मोटापा (Obesity) दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जो पिछले 2 दशकों में खतरनाक रूप से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार मोटापे के कारण हर साल 4 मिलियन से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
कैंसर (Cancer) से लेकर हार्ट डिजीज (Heart Disease) तक, डायबिटीज और ब्लड प्रैशर तक, अगर देखा जाए तो हर बीमारी की जड़ मोटापा है। मगर क्या आप जानती हैं कि मोटापा आपकी त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है? ज़्यादातर लोग इस बात से अवगत नहीं हैं, लेकिन यह सच है।
अमेरिकी महिलाओं पर हुये 2017 के एक अध्ययन में पाया गया कि मोटापे से त्वचा की बाधा (Skin Barrier) और मॉइस्चराइजिंग (Moisturizing) कार्यों में काफी कमी आती है। बजाए उनके जो मोटापे से ग्रस्त नहीं हैं।
शरीर में मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है। जब ऐसा होता है, तो त्वचा पर काले, धब्बे (Black Marks) बन सकते हैं, जिन्हें एन्थोसिस नाइग्रिकन्स (acanthosis nigricans) कहा जाता है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां त्वचा फोल्ड होती है- जैसे घुटनों, कोहनी, कमर, बगल और गर्दन। ये पैच भूरे या काले रंग के दिखाई दे सकते हैं। वजन घटाने से एसेंथोसिस नाइग्रिकन्स की उपस्थिति में सुधार हो सकता है।
आपने देखा होगा कि यदि किसी व्यक्ति का वज़न ज़्यादा है, तो उसकी त्वचा में सिलवटें आने लगती हैं। जिसकी वजह से त्वचा में नमी जमने लगती है, जिससे शरीर पर बैक्टीरिया (Bacteria), यीस्ट (Yeast) और फंगस (Fungus) जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।
इसकी वजह से त्वचा पर चकत्ते पड़ सकते हैं, खुजली हो सकती है, या किसी व्यक्ति को यीस्ट इन्फ़ेक्शन (Yeast Infection) का अधिक खतरा हो सकता है। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो डॉक्टर से संपर्क करें और निर्देशों का पालन करते हुए, एंटीफंगल क्रीम (Anti – Fungal Cream) का उपयोग भी कर सकती हैं।
जब वजन तेजी से घटता या बढ़ता है, तो त्वचा की सतह पर खिंचाव के निशान (Stretch Marks) पड़ सकते हैं। स्ट्रेच मार्क्स गुलाबी होने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे लाल हो जाते हैं। बाद में ये बैंगनी हो जाते हैं। समय के साथ वे हल्के हो सकते हैं और सही इलाज या वज़न कम करने से ये लगभग गायब भी हो सकते हैं।
अधिक मोटापा आपके पैरों में नसों को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप वैरिकोज वेंस (Varicose Veins) जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसमें त्वचा की सतह की केशिकाएं टूटने लगती हैं और नसें उभर आती हैं।
वैरिकोज वेंस का उपचार करना मुश्किल हो सकता है और पैरों में दर्द और सूजन भी पैदा हो सकती है। ऐसे में वजन कम करना, सक्रिय रहना और लंबे समय तक बैठने से बचना नसों को खराब होने से बचा सकता है।
मोटापा जूते पहनते वक़्त आपकी पैरों की उंगलियों पर दबाव डाल सकता है। जिससे पैरों में खिंचाव पर पड़ सकता है या आपके पैर जूते के साथ रगड़ भी सकते हैं। इसके अलावा पैरों की उंगलियों और एड़ी की त्वचा छिल सकती है। इस समस्या से बचाव के लिए वजन कम करें और अच्छी तरह से फिट होने वाले जूते पहनें।
तो लेडीज यदि आप भी इन त्वचा संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं तो आपको अपने वज़न पर ध्यान देना चाहिए।
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