खूबसूरत चेहरे पर साथ परफेक्ट जॉलाइन पाना हर किसी की चाहत होती है। मगर चेहरे पर जमा फैट्स के चलते ब्लोटिड चीक्स और डबलचिन की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये समस्या, उम्र, गलत लाइफस्टाइल या जेनेटिक्स के चलते बढ़ने लगती है। इससे मुंह के अंदर मसल्स बिल्ड होने लगते हैं, जिससे चेहरा और गर्दन हैवी नज़र आने लगते है। ऐसे में चेहरे के उचित आकार को पाने के लिए म्यूइंग एक बेहतरीन विकल्प है। जानते हैं कि म्यूइंग किसे कहते हैं और इसके स्टेप्स व फायदे भी (benefits and steps of mewing)।
म्यूइंग यानि मेविंग उस नेचुरल तकनीक को कहा जाता है जिसके तहत जीभ को पैलेट पर रखकर जॉलाइन को उचित आकार देने में मदद मिलती है। इससे जॉलाइन में बदलाव आने के साथ, नींद न आने की समस्या और सांस संबधी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। इस तकनीक की मदद से स्पीच डिसऑर्डर, जबड़े के दर्द और सिनुसाइटिस से भी बचा जा सकता है।
ऑर्थोट्रोपिक्स की शुरूआत ऑर्थोडॉन्टिस्ट डॉ जॉन म्यू ने सन् 1970 में की। इसका मकसद सामने वाले दांतों को अंदर की ओर बढ़ाकर अपर जॉ को एक्सपैंड करना यानि उसका विस्तार करना था। इसके लिए जॉन मेव ने मेविंग यानि म्यूइंग तकनीक की शुरुआत की थी। इसे पांच चरणों में बांटा गया है। इससे जॉ लाइन को बेहतर आकार दिया जा सकता है और ब्लोटिड चीक्स से मदद मिलती है।
इसे करने के लिए सबसे पहले अपने होठों को पूरी तरह से सील कर लें या फिर उनका पाउट बना लें। इसमें आपके आगे के दांत एक दूसरे से टच नहीं होने चाहिए। वहीं पीछे के दांत एक दूसरे से मिले होने चाहिए।
अब अपनी जीभ को अपर पैलेट पर टच करें। इस दौरान दांतों एक दूसरे से मिलाने से बचें। इसके बाद आगे वाले दांतों को आपस में मिलाकर मुंह को खोलें व म का साउंड निकालें। इसे करने से जीभ की मज़बूतह बढ़ती है।
इस एक्सरसाइज़ में अपनी जीभ को अपर पैलेट पर टिकाएं और अपनी गर्दन को पीछे लेकर जाएं और फिर आगे लेकर आएं। इस दौरान अपनी जीभ पर फोकस करें और गर्दन को पीछे और आगे की ओर लेकर जाएं।
इस स्टेप में स्लाइवा को जीभ की मदद से गले में निगलने का प्रयास करें। इसमें चीक्स और दांतों की मदद लिए बगैर केवल जीभ की सहायता से ही स्लाइवा को स्वैलो करें। इस एक्सरसाइज़ को बार बार दोहराएं। इसके नियमित प्रयास से जीभ में लवीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही खाने को चबाने के बाद जीभ की मदद से ही उसे गले तक लेकर जाएं।
अगर आप चबाने का अभ्यास निरंतर नहीं करते हैं, तो उससे चक्सि के अंदर मसल्स बिल्ड होने लगते हैं, जिससे ब्लोटिंग चीक्स की समस्या का सामना करना पड़ता है। मुंह में जितना ज्यादा चबाने का प्रयास करेगें, उतनी ही जॉलाइन शार्प होने लगती है। इसके लिए धीरे धीरे चबाएं, जिससे चेहरे कका आकार सुंदर बनता है और डाइजेशन इंप्रूव होने लगता है।
इसे नियमित तौर पर करने से टंग के पोश्चर और फंक्शन में सुधार आने लगता है। इसके अलावा फेशियल मसल्स में सुधार आने लगता है। नियमित तौर पर म्यूइंग करने से जीभ और मांसपेशियों में तालमेल बनने लगता है, जिससे स्पीच इंप्रूव होने लगती है।
जॉ को रीशेप करने से जबड़े में ज्यादा बोलने या हंसने से बढ़ने वाले दर्द से राहत मिल जाती है। म्यूइंग से जबड़े की मज़बूती बढ़ने लगती है और लचीलापन आने लगता है। इस नेचुरल प्रोसेस को दिन में 15 से 30 मिनट तक करने से फायदा मिलता है।
वे लोग जो म्यूइंग का प्रयास करते हैं, उन्हें स्लीप एपनिया की समस्या से राहत मिलती है। सोते वक्त एकदम से ज़ोर ज़ोर से सांस लेना और फिर धीमी हो जाना स्लीप एपनिया के लक्षण हैं। इसके अलावा सोते वक्त स्नोरिंग का सामना करना पड़ता है। म्यूइंग का नियमित अभ्यास इन समस्याओं को हल करने में कारगर साबित होता है।
रोज़ाना म्यूइंग का अभ्यास करने से जबड़ें एक्सपैंड होने लगते हैं। इससे दांतों के मध्य स्पेस बनने लगता है, जिससे दांतों के अलाइनमेंट में मदद मिलती है। इसके निरंतर अभ्यास से दांतों के आगे पीछे आने की समस्या से बचा जा सकता है।
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