मानसून के दस्तक देते ही शरीर हर वक्त पसीने से तर बतर रहने लगता है। हवा में बढ़ने वाली हयूमिडिटी बॉडी इचिंग का कारण बनने लगती हैं। अक्सर गर्दन, चेहरे, हाथों, पैरों के तलवों और अंडरआर्म्स में खुजली की समस्या बढ़ने लगती है। कई बार सिथेंटिक कपड़े भी शरीर के अंगों में होने वाली खुजली का कारण बनने लगते हैं। जो हीट रैश का कारण साबित होते हैं। इससे बॉडी पर जगह जगह रैडनेस दिखने लगती है। मौसम बदलने के साथ होने वाली इस खुजली को नियंत्रित करने के लिए कई प्रकार के प्रोडक्टस को बॉडी पर अप्लाई करने लगते हैं। मगर समस्या जस की तस बनी रहती है। ऐसे में मम्मी की रसोई में मौजूद ये खास चीजें आपकी खुजली की समस्या का खात्मा आसानी से कर सकती है। जानते हैं वो चीजें, जिनसे खुजली हो जाती है कम (home remedies for itching)।
इस बारे में बातचीत करते हुए भोपाल से छाया परिक्षक एवं नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य चंद्रशेखर ने खुजली को मौसम बदलने के साथ होने वाली एक स्किन प्रोबलम बताया है। उनका कहना है कि कई घरेलू इलाज हमें इस समस्या से बचा सकते हैं। उनके मुताबिक हल्दी एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल होने के चलते इसका सेवन बढ़ाएं। भोजन में हल्दी का प्रयोग ज्यादा करें, जिससे शरीर को खुजली से राहत मिलती है। इसके अलावा बाज़ार में मिलने वाली पांच प्रकार की हल्दी को मिलाकर खाने से पहले उसका सेवन करें। उससे भी राहत मिलती है। नीम का पानी बेहद फायदेमंद है। साथ आप खुजली दूर करने के लिए नीम का तेल या साबुन भी प्रयोग में ला सकती है। इसके अलावा नारियल का तेल भी बेहद उपयोगी सिद्ध होता है।
बचपन से बालों में की जाने वाली नारियल के तेल की चंपी आज भी याद है। बालों को मज़बूत और स्कल को हाइड्रेट रखने वाला नारियल का तेल एंटीबैक्टीरियल गुणों से युक्त होता है। जो हमारी स्किन पर होने वाले रैशेज से हमारी रक्षा करता है। एक नेचुरन माइश्चराइजर के तौर पर प्रयोग किया जाने वाला नारियल का तेल एंटीमाइक्रोबियल गुणों से युक्त है। इसके अलावा ये त्वचा में फिलाग्रिन की मात्रा को बढ़ाता है, जो एक प्रकार का प्रोटीन है। इससे स्किन में नमी बरकरार रहती है और पी एच का बैलेंस भी बनी रहता है। नारियल के तेल को लगाने के लिए उसमें कपूर मिला लें और फिर आप डायरेक्टरी खुजलीग्रस्त जगह पर लगा सकते है। इसे रात को सोने से पहले और नहाने के बाद स्किन पर लगाएं।
एलर्जी या किसी भी प्रकार की खुजली से निपटने के लिए एलोवेरा एक बेहतरीन विकल्प है। इसे स्किन पर अप्लाई करने से ठण्डक का एहसास होने लगता है। एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होने के चलते ये शरीर पर सूजन और रेडनेस को कम कर देता है। एक सप्ताह तक इसका प्रयोग करने से स्किन पर फर्क दिखने लगता है। साथ ही इसमें विटामिन सी और ई की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो स्किन एंजिंग की समस्या को सुलझाता है।
मुल्तानी मिट्टी की तासीर ठण्डी होती है। इसे स्किन पर लगाने से कूलिंग इफेक्ट मिलता है। दो चम्मच मुल्ताली मिटटी में आवश्यकतानुसार गुलाब जल मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से खूब फायदा मिलता है। इससे स्किन नरिश होती है और जलन व खुजली से राहत मिल जाती है। इससे स्किन पर मौजूद अतिरिक्त तेल की समस्या से राहत मिल जाती है। ये सीबम प्रोडक्शन को नियंत्रित करने में भी सहायत है। इसे स्किन पर लगाकर 5 से 7 मिनट तक लगे रहने दें और फिर धो लें। अगर आपकी स्किन पहले से ही रूखी है, तो इसे रिमूव करने के बाद माइश्चराइज़र अवश्य अप्लाई कर लें। इस नेचुरल क्लींजर को आप त्वचा में सप्ताह में 2 से 3 बार लगाएं।
नीम में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो आपकी त्वचा का पूरी तरह से ख्याल रखते हैं। अगर आप भी सीज़न बदलने के साथ त्वचा संबधी समस्याओं से परेशान हैं, तो इचिंग और रैडनेस से बचने के लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें। 10 से 15 मिनट तक उबलने के बाद गैस बंद कर दें और पानी को ठण्डा होने दें। जब पानी ठण्डा हो जाए, तो अफेक्टिड बॉडी पार्टस को पानी में कुछ डिप करके रखें। इससे आपको तुरंत फायदा मिल जाता है।
सेब के सिरके में एसिडिक तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन को रैषेज और इचिंग से बचाते हैं। शरीर में मौजूद संक्रमणों को दूर करने के लिए सेब के सिरके को रूई की मदद से स्किन पर लगाएं और फिर उसे कुछ देर बाद धो लें। इससे स्किन पर बार बार होने वाली खुजली की समस्या दूर होने लगती है।
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