अनियमित खानपान, अधिक कैफीन का सेवन, नींद की कमी और कई तरह की मेडिकल कंडीशंस ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण (Causes of high blood pressure) साबित होती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि ब्लड प्रेशर का बढ़ता स्तर हदय संबधी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देता है। मगर साथ ही इसका असर त्वचा पर भी दिखने लगता है। बल्ड का प्रेशर बढ़ने से आंतरिक बाहरी बदलाव नज़र आने लगते है। जानते हैं कि कैसे हाई ब्लड प्रेशर त्वचा को कैसे प्रभावित करता है (High blood pressure symptoms on skin) ।
इस बारे में बातचीत करते हुए एमबीबीएस, एमडी, डॉ उर्वशी गोयल बताती हैं कि पर शरीर में हाई ब्लड प्रैशर की समस्या (high blood pressure problem) के चलते त्वचा पर लालिमा (skin redness) बढ़ने लगती है। साथ ही त्वचा पर नीले धब्बे भी नज़र आने लगते है। दरअसल, ब्लड वैसल्स के फैलने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे स्किन में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और स्किन में पतलापन बढ़ जाता है। वे महिलाएं जिन्हें हाई ब्लड प्रैशर रहता है, उन्हें घाव भरने में देरी का सामना करना पड़ता है।
जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन के अनुसार 300,000 सोरायसिस से ग्रस्त लोगों में हाई ब्लड प्रैशर की समस्या समान रूप से पाई गई। जामा डर्माटोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार हाई ब्लड प्रैशर की समस्या बढ़ने से सोरायसिस की समस्या भी बढ़ने लगती है। हाइपरटेंशन (tips to deal with hypertension) से कोलेजन और इलास्टीसिटी कम होने लगती है। इससे त्वचा पर लालिमा बढ़ती है और स्किन पैची होने लगती है। ये समस्याएं तनाव, अल्कोहल, स्पाइसी फूड और मौसम के कारण ट्रिगर होने लगती हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण त्वचा में डलनेस और रूखापन बढ़ने लगता है। इसके चलते त्वचा पतली होने लगती है और झुर्रियों का सामना करना पड़ता है। शरीर में हाई ब्लड प्रेशर के चलते 40 से 50 की उम्र की महिलाएं इस समस्या का सामना करती हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने से त्वचा में लचीलापन कम हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण रक्त कोशिकाओं की क्षति बढ़ जाती है। इससे ब्लड का फ्लो असंतुलित होने लगता है। इसके अलावा शरीर में पोषण और ऑक्सीजन के कमी के चलतमे त्वचा पर लाल और नीले रंग के धब्बे दिखने लगते है। इस स्थिति को पेटीकिया कहा जाता है।
शरीर में ब्लड का प्रवाह उचित न होने से घाव भरने में समय लगता है। दरअसल, रक्त कोशिकाओं के फैलने से सेल्स रिपेयरिंग में समय लगता है, जिससे घाव गंभीर हो जाता है। इसके अलावा स्किन फटने का भी जोखिम बना रहता है। इसके अलावा देर तक जख्म के रहने से संक्रमण का खतरा भी बना रहता है।
शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से त्वचा पर मुहासों और झाइयों का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर नाक पर बनने वाली मुहांसे हाई ब्लड प्रेशर के कारण उबरने लगती है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन की कमी झाइयों का कारण बनने लगती है।
स्किल सेल्स को रिपेयर करने के लिए रेटिनॉल का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा पर बनने वाले दाग धब्बों को कम किया जा सकता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रैशर के कारण रूखापन बढ़ने लगता है, जिससे झुर्रियों की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में स्किन को नियमित रूप से मॉइश्चराइज़ करें और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इसके अलावा कोल्ड कंप्रैस की मदद से स्किन पर बनने वाले निशान कम होने लगते है। साथ ही दिनचर्या को संतुलित रखने से स्किन संबधी समस्याओं से बचा जा सकता है।
आहार में साबुज अनाज, सब्जियां, फल और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स लें। इसके अलावा नमक का ज्यादा सेवन करने से बचें। लो फैट डेयर प्रोडक्टस और लो सेचुरेटिड फैट से भरपूर आहार लें। इससे शरीर में वसा का स्तर कम होने लगता है और शरीर का वज़न व गतिविधि संतुलित बनी रहती है। साथ ही स्किन संबधी समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है।
वेटलॉस की मदद से हाई ब्लड प्रैशर की समस्या से बचा जा सकता है। सिडेंटरी लाइफस्टाइल इस समस्या का कारण साबित होता है। शरीर में फैट डिपॉजिट बढ़ने से वज़न बढ़ने लगता है। इससे बचने के लिए आहार को संतुलित रखें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
रोज़ाना 30 मिनट व्यायाम करने से शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन में सुधार आने लगता है। इससे चलते स्किन पर दिखने वाले संकेतों से बचा जा सकता है। इससे शरीर में कैलोरी स्टोरेज से बचा जा सकता है और स्किन में भी लचीलापन बढ़ने लगता है।