बढ़ती उम्र के साथ शरीर पर इसके असर शुरू हो जाते हैं। सबसे ज्यादा इसके असर हमारी स्किन पर होते हैं। महिलाओं में ये असर अक्सर मेनोपॉज (estrogen after menopause) के बाद से ही दिखने लगते हैं। इस वक्त उनके शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन्स की कमी होनी शुरू हो जाती है, जो स्किन हेल्थ के लिए जरूरी है। बदलते दौर में स्किन एजिंग की समस्या से निपटने के लिए डॉक्टर्स एक तरीका सुझा रहे हैं। वो तरीका ये कि स्किन को झुर्रियों से बचाने के लिए और स्किन हेल्थ दुरुस्त रखने के लिए एस्ट्रोजन की मदद ली जाए। तो क्या ये मुमकिन है कि एस्ट्रोजन स्किन की झुर्रियों को दुरुस्त कर सकता है और स्किन एजिंग के असर कम कर सकता है? आज इन्हीं सब सवालों के जवाब तलाशेंगे एक्सपर्ट की मदद से।
एस्ट्रोजन एक हार्मोन ही है जो शरीर में पाया जाता है। महिलाओं में ये ज्यादा मात्रा में मिलता है। पुरुषों में भी इस हार्मोन की मौजूदगी होती है लेकिन महिलाओं से बहुत कम। महिलाओं में ये हार्मोन रीप्रोडक्शन हेल्थ, पीरियड्स साइकिल, स्किन और बोन हेल्थ के लिए बहुत जरूरी होता है। ज्यादातर ये महिलाओं की ओवरीज (ovaries) में ही बनता है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में ये भी ये मौजूद होता है।
इसके कम होने पर पीरियड्स और स्किन की सेहत पर इसका असर ज्यादा देखा जाता है। खासकर मेनोपॉज (estrogen after menopause) के दौरान जब महिलाओं को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, स्किन पर झुर्रियां आने लगती हैं और कई बार हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं।
हमने इस सवाल का जवाब लेने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर रत्नाकर शुक्ला से बात की। उनके अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एस्टरोजेन का लेवल घटता जाता है। ऐसे में स्किन की समस्याएं बहुत कॉमन है। एस्ट्रोजन त्वचा में कोलाजेन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो त्वचा को लचीला और मजबूत रखते हैं। जब इन प्रोटीनों का लेवल घटता है, तो स्किन में झुर्रियां, ढीलापन दिखाई देने लगता है। एस्ट्रोजन से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है और स्किन हेल्थ दुरुस्त हो सकती है।
अभी ऊपर ही हमे पढ़ा कि एस्ट्रोजन में कोलाजेन और इलास्टिन नाम के दो प्रोटीन्स की मौजूदगी होती है। ये दोनों प्रोटीन्स त्वचा को मजबूत और लचीला बनाती हैं। इस कारण आपकी स्किन कोमल तो रहती ही है, इसके साथ झुर्रियों से भी दूर रहती है।
एस्ट्रोजन स्किन को हाइड्रेटेड रखता है। इस वजह से स्किन सूखती नहीं है। सूखी स्किन स्किन हेल्थ में गड़बड़ी का कारण है। यही स्किन में झुर्रियों का भी कारण बनती है। अगर शरीर में पर्याप्त एस्ट्रोजन दिया जाए तो इन सब समस्या से बचा जा सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ जब एस्टरोजेन (estrogen after menopause) की कमी शुरू होती है तो उसी के साथ स्किन की ताजगी कम होने लगती है। स्किन का सिकुड़ना भी उम्र बढ़ने के साथ ही शुरू होता है।
एस्ट्रोजन ऐसे में स्किन को पोषण दे सकता है, जिससे आप इन दोनों समस्याओं से बच सकते हैं। एस्ट्रोजन में मौजूद प्रोटीन्स कोलाजेन और इलास्टिन स्किन की लुक्स यंग बना सकते हैं और बढ़ती उम्र के असर को कम कर सकते हैं।
स्किन के साथ साथ ये बालों और नाखूनों के लिए भी फायदेमंद है। एस्ट्रोजन बालों के ग्रोथ को बढ़ाता है और उनको हेल्दी बनाता है, जिससे बाल कम झड़ते हैं। इसके साथ ही ये नाखूनों को भी मजबूत करता है।
डॉक्टर रत्नाकर शुक्ला के अनुसार, उम्र बढ़ने के बाद एस्ट्रोजन (estrogen after menopause) का लेवल अक्सर घट जाता है, जिससे स्किन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ऐसे केस में हम महिलाओं को HRT (Hormone Replacement Therapy) देते हैं जिसकी मदद से उनके अंदर एस्ट्रोजन का लेवल तो बढ़ता ही है और उनकी स्किन को भी फायदा पहुंचता है। लेकिन याद रखें कि इसे पूरी तरह से डॉक्टर के ही देख- रेख में करना है।
बाजार में ऐसे क्रीम और लोशन भी मौजूद हैं जो एस्ट्रोजन से भरपूर हैं और इन्हें स्किन पर लगाने से स्किन एजिंग से बचा जा सकता है। ऐसे क्रीम स्किन को नमी दते हैं जिनसे स्किन पर झुर्रियां होने की संभावना घटती है। ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र बढ़ने के साथ उनकी स्किन चेंज हो रही हैं, डॉक्टर की सलाह पर इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।
फाइटोएस्ट्रोजन खासकर पौधों में पाया जाता है और यह शरीर में एस्ट्रोजन की कमी (estrogen after menopause) को पूरा करने का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है। इसे सोया प्रोडक्ट्स, फल, और सब्जियों से प्राप्त किया जा सकता है। शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ाने का ये सबसे सेफ ऑप्शन है जिसमें कोई खतरा नहीं है।
कुछ सप्लीमेंट्स में एस्ट्रोजन होता है, कई बार डॉक्टर्स इनकी सलाह दे सकते हैं। ये शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं जिसकी वजह से आप स्किन एजिंग से बच सकते हैं।
लेकिन ध्यान रहे इन्हें अपनी मर्जी से नहीं लेना है। डॉक्टर के पास जाना है और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही काम करना है। वरना ये आपके शरीर में हार्मोनल इमबैलेन्स जैसी समस्याएं दे देंगे।
1. शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने से शरीर में हार्मोनल इम्बैलेन्स हो सकता है। इससे महिलाओं में पीरियड्स, मूड स्विंग, सिर दर्द और शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है।
2. एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ना खून को जमा देता है। इससे शरीर में खून के थक्के बन सकते हैं और नसों को नुकसान पहुँच सकता है।
3. हावर्ड गैजेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ना महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का एक बड़ा कारण है। इससे ओवरी कैंसर के भी खतरे बढ़ते हैं।
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