एस्ट्रोजन है खूबसूरत त्वचा का राज़, मेनोपॉज के बाद क्या इसे फिर से बढ़ाया जा सकता है? एक डर्मेटोलॉजिस्ट से जानते हैं

महिलाओं में अक्सर मेनोपॉज के बाद से एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन्स की कमी होनी शुरू हो जाती है जो स्किन हेल्थ के लिए जरूरी है। मेनोपोज के बाद एस्टरोजेन लेना स्किन एजिंग की समस्या से निपटने के लिए कारगर है।
Published On: 14 Jan 2025, 04:03 pm IST

अंदर क्या है

  • क्या है एस्ट्रोजन?
  • एस्ट्रोजन कब हो जाता है कम?
  • एस्ट्रोजन कैसे रोकता है झुर्रियां?
  • एस्ट्रोजन के फायदे
  • एस्ट्रोजन के नुकसान 

बढ़ती उम्र के साथ शरीर पर इसके असर शुरू हो जाते हैं। सबसे ज्यादा इसके असर हमारी स्किन पर होते हैं। महिलाओं में ये असर अक्सर मेनोपॉज (estrogen after menopause) के बाद से ही दिखने लगते हैं। इस वक्त उनके शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन्स की कमी होनी शुरू हो जाती है, जो स्किन हेल्थ के लिए जरूरी है। बदलते दौर में स्किन एजिंग की समस्या से निपटने के लिए डॉक्टर्स एक तरीका सुझा रहे हैं। वो तरीका ये कि स्किन को झुर्रियों से बचाने के लिए और स्किन हेल्थ दुरुस्त रखने के लिए एस्ट्रोजन की मदद ली जाए। तो क्या ये मुमकिन है कि एस्ट्रोजन स्किन की झुर्रियों को दुरुस्त कर सकता है और स्किन एजिंग के असर कम कर सकता है? आज इन्हीं सब सवालों के जवाब तलाशेंगे एक्सपर्ट की मदद से।

एस्ट्रोजन क्या है? ( What is Estrogen)

एस्ट्रोजन एक हार्मोन ही है जो शरीर में पाया जाता है। महिलाओं में ये ज्यादा मात्रा में मिलता है। पुरुषों में भी इस हार्मोन की मौजूदगी होती है लेकिन महिलाओं से बहुत कम। महिलाओं में ये हार्मोन रीप्रोडक्शन हेल्थ, पीरियड्स साइकिल, स्किन और बोन हेल्थ के लिए बहुत जरूरी होता है। ज्यादातर ये महिलाओं की ओवरीज (ovaries) में ही बनता है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में ये भी ये मौजूद होता है।

Jaane estrogen ko kaise balance karna hai.
एस्ट्रोजन लेवल के कम होने का असर पीरियड्स पर ज्यादा देखा जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

इसके कम होने पर पीरियड्स और स्किन की सेहत पर इसका असर ज्यादा देखा जाता है। खासकर मेनोपॉज (estrogen after menopause) के दौरान जब महिलाओं को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, स्किन पर झुर्रियां आने लगती हैं और कई बार हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं।

क्या एस्ट्रोजन त्वचा की उम्र बढ़ने को कम कर सकता है? ( Estrogen after menopause reverse skin aging)

हमने इस सवाल का जवाब लेने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर रत्नाकर शुक्ला से बात की। उनके अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एस्टरोजेन का लेवल घटता जाता है। ऐसे में स्किन की समस्याएं बहुत कॉमन है। एस्ट्रोजन त्वचा में कोलाजेन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो त्वचा को लचीला और मजबूत रखते हैं। जब इन प्रोटीनों का लेवल घटता है, तो स्किन में झुर्रियां, ढीलापन दिखाई देने लगता है। एस्ट्रोजन से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है और स्किन हेल्थ दुरुस्त हो सकती है।

एस्ट्रोजन के फायदे ( Benefits of Estrogen)

1. स्किन का लचीलापन बढ़ेगा

अभी ऊपर ही हमे पढ़ा कि एस्ट्रोजन में कोलाजेन और इलास्टिन नाम के दो प्रोटीन्स की मौजूदगी होती है। ये दोनों प्रोटीन्स त्वचा को मजबूत और लचीला बनाती हैं। इस कारण आपकी स्किन कोमल तो रहती ही है, इसके साथ झुर्रियों से भी दूर रहती है।

2. स्किन की नमी के लिए

एस्ट्रोजन स्किन को हाइड्रेटेड रखता है। इस वजह से स्किन सूखती नहीं है। सूखी स्किन स्किन हेल्थ में गड़बड़ी का कारण है। यही स्किन में झुर्रियों का भी कारण बनती है। अगर शरीर में पर्याप्त एस्ट्रोजन दिया जाए तो इन सब समस्या से बचा जा सकता है।

3. झुर्रियाँ और उम्र बढ़ने के लक्षण कम करना

उम्र बढ़ने के साथ जब एस्टरोजेन (estrogen after menopause) की कमी शुरू होती है तो उसी के साथ स्किन की ताजगी कम होने लगती है। स्किन का सिकुड़ना भी उम्र बढ़ने के साथ ही शुरू होता है।

teen jagah hote hai sabse phele wrinkles
एस्ट्रोजन का इस्तेमाल शरीर को झुर्रियों से बचा सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

एस्ट्रोजन ऐसे में स्किन को पोषण दे सकता है, जिससे आप इन दोनों समस्याओं से बच सकते हैं। एस्ट्रोजन में मौजूद प्रोटीन्स कोलाजेन और इलास्टिन स्किन की लुक्स यंग बना सकते हैं और बढ़ती उम्र के असर को कम कर सकते हैं।

4. बालों और नाखूनों के लिए भी फायदेमंद

स्किन के साथ साथ ये बालों और नाखूनों के लिए भी फायदेमंद है। एस्ट्रोजन बालों के ग्रोथ को बढ़ाता है और उनको हेल्दी बनाता है, जिससे बाल कम झड़ते हैं। इसके साथ ही ये नाखूनों को भी मजबूत करता है।

एस्ट्रोजन इस्तेमाल के तरीके ( How to use estrogen after menopause)

1. हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)

डॉक्टर रत्नाकर शुक्ला के अनुसार, उम्र बढ़ने के बाद एस्ट्रोजन (estrogen after menopause) का लेवल अक्सर घट जाता है, जिससे स्किन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ऐसे केस में हम महिलाओं को HRT (Hormone Replacement Therapy) देते हैं जिसकी मदद से उनके अंदर एस्ट्रोजन का लेवल तो बढ़ता ही है और उनकी स्किन को भी फायदा पहुंचता है। लेकिन याद रखें कि इसे पूरी तरह से डॉक्टर के ही देख- रेख में करना है।

2. एस्ट्रोजन के क्रीम और लोशन

बाजार में ऐसे क्रीम और लोशन भी मौजूद हैं जो एस्ट्रोजन से भरपूर हैं और इन्हें स्किन पर लगाने से स्किन एजिंग से बचा जा सकता है। ऐसे क्रीम स्किन को नमी दते हैं जिनसे स्किन पर झुर्रियां होने की संभावना घटती है। ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र बढ़ने के साथ उनकी स्किन चेंज हो रही हैं, डॉक्टर की सलाह पर इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।

3. फाइटोएस्ट्रोजन (Phytoestrogen)

फाइटोएस्ट्रोजन खासकर पौधों में पाया जाता है और यह शरीर में एस्ट्रोजन की कमी (estrogen after menopause) को पूरा करने का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है। इसे सोया प्रोडक्ट्स, फल, और सब्जियों से प्राप्त किया जा सकता है। शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ाने का ये सबसे सेफ ऑप्शन है जिसमें कोई खतरा नहीं है।

4.एस्ट्रोजन सप्लीमेंट्स

कुछ सप्लीमेंट्स में एस्ट्रोजन होता है, कई बार डॉक्टर्स इनकी सलाह दे सकते हैं। ये शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं जिसकी वजह से आप स्किन एजिंग से बच सकते हैं।

estrogen after menopause
डॉक्टर की सलाह पर एस्ट्रोजन सप्लीमेंट लेना भी आपको स्किन एजिंग से बचा सकता है। चित्र – अडोबीस्टॉक

लेकिन ध्यान रहे इन्हें अपनी मर्जी से नहीं लेना है। डॉक्टर के पास जाना है और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही काम करना है। वरना ये आपके शरीर में हार्मोनल इमबैलेन्स जैसी समस्याएं दे देंगे।

एस्ट्रोजन के नुकसान

1. शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने से शरीर में हार्मोनल इम्बैलेन्स हो सकता है। इससे महिलाओं में पीरियड्स, मूड स्विंग, सिर दर्द और शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है।
2. एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ना खून को जमा देता है। इससे शरीर में खून के थक्के बन सकते हैं और नसों को नुकसान पहुँच सकता है।
3. हावर्ड गैजेट की एक रिपोर्ट  के मुताबिक शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ना महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का एक बड़ा कारण है। इससे ओवरी कैंसर के भी खतरे बढ़ते हैं।

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लेखक के बारे में
राेहित त्रिपाठी
राेहित त्रिपाठी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और लिखने-पढ़ने की आदत। रेख्ता, पॉकेट एफएम, राजस्थान पत्रिका और आज तक के बाद अब हेल्थ शॉट्स के लिए हेल्थ, फिटनेस, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान पर रिसर्च बेस्ड लेखन।

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