हमें काम-काज के सिलसिले में घर से बाहर निकलना पड़ता है। समग्र स्वास्थ्य के लिए विटामिन डी भी आवश्यक है और इसके लिए त्वचा का धूप के संपर्क में आना जरूरी है।
परंतु कई बार तेज धूप अथवा सूर्य की यूवी किरणों के सीधे संपर्क में आने पर हमारी स्किन के लिए परेशानियां हो सकती हैं। इससे सन एलर्जी होने की संभावना भी हो सकती है। जिससे आपकी त्वचा का स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है। आइए जानें क्या है सन एलर्जी (Sun allergy) और आप इससे कैसे बच सकती हैं।
भारत के ज्यादातार स्थानों पर लगभग 8 महीने तक तेज धूप और गर्मी का प्रभाव रहता है। यदि ऑफिस या वर्क फ्रॉम होता है, तो हमें एसी चलानी पड़ता है। यहां तक कि गाड़ी से यात्रा करने के दौरान भी एसी का इस्तेमाल होता है। इसका भी बुरा प्रभाव हमारी स्किन पर पड़ता है। सन एलर्जी के कारण हमारी स्किन को काफी नुकसान पहुंचता है।
कुछ लोग सूर्य की रोशनी के प्रति काफी सेंसिटिव होते हैं। इसलिए तेज धूप में आते ही उनकी स्किन पर एलर्जी के लक्षण दिखने लगते हैं। सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने पर उनमें पॉलीमॉर्फस लाइट इरप्शन बीमारी हो जाती है। इससे हाथों और चेहरे की स्किन का रंग काला हो जाता है और स्किन पर दाने-लाल चकत्ते जैसी संरचना होने लगती है।
आयुर्वेद मानता है कि यदि आप अपनी स्किन को सुरक्षित रखना चाहती हैं, तो इसका एकमात्र उपाय सन एलर्जी से बचाव है। सन एलर्जी क्या है और इसका उपचार किस तरह किया जा सकता है, इसके बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट ने विस्तार से बताया।
यूवी रेडिएशन के कारण चेहरे और हाथों की स्किन का रंग काला हो जाता है। जिसे पिगमेंट डार्कनिंग कहा जाता है।
पसीने के कारण सनस्क्रीन भी कुछ समय बाद अप्रभावी हो जाती हैं। इसके कारण चेहरे और हाथ पर रेड रैशेज हो जाते हं और खुजली भी होने लगती है। जिसे फोटो टॉक्सिक डर्मेटाइटिस कहा जाता है।
लंबे समय तक एसी में रहने के बाद जब व्यक्ति तेज धूप के संपर्क में आता है, तो उसे स्किन एलर्जी हो जाती है। इसके कारण स्किन काली हो जाती है और त्वचा पर दाने और फुंसी निकल आती हैं। इसे सोलर आर्टीकेरिया कहा जाता है।
क्रीम या सनसक्रीन में मौजूद केमिकल जब सूर्य की रोशनी के संपर्क में आते हैं, तो स्किन पर रेड रैशेज हो जाते हैं। यह समस्या हाइपर सेंसिटिव स्किन में ज्यादा पाई जाती हैं।
डॉ. नीतू कहती हैं, ‘आयुर्वेद मानता है कि स्किन जितना अधिक सूर्य के संपर्क में आएगी, उतना ही ज्यादा उसे नुकसान होगा। हालांकि विटामिन डी के लिए त्वचा का सूर्य की रोशनी के संपर्क में आना जरूरी है। पर इसके लिए सुबह की ताजी धूप सही है। दोपहर की तीखी धूप किसी की भी त्वचा के लिए नुकसानदेह हो सकती है।’
इसलिए सूर्य के सीधे संपर्क में आने से बचें। बाहर निकलने पर चेहरे, हाथ और पैर को अच्छी तरह सूती कपड़ों से ढंक लें। सन एलर्जी से बचाव ही इन समस्याओं से बचने का पहला तरीका है। पर जब यह हो जाती हैं, तो कुछ हर्ब्स भी हैं, जो इस स्थिति में राहत दे सकते हैं –
एलोवेरा: स्किन इन्फ्लेमेशन कम कर स्किन के कालेपन को खत्म करता है।
चंदन : स्किन की टैनिंग को खत्म कर दाग-धब्बों को कम करता है।
खस : स्किन के सूजन को कम कर पिगमेंटेशन कम करता है।
दूर्वा : सन एलर्जी को खत्म करने में बेहद असरकारक है दूर्वा या दूब घास।
विरेचन एक आयुर्वेदिक उपचार है, जिसमें शरीर काे डिटॉक्स किया जाता है। 3-8 दिनों के अंदर किए जाने वाले इस उपचार में आंत स्थित मल को शरीर से बाहर निकालने के लिए कई तरह की औषधि का प्रयोग किया जाता है।
प्राणायाम ब्लड को प्यूरीफाई करता है। यह ऑक्सीजन को कैरी करने की कैपेसिटी को भी बढ़ाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम से स्किन स्वस्थ और चमकदार होती है।
इनके अलावा, पित्त दोष को बढ़ाने वाले तीखे, खट्टे और गर्म भोजन का सेवन बंद कर देना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियों, फल और सलाद का सेवन बढ़ा दें।
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