आयुर्वेद (Ayurveda) में ऐक्ने (Breakouts) को यौवन-पीड़िका कहा जाता है (यौवन का मतलब है ‘किशोरावस्था’ और पीड़िका का मतलब है ‘फुंसी या छोटे दाने’ यानी मुखदोष (चेहरे की असामान्यता)। आयुर्वेद के मुताबिक, हमारे शरीर में तीन ऊर्जाएं या दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। यही हमारे शरीर में किसी भी असामान्यता के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इसी तरह, शरीर में विकृत पित्त दोष दो अन्य दोषों के साथ शरीर में मुंहासे (ऐक्ने) निकलने के लिए जिम्मेदार होता है। यह बिगड़ा हुआ पित्त रक्त, मांस और मेदा धातु को विकृत करता है। इसके बदले में त्वचा की परतों की गहराई में विषैले पदार्थ (Toxins) इकट्ठा हो जाते हैं।
1. खाने-पीने की अनुचित आदतें (जंक फूड का अत्यधिक सेवन, शरीर के लिए नुकसानदेह भोजन खाना, अनावश्यक रूप से कुछ खाने की तलब होना, खाना खाने का अनियमित समय) मुंहासे का सबसे प्रमुख कारण हैं। जिन टीनेजर्स को अपच (Indigestion) और कब्ज (Constipation) की शिकायत रहती है, उन्हें मुंहासे होने का जोखिम अधिक होता है।
2. तला-भुना, मसालेदार, फ्राइड और फर्मेंटेड भोजन का जरूरत से ज्यादा सेवन करना
3. कम पानी पीना।
4. सोने की अनियमित आदतें/ कम नींद लेना
5. हॉर्मोनल असंतुलन होना, हॉर्मोन्स वाली दवाओं का सेवन करना।
6. मानसिक एवं भावनात्मक तनाव होना
7. कॉस्मेटिक्स एवं दूसरे फेशियल उत्पादों का अत्यधिक इस्तेमाल करना
मुंहासों के लिए आयुर्वेदिक प्रबंधन (बचाव एवं देखभाल) अपनायें और खाने-पीने और जीवनशैली से संबंधित आदतों पर ध्यान दें।
1. अनुशासित जीवनशैली अपनाएं, जैसे कि समय पर खाना खाएं, समय पर सोएं और समय पर जागें।
2. खूब पानी पीयें।
3. अपनी डाइट में अच्छी मात्रा में ताजा फलों और सब्जियों (पकी हुई) को शामिल करें।
4. जब भूख लगे, प्यास लगे, पेशाब आये या फिर शौच जाना हो, तो इसे कभी नहीं रोकें। कहने का मतलब है कि स्वाभाविक प्रक्रियाओं को दबाने की कोशिश न करें।
5. एक आसान एवं लगातार चलने वाले व्यायाम का चुनाव कर उसे अपनी रूटीन बनाएं (जैसे योगा आदि)
6. दिन में दो बार नहायें।
7. हलके-फुलके, आरामदायक और नैचुरल फैब्रिक के कपड़े पहनें।
भारतीय गूज़बेरी ड्रिंक, ताजे आंवला से बना 10-20 एमएल जूस रोज या एक दिन छोड़कर लें। इससे उन सभी कारणों से निपटने में मदद मिलती है, जिसकी वजह से बॉडी ब्रेक-आउट्स (शरीर पर मुंहासे) होता है। यह जूस पाचन में मदद करता है, पित्त को कम करता है, खून को शुद्ध करता है और आपकी त्वचा को तरोताजा और चमकदार बनाता है।
अपने नहाने के पानी में रोज 15-20 नीम की पत्तियाँ मसलकर डालें। इसके एंटीबैक्टीरियल गुणों से माइक्रोब्स के विकास को रोकने में मदद मिलती है और यह त्वचा से विषैले पदार्थों को भी हटाता है। साथ ही यह त्वचा में तेल के उत्पादन को भी नियंत्रित करने में बेहद मददगार है।
नीम की पत्तियों को एंटीऑक्सिडेंट, मॉइश्चराइजिंग ट्राईग्लिसराइड्स और विटामिन ई के साथ उपयोग किया जाता है जिससे यह एक आदर्श एंटी-एजिंग उपचार बन जाता है।
एलोवेरा का पारदर्शी जेल त्वचा के लिए एक मॉइश्चराइजर एवं कूलेंट के तौर पर काम करता है। इसके सूजन-रोधी गुण जलन और उत्तेजना से देखभाल करने में मदद करते हैं। यह नई त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करता है। एलो त्वचा को चिपचिपा बनाए बिना मॉइश्चराज करता है। तो इसलिए यह तैलीय त्वचा वालों के लिए एकदम उपयुक्त है।
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