खुद को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज़ और सही डाइट का ध्यान रखना ज़रूरी है। वेटलॉस के लिए घंटों तक वर्कआउट करने के बाद बहने वाला पसीना आपके बालों को साथ बहा ले जाने का काम करता है। दरअसल, पसीने के कारण बालों से धूल, मिट्टी और हवा में मौजूद कई दूषित कण चिपकने लगते हैं। इससे बालों में दुर्गंध और खुजली जैसी समस्याएं पनपने लगती है। इसके चलते बालों की ग्रोथ पर इसका असर नज़र आने लगता है। जानते हैं हेयर स्वैटिंग (Hair sweating) के कारण और इससे होने वाले नुकसान भी ।
बालों से जुड़ी समस्याओं पर बातचीत करते हुए छाया परिक्षक एवं नाड़ी विशेषज्ञए भोपाल वैद्य चंद्रशेखर का कहना है कि शरीर में समय समय पर आने वाले कई बदलाव हेयर स्वैटिंग का कारण बन सकते हैं। खासतौर से गर्मियों में ये परेशानी बढ़ने लगती है।
पसीना बालों को डैमेज करने का काम करता है। दरअसल, पसीना स्कल पर नमक और पानी की एक लेयर बना देता है। इससे धीरे धीरे बालों में रूखापन बढ़ने लगता है और बालों के टूटने व झड़ने की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। दरअसल, स्कल पर बहुत से पोर्स होते हैं, जो ब्रीदिंग में सहायक होते हैं। पसीने में मौजूद नमक से न केवल स्कल के पोर्स ब्लॉक हो जाते है बल्कि बालों का टैक्सचर भी खराब होने लगता है। इससे बचने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है।
पसीना आने से बाल एक दूसरे से उलझ जाते है, जिससे आप बालों को खुला नहीं छोड़ पाते हैं। दरअसल, खुले हुए बालों कां सुलझाना संभव नहीं होता है। दूसरी ओर बालों को बांधने से बदबू आती है। बार बार पसीना आने से बालों में दुर्गंध की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में हेयर केयर बहुत ज़रूरी है
जर्नल एक्सपेरिमेंटल डर्मेटोलॉजी के एक रिसर्च के मुताबिक पसीने के कारण स्कैल्प के पोर्स ब्लॉक होने लगते हैं। इससे स्कैल्प की ब्रीदिंग में दिक्कत आने लगती है। इससे बार बार स्कैल्प पर खुजली होने लगती और सिर में पसीने की एक परत जमना शुरू हो जाती है। बालों की ग्रोथ रूक जाती है और पसीने से कमज़ोर होकर बाल टूटने लगते हैं।
अत्यधिक पसीना आने से बालों की रूटस कमज़ोर होने लगती है। दरअसल, बालों में लैक्टिक एसिड बढ़ने से हेयर स्वैटिंग बढ़ जाती है। बालों में मौजूद कैरोटीन से लैक्टिक एसिड के मिलने से बालों की मज़बूती प्रभावित होने लगती है। इससे पी एच लेवल भी सामान्य नहीं रहता है। इससे बाल टूटने और झड़ने लगते हैं।
स्वैटिंग से बालों की त्वचा ऑयली होने लगती है। इससे बालों को टाई करने में भ्ी दिक्कत आती है। बालों में बढ़ने वाले चिपचिपेपन से बालों का टैक्सचर खराब होने लगता है। बार बार शैम्पू करने से भी बालों में तेल की समस्या बनी रहती है।
शरीर में पीरियड साइकिल और मीनोपॉज के चलते होने वाले हार्मोनल बदलाव स्कल पर अत्यधिक पसीने का कारण बन जाते हैं। प्रेगनेंसी और एडोलेसेंस के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तनों का प्रभाव हमारे स्कल पर दिखने लगता है। इससे स्कल की त्वचा ऑयली हो जाती है।
मसालेदार और चटपटे खाद्य पदार्थों में कैप्साइसिन तत्व पाया जाता है। जो नर्वस को स्टिमियूलेट करते है। इससे शरीर में गर्मी बढ़ने लगती है और पसीना आने लगता है। शरीर के बाकी अंगों के अलावा स्कल पर भी पसीना जमा होने लगता है। इससे बालों में चिपचिपाहट रहती है।
देर तक जिम में पसीना बहाने के बाद अगर आप बालों को वॉश नहीं करती हैं, तो इससे बालों को नुकसान होता है। बालों में चिपचिपापन रूसी और बैक्टीरियल इंफेक्शन का कारण बन जाते हैं। इससे बालों में गंदगी जमा होने लगती है और बाल कमज़ोर पड़ जाते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंवर्कआउट के दौरान पसीना सोखने के लिए बालों पर टॉवल हेडबैण्ड लगाना न भूलें। इससे वो पसीना आसानी से सोख लेता है।
ज्यादा तला भुना खाना खाने से बचें। इससे पसीना कम आता है।
बालों को नियमित तौर पर साफ सुथरा रखें। हर्बल प्रॉडक्टस का ही प्रयोग करें।
बालों की जड़ों में नींबू को कुछ देर रगड़े। फिर 15 से 20 मिनट के बाद बालों को धो लें।
हेयर टाई करने के लिए ऐसे हेयर स्टाइल करने से बचें, जिससे आपके बालों में ज्यादा पसीना आने लगता है।
हेयर स्वैटिंग और उससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए नींबू, एलोवेरा और आंवले व शिकाकाई को पानी में भिगोकर उससे बालों को धोने से स्वैटिंग समेत बैक्टीरियल इंफैक्शन से भी राहत मिल सकती है। दरअसल, निरंतर शैंपू का इस्तेमाल बालों के टूटने और झड़ने का कारण बन सकता है। इसके अलावा छाछ में मुल्तानी मिट्टी को मिलाकर सिर पर लेप लगाने से भी पसीने की समस्या दूर होने लगती है।
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