हाइपरपिगमेंटेशन (Hyperpigmentation) स्किन केयर के लिए सबसे बड़ी समस्या है। आप सबसे अच्छी कंपनी का स्किन केयर प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं। इसके बावजूद फेस स्किन पर दाग-धब्बे नजर आने लगते हैं। इसके कारण आसपास की त्वचा की तुलना में स्किन के धब्बे अधिक डार्क दिखाई देते हैं। यह तब होता है जब स्किन अतिरिक्त मेलेनिन का प्रोड्क्शन करने लगता है। मेलेनिन पिगमेंट के कारण ही स्किन को उसका रंग मिलता है। इसके उपचार और बचाव (Hyperpigmentation on face) के भी उपाय किये जा सकते हैं।
प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कॉस्मेटोलॉजिस्ट और लेजर सर्जन डॉ. नव्या हांडा बताती हैं, ‘ यह किसी भी प्रकार की त्वचा को प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान, अधिक उम्र में या किसी प्रकार की चोट लगने के बाद इसकी संभावना अधिक होती है। जलन, चोट, मुंहासे, चकत्ते या अन्य आघात के कारण स्किन अधिक मेलेनिन का उत्पादन करने लग सकता है और हाइपरपिग्मेंटेशन हो सकता है। हाइपरपिग्मेंटेशन बढ़ती उम्र, मेलास्मा और सूजन के कारण भी हो सकता है। कुछ दवाएं (Medications) और कुछ स्वास्थ्य स्थितियां (Health Problems) भी हाइपरपिग्मेंटेशन का कारण बन सकती हैं।
चेहरे पर हाइपरपिग्मेंटेशन के लक्षणों की पहचान की जा सकती है।
भूरे या काले रंग के पिगमेंट
स्किन पर सूजन या चोट लगने के बाद कलर में बदलाव देखा जाता है
सूरज के संपर्क में आने के बाद स्किन गहरे रंग के हो जाते हैं
फेस पर मौजूद काला धब्बा आकार में बढ़ सकता है
हल्के हाइपरपिग्मेंटेशन के मामले में डॉक्टर ओवर-द-काउंटर (Over the counter medications) दवा लिख सकते हैं। इन दवाओं को बिना प्रिस्क्रिप्शन के भी खरीदा जा सकता है। दवाएं मुख्य रूप से काले धब्बों को हल्का करने के लिए बनाई गई हैं।
हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए ओटीसी मलहम में हाइड्रोक्विनोन एक सामान्य घटक है। इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। किसी भी दवा को लेने से पहले स्किन एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज विटामिन ए के डेरीवेटिव्स रेटिनोइड्स भी कर सकते हैं। यह हाइपरपिग्मेंटेशन की स्थिति और डॉक्टर द्वारा दी गई खुराक पर भी निर्भर करता है। इनका उपयोग गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलायें नहीं कर सकती हैं। उन पर इस दवा का साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
एज़ेलिक एसिड माइल्ड डीपिगमेंटिंग एजेंट है, जो हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज करता है। कोजिक एसिड मेलेनिन के संश्लेषण के लिए जरूरी एमिनो एसिड है।
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कस्टमाइज़ करेंविटामिन सी या एस्कॉर्बिक एसिड और नियासिनमाइड विटामिन बी 3 का डेरिवेटिव है। यह त्वचा में कोलेजन उत्पादन को नियंत्रित करता है ।
ये इन-क्लिनिक प्रक्रियाएं हैं, जो प्रभावी होती हैं। इसके लिए लेजर थेरेपी की कई सिटिंग की जरूरत पड़ती है और परिणाम जल्दी दिखाई देते हैं।
हाइपरपिगमेंटेशन से आसानी से बचाव किया जा सकता है।
धूप में बाहर निकलते समय सनस्क्रीन लगाएं। 30 से 50 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाने से आप हानिकारक प्रभावों से बची रहेंगी। स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन यूवीए और यूवीबी दोनों किरणों से बचाता है। दिन के समय हर 2-3 घंटे में बाहर निकलने से आधे घंटे पहले दोबारा लगाएं। बहुत अधिक पसीना आने पर स्वेट-प्रूफ़ सनब्लॉक लगायें।
अच्छी स्किन केयर रूटीन अपनाएं। त्वचा को बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ता है। चाहे वह प्रदूषण जैसे बाहरी कारकों के कारण हो या तनाव जैसे आंतरिक कारकों के कारण। अपनी स्किन के अनुसार स्किन प्रोडक्ट का उपयोग करें।
इसके अलावा, टोक्सिन फ्री प्रोडक्ट चुनें, जो अल्कोहल, सल्फेट्स और पैराबेंस से मुक्त हों। फेस पर हाइपरपिगमेंटेशन से बचाव के लिए प्राकृतिक प्रोडक्ट जैसे कि एलोवेरा जेल, फ्रूट मास्क, शहद आदि का प्रयोग भी स्किन पर कर सकती हैं।
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