और टूटना लोगों की प्राथमिक समस्याओं में शुमार हो चुका है। बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कई प्रकार के प्रोडक्टस और घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कई बार फिजूल लगने लगता है। दरअसल, बालों की समस्याओं के ज्यों के त्यों बने रहने से लोग हेयरफॉल को लेकर तनाव में रहने लगते हैं। दरअसल, वे लोग जो वेटलॉस जर्नी पर रहते हैं, उन्हें अधिकतर बालों की समस्याओं से जूझना पड़ता है। जानते हैं कैसे पोषण की कमी से बढ़ने लगती है हेयरफॉल की समस्या (hair loss after weight loss)।
इस बारे में बातचीत करते हुए मणिपाल हास्पिटल गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि शरीर में वेटलॉस के दौरान पोषक तत्वों की कमी बढ़ने लगती है। इसके चलते खासतौर से प्रोटीन, मिनरल और विटामिन की कमी का जोखिम बढ़ जाता है। इससे न केवल हेयरफॉल की संभावना बढ़ती है बल्कि बालों के रंग में भी परिवर्तन नज़र आने लगता है। वेटलॉस के दौरान हेल्दी पोषक तत्वों के स्थान पर शुगर और फैटस को घटाने का प्रयास करें। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंटस, विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लें।
पबमेड सेंट्रल की रिपोर्ट की मानें, तो वेटलॉस के कारण बालों की ग्रोथ का रूकना पूरी तरह से सामान्य है। दरअसल, शरीर में पोषक तत्वों की कमी के चलते बालों का झड़ना बढ़ने लगता है। इसके चलते महिलाओं और पुरूषों को कई बार एंडरोजेनिक एलोपीसिया यानि गंजेपन की समस्या से भी होकर गुज़रना पड़ता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार 9 लोगों पर किए एक शोध में पाया गया कि क्रैश डाइटिंग के कारण उन लोगों को 2 से लेकर 5 महीने के भीतर वेटलॉस के साथ हेयरलॉस से भी गुज़रना पड़ा। बालों की ग्रोथ के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों की वेटलॉस डाइट में कटौती करने से बालों की ग्रोथ रूक जाती है।
वज़न कम करने के लिए अक्सर लोग लीन प्रोटीन का सेवन करने लगते हैं। इससे बालों के फॉलिकल्स कमज़ोर हो जाते हैं और बालों का टूटना और झड़ना कम होने लगता है। एनआईएच की एक रिपोर्ट के अनुसार टीशूज की मरम्मतश् पीएच और वॉटर बैलेंस व हार्मोन प्रोडक्शन प्रोटीन पर निर्भर करता है। शरीर में अमीनो एसिड में कमी पाए जाने से बालों का झड़ना और टूटना बढ़ने लगता है।
शरीर को जिंक, प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड न मिल पाने से हेयरलॉस की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा लो कैलोरी डाइट भी इस समस्या को बढ़ा देती है। शरीर को पोषण की प्राप्ति न हो पाने से पौष्टिक तत्वों की कमी का सामना करना पड़ता है, जो बालों की ग्रोथ से लेकर टैक्सचर तक सब कुछ प्रभावित करता है।
छोटी छोटी बातों का तनाव लेने से उसका असर बालों की ग्रोथ पर भी दिखने लगता है। इससे हेयर थिनिंग और हेयरफॉल दोनों की बढ़ने लगते हैं। दरअसल, तनाव बढ़ने से अधिकतर लोग पूरी डाइट नहीं ले पाते हैं, जो स्वास्थय को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसके अलावा मेनोपॉज, प्रेगनेंसी और पीसीओएस समेत कई कारणों से भी हेयरलॉस से होकर गुज़रना पड़ता है।
बालों को टविस्ट और पुल करने से बचें। इससे बालों के फॉलिकल्स कमज़ोर पड़ने लगते है, जिससे बालों का टूटना बढ़ने लगता है। मोटे ब्रेसिज़ वाली कॉम्ब प्रयोग करें। इसके अलावा रात को सोते वक्त बालों को टाइट बांधना हेयर हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है।
बालों को धोने के लिए सामान्य पानी का ही इस्तेमाल करें। इससे बालों की मज़बूती बढ़ती है और हेयर डैमेज का खतरा कम होने लगता है। गरम पानी के प्रयोग से स्कैल्प का रूखापन बढ़ जाता है, जिससे रूसी की समस्या का खतरा बढ़ने लगता है।
बालां को धोने के लिए कैमिकल से भरपूर शैम्पू और कंडीशनर का प्रयोग करनना बालों की नमी को छीन लगता है। इससे बालों में फ्रीजीनेस बढ़ने लगती है। माइल्ड शैम्पू इस्तेमाल करें और रोज़ाना बाल धोने से बचें।
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कस्टमाइज़ करेंबालों का टूटना लगातार जारी रहने से डॉक्टरी सलाह लेनी बेहद आवश्यक है। इससे शरीर में बढ़ने वाले हार्मोनल इंबैलेंस का पता लगाया जा सकता है। साथ ही पोषण की कमी को भी पूरा करने में मदद मिलती है। ऐसे में नियमित आहार को फॉलो करके हेयरफॉल से बचा जा सकता है।
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