डायबिटीज के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए भारत को “डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” करार कर दिया गया है। काफी यंग ऐज में भी लोग डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं। शरीर में बढ़ता ब्लड शुगर लेवल सेहत के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता है। इस स्थिति में त्वचा भी बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। जिसके लिए हम “डायबिटिक स्किन” (diabetic skin) टर्म का इस्तेमाल करते हैं। डायबिटीज की स्थिति में स्किन काफी ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है जिसकी वजह से तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं आम त्वचा की तुलना में इसे अधिक देखभाल की जरूरत होती है।
हेल्थ शॉट्स ने इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल, गुड़गांव की एसोसिएट डायरेक्टर, डर्मेटोलॉजी डॉ. मनमोहन लोहरा से बातचीत की। उन्होंने इससे जुडी कुछ अहम जानकारी शेयर की है। तो चलिए आज हेडशॉट्स के साथ जानते हैं, क्या है डायबिटिक स्किन साथ ही जानेंगे इस स्थिति में त्वचा की देखभाल करने के कुछ जरूरी टिप्स।
इस स्थिति में त्वचा पर लाल और भूरे रंग के स्पॉट, पैच और लाइन नजर आना शुरू हो जाते हैं। यह आपके चेहरे से लेकर पैर हाथ किसी भी अंग की त्वचा पर नजर आ सकते हैं। हालांकि, यह नुकसान नहीं पहुंचाता। और न ही इनमें दर्द और खुजली होती है।
डॉक्टर के अनुसार इस स्थिति में त्वचा की परत रूखी और पतली होने के साथ-साथ कई बार स्कैली और मोटी हो जाती है। इन दोनों स्थिति में त्वचा पर इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा होती है। साथ ही साथ हीलिंग पावर भी कम हो जाता है। जिसकी वजह से घाव को भरने में अधिक समय लगता है।
वहीं ऐसे में शरीर में जहां-जहां भी त्वचा फोल्ड होती है। उनका ध्यान रखना अधिक जरूरी है, क्योंकि उन जगहों पर आसानी से फंगल और बैक्टीरियल इनफेक्शन फैल सकते हैं।
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यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो खानपान, एक्सरसाइज, स्वस्थ वजन और नियमित गतिविधियों को सही रखते हुए अपने बढ़ते ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने की कोशिश करें। ऐसा करने से त्वचा से जुड़ी समस्याओं को कंट्रोल करना आसान हो जाएगा।
“इलाज से बेहतर बचाव है” यह तो आप सभी ने सुना होगा। यदि आप डायबिटीज की स्थिति में त्वचा से जुड़ी समस्याओं से बचना चाहती हैं, तो सावधान रहें और त्वचा को चोट या किसी प्रकार के कट लगने से बचाएं। ऐसे में घर का काम करते हुए, गार्डनिंग करते हुए या अपने पेट को टहलाते हुए शरीर को पूरी तरह से कवर रखें और अधिक सावधानी बरतने की कोशिश करें। वही ठंडी और गर्म हवा में अपने कान और चेहरे को भी ढक कर रखें।
यदि आपकी त्वचा पर किसी तरह की चोट लगी है या आपके स्किन पर कट लग गया है, तो इस स्थिति में बिना देर किए डॉक्टर से मिलना उचित रहेगा। क्योंकि डायबिटिक स्किन काफी ज्यादा सेंसिटिव होती है, साथ ही साथ इसकी हीलिंग पावर भी बहुत कम हो जाती है। ऐसे में चोट को घरेलू उपचार के भरोसे छोड़ देना आपके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। तो फौरन डॉक्टर से मिले और इसका इलाज करवाएं।
यदि इस स्थिति में आपकी स्किन ड्राई हो गई है, तो ऐसे में इसके प्रति अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि ड्राई स्किन पर क्रेक्स आ जाते हैं। जिसकी वजह से इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में खासकर अपने आर्मपिट के एरिया पर ज्यादा ध्यान दें। नहाते वक्त लंबे समय तक गर्म पानी में न रहें। हमेशा नहाने की अवधि को जितना हो सके उतना छोटा रखें।
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कस्टमाइज़ करेंमाइल्ड शैंपू और साबुन का इस्तेमाल करें और सेंटर क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से दूरी बनाए रखें। नहाने के बाद त्वचा को मॉइश्चराइज करना न भूलें। इसके साथ ही नहाने के बाद स्किन को ड्राई करने के लिए तौलिए से हल्के हल्के स्किन तो टैप करें न कि जोर-जोर से त्वचा को रगड़ना शुरू कर दें। क्योंकि यह आपकी त्वचा के लिए काफी हानिकारक हो सकता है।
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जरूरत से ज्यादा मेकअप प्रोडक्ट्स और केमिकल युक्त स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचें। क्योंकि यह आपकी स्थिति को और ज्यादा खराब कर सकता है। इसलिए जितना हो सके उतना नेचुरल और केमिकल रहित प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
डायबिटीज की स्थिति में इंटिमेट एरिया की स्किन भी प्रभावित होती है। वहीं डायबिटीज की स्थिति में अक्सर लोग अपने प्राइवेट पार्ट में खुजली, रैशेज इत्यादि का अनुभव करते हैं। ऐसे में दिन में दो बार अपने प्राइवेट पार्ट्स को जरूर साफ साफ करें। इसके लिए केमिकल युक्त फेमिनिन हाइजीन प्रोडक्ट्स की जगह माइल्ड सोप का इस्तेमाल करें। पीरियड के दौरान पैड को समय-समय पर बदलती रहें।
प्री डायबिटिक हो या डायबिटीज के मरीज कभी भी त्वचा पर हुए पिम्पल को पॉप न करें।
फॉलिक्यूलिटिस और फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए दिन में दो बार नहाने का प्रयास करें।
इंटिमेट हाइजीन का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है।
एक उचित समय पर नाखूनों को काट लें और इनमें गंदगी जो मान ना होने दें अन्यथा नाखून के अंदर के स्किन के प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है।
ज्यादा टाइट और लंबे समय तक जूते को पहन कर न रहें। खुले और एयर पास होने वाले फुटवियर पहनें।