हर कोई अपने बालों को रेशमी, चमकदार और हेल्दी बनाए रखने के लिए ख्वाहिशमंद रहता है। इसी वजह से ज्यादातर लोग बालों में कंडीशनर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको शायद इस बात का अहसास नहीं होगा कि बालों के लिए ज्यादा कंडीशनर का इस्तेमाल भी रिस्की हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक कंडीशनर के इस्तेमाल से बालों में अधिक चिकनाई का जोखिम रहता है। इससे बाल खूबसूरत, मुलायम होने की बजाय रूखे और उलझे हो सकते है। ऐसे में बालों को इस तरह के जोखिम से बचाने के लिए संतुलित तरीके से इस्तेमाल करना बेहद आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कि कंडीशनर का उपयोग कितनी बार करना चाहिए।
स्किन, हेयर एक्सपर्ट और ब्लॉगर डॉ. विजय लक्ष्मी सिंह के मुताबिक, ”बालों के लिए कंडीशनर एक मॉइस्चराइजर है। ये सूखे और नाजुक बालों पर एक चिकनी परत बना देते हैं। जिससे बाल उलझकर टूटते नहीं है और कंघी करने में आसानी होती है।
ये आमतौर पर कैटायनिक सर्फेक्टेंट्स (Cationic surfactants) से बना होता है। यह आपके बालों को चिकना करने में मदद करता है। कंडीशनर में कैटायनिक सर्फेक्टेंट्स के अलावा इमोलिएंट, ऑयल और कभी-कभी सिलिकॉन भी इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, सिलिकॉन आपके बालों को चमकदार बनाने और उलझन कम करने में मददगार होता है।
ज्यादातर लोग इस दुविधा में रहते है कि आखिर बालों को कितनी बार कंडीशन करना चाहिए। हालांकि, यह आपके बालों के स्वभाव और उपयोग किए जा रहे कंडीशनर पर डिपेंड करता है।
आमतौर पर जब लोग अपने बालों को कंडीशन करने के बारे में सोचते हैं, तो दिमाग में सबसे पहले रिंस-आउट कंडीशनर का ख्याल आता है। एक्सपर्ट का कहना हैं कि रिंस-आउट कंडीशनर को अपने बालों में शैंपू करने के बाद लगाए। कंडीशनर को एक या दो मिनट बालों में लगे रहने के बाद इसे धो लें।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के मुताबिक, रिंस-आउट कंडीशनर का इस्तेमाल हफ्ते में कुछ दिन ही करना बालों के लिए सेहत के लिए अच्छा होता है। अगर, आपके बाल बहुत तैलीय या नाजुक हैं, तो कंडीशनर का उपयोग बेहद कम करना चाहिए। अधिक कंडीशन से हेयर डाउन का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर आपके बाल रूखे, मोटे, घुंघराले या रंगे हुए हैं, तो आप बालों को ज्यादा बार कंडीशनिंग कर सकते हैं। बालों में रोज़ाना या हर दूसरे दिन कंडीशनर का उपयोग कर सकते हैं। इस तरह के बाल थोड़ी ज्यादा नमी पसंद करते हैं।
लीव-इन कंडीशनर का उपयोग हल्के सूखे बालों को मॉइस्चराइज़ करने और डैमेज बालों के रिपेयर करने के लिए किया जाता है। इसे आप हफ्ते में एक बार इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके बाल घुंघराले, रूखे या डैमेज तो आप इसे अधिक बार लगा सकते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि डीप कंडीशनर, रिंस-आउट और लीव-इन कंडीशनर की तुलना में हैवी होता है। यह बहुत ज्यादा डैमेज बालों को रिपेयर करने और बहुत सूखे बालों को हाइड्रेट करने में मदद करता है। इसे बालों पर 30 मिनट या उससे अधिक समय तक के लिए लगाना पड़ता है। डीप कंडीशनर आमतौर पर हर महीने या महीने में दो बार उपयोग कर सकते हैं।
क्लींजिंग कंडीशनर आपके बालों को साफ और कंडीशन दोनों करता है। यह एक प्रकार का रिंस-आउट कंडीशनर है। इसके इस्तेमाल के बाद आपको अलग से शैम्पू की जरुरत नहीं पड़ती। दूसरे कंडीशनर की तुलना में क्लींजिंग कंडीशनर हल्का होता है। यह आपके बालों का वजन कम नहीं करता है। यह अच्छे या तैलीय बालों वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है।
इसे आप शैम्पू की तरह ही ज्यादा बार इस्तेमाल कर सकते हैं। क्लींजिंग कंडीशनर को तैलीय या महीन बालों के लिए रोज़ाना या हर दूसरे दिन लगा सकते हैं। जिन लोगों के बाल सूखे, मोटे और घुंघराले हैं, उन्हें क्लींजिंग की बजाय दूसरे कंडीशनर का उपयोग करना चाहिए।
आप अपने बालों को जितनी अच्छी तरह से कंडीशनिंग करेंगे, बालों इसका प्रभाव उतना बेहतर पड़ेगा। कंडीशनर को आप अपने पूरे बालों में लगा सकते हैं। लेकिन पतले या तैलीय बालों वाले लोगों को इससे बचना चाहिए। ऐसे लोगों को कंडीशनर को केवल सिरे तक लगाना चाहिए। जिन लोगों के बाल बहुत मोटे या घुंघराले बाल है, उन्हें बालों को अच्छी तरह कंडीशनिंग करना चाहिए। ऐसे लोगों को शैम्पू की जगह कंडीशनर का उपयोग करना चाहिए।
कंडीशनर का संतुलित तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह आपके बालों को कई तरह से लाभ पहुंचा सकता है। लेकिन अगर आप अपने बालों को ओवरकंडीशनिंग कर रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। यह आपके बालों को कई तरह के नुकसान पहुंचा सकता है। तो आइए जानते हैं कि आप कैसे जानें कि आप ओवरकंडीशनिंग कर रहे हैं-
-अत्यधिक चिकनाहट का होना।
-बालों का बाउंसी (Bouncy)और वॉल्यूम का कम होना।
-अत्यधिक शाइनिंग या ग्लोजीनेस।
– गर्मी में बालों में कंघी करने में दिक्कत होना।
अगर आपके बालों में भी उपरोक्त में से कोई लक्षण नजर आ रहे हैं, तो कंडीशनर का उपयोग कम कर देना चाहिए। अगर आप बालों में कंडीशनर का संतुलित तरीके से इस्तेमाल करेंगे, तो बालों में चमक और उन्हें हेल्दी रखने में आपको परेशानी नहीं होगी।
ओवरकंडीशन की तरह अंडरकंडीशन भी बालों के लिए एक समस्या है। अंडरकंडीशन के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-
-बालों का ज्यादा उलझना।
-सूखे या ब्रिटल तार की तरह आसानी से टूट जाना।
-घुंघराले बाल
-बालों में डलनेस।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण आपको अपने बालों में नजर आ रहा है, तो परेशान न हों। बल्कि बालों में ज्यादा बार कंडीशनर लगाने की कोशिश करें। बालों में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर डीप कंडीशनिंग करें।
आपको अपने बालों को कितनी बार कंडीशन करना चाहिए, यह आपके बालों और कंडीशनर पर डिपेंड करता है। पतले या तैलीय बालों के लिए हफ्ते एक में दो बार रिंस-आउट कंडीशनर या क्लींजिंग कंडीशनर का उपयोग करना चाहिए। वहीं, मोटे, घुंघराले या सूखे बालों वाले लोगों को अपने बालों को ज्यादा बार कंडीशन करना चाहिए। बालों में नमी बनाए रखने के लिए लीव-इन या डीप कंडीशनर भी लगा सकते हैं।
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