क्या आप अक्सर अपने शरीर को खरोंचते रहते हैं? क्योंकि आपकी त्वचा ड्राई है और आपको अकसर असहज कर देती है। यह एक सामान्य समस्या है जो पर्यावरण के प्रभाव और आपकी रोजमर्रा की आदतों के कारण हो सकती है। कई बार इसके लिए त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे कि सोरायसिस भी जिम्मेदार हो सकता है। अच्छी खबर यह है कि घरेलू उपायों और ओवर-द-काउंटर दवाओं के माध्यम से राहत मिल सकती है। ड्राई और खुजली वाली त्वचा (Dry itchy skin) के मूल कारणों को समझना और इन सरल घरेलू उपायों का इस्तेमाल करना आपको तुरंत राहत देने में मदद कर सकता है।
ड्राई स्किन, जिसे सोरायसिस भी कहा जाता है (Dry itchy skin), एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा रूखापन और खुजली बढ जाती है। जर्नल अलर्ज़ोलॉजी इंटरनेशनल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार यह स्थिति स्ट्रेटम कॉर्नियम (त्वचा की सबसे बाहरी परत) के काम करने में रुकावट के कारण होती है। इसमें त्वचा की बाहरी परत में फैट और पानी की कमी होती है, जिससे त्वचा की सुरक्षा कम हो जाती है और प्राकृतिक मॉइस्चराइजिंग फैक्टर्स (NMFs) की कमी हो जाती है।
यह स्थिति त्वचा की सुन्दरता को प्रभावित कर सकती है, असुविधा और खुजली का कारण बन सकती है (Dry itchy skin), और यह घाव भरने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। यह अन्य स्किन संबंधी समस्याओं, जैसे सूजन और चकत्तों को भी गंभीर बना सकती है।
स्टैटस पर्ल्स की स्टडी के मुताबिक कॉन्टैक्ट डरमैटाइटिस जिसे एक्जिमा भी कहा जाता है एक एसी त्वचा संबंधी समस्या है जो किसी चीज से एलर्जी या रिएक्शन के कारण होती है। एक व्यक्ति जिसे यह समस्या है, जब किसी प्रकार के एलर्जेंट या रीयाक्टैंट के सम्पर्क में आता है उसे सूजन या असहजता का अनुभव हो सकता है।
जिससे त्वचा में ड्राईनेस और खुजली होती है साथ ही छाले और लालिमा भी बढ सकती है यह कहना है डर्मेटोलॉजीस्ट और काॅस्टैमोलाॅजिस्ट सौम्या का।
जिन वस्तुओं से कॉन्टैक्ट डरमैटाइटिस बढ सकती है-:
ज्वैलरी, सिक्कों और क्लोदिंग फास्टनर्स में पाया जाने वाला निकल ।
साबुन, इत्र, और लोशन में मौजूद खुशबू
इरिटैंट्स-कठोर रसायन, साबुन, डिटर्जेंट, और सॉल्वेंट
दस्ताने, गुब्बारे, और अन्य उत्पादों में पाया जाने वाला लेटेक्स
जब डर्मेटाइटिस वाले व्यक्ति की त्वचा इन पदार्थों के संपर्क में आती है, तो उनकी त्वचा में सूजन और ड्राईनेस आ जाती है। इससे तेज खुजली, असहजता, और कभी-कभी त्वचा का फटना या छिलना भी हो सकता है।
एटोपिक एक्जिमा, जिसे एटोपिक डर्मेटाइटिस भी कहा जाता है, एक पुरानी त्वचा से संबंधित समस्या है जो अक्सर त्वचा में ड्राईनेस और खुजली का कारण बनती है। इसमें लाल और सूजी त्वचा के धब्बे होते हैं, जो सूखे या पपड़ीदार हो सकते हैं, और कभी-कभी इनमें से मवाद भी निकल सकता है।इसके कारण की कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन यह बीमारी आपके जीन्स और आपके चारों ओर के वातावरण के कारण होती है। दोनों कारक मिलकर इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
एटोपिक एक्जिमा वाले लोगों को इरिटैंट और एलर्जेन के प्रति अधिक सेंसटिविटी होती है, जो फ्लेयर-अप को ट्रिगर कर सकते हैं और उनकी त्वचा की ड्राईनेस और खुुजली को बढ़ा सकते हैं। लगातार खुजली करने से त्वचा की सुरक्षा बाधा को और नुकसान होता है, जिससे ड्राईनेस, खुजली, और सूजन एक लगातार समस्या का सिलसिला बन जाता है।
सेबोरेहाइक डर्मेटाइटिस एक त्वचा की समस्या है, जिसमें लाल सूखे त्वचा पर धब्बे होते हैं। यह अक्सर उन क्षेत्रों को प्रभावित करता है जहां ऑयल ग्लैंड्स अधिक होते हैं जैसे सिर, चेहरा और छाती। हालांकि इसके सटीक कारण का पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह Malassezia नामक एक प्रकार के यीस्ट के अत्यधिक बढने से हो सकता है।
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यह यीस्ट त्वचा द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक तेलों पर पलता है, जिससे त्वचा सूजकर ड्राई हो जाती है। सेबोरेहाइक डर्मेटाइटिस में अत्यधिक ड्राईनेस होती है जो खुजली और असहजता का कारण बन सकता है। गंभीर मामलों में, यह भौंहों, पलकें और कान के पीछे भी असर कर सकता है।
सोरायसिस एक पुरानी ऑटोइम्यून स्थिति है, जो त्वचा के बहुत तेजी से बढ़ने का कारण बनती है। यह तेजी से बढते मोटे, पपड़ीदार धब्बों का निर्माण करती है। ये धब्बे आप को खुजली औैर दर्द के साथ शर्मनाक स्थित में डाल सकते है। सोरायसिस में त्वचा का बहुत जल्दी बढ़ना उसकी प्राकृतिक सुरक्षा को कमजोर कर देता है,जिससे ड्राईनेस और जलन होती है।
सूखापन खुजली को बढ़ा सकता है और स्थिति को और भी असहज बना सकता है। इसके अलावा, सोरायसिस से पीड़ित लोग त्वचा में दरारों के कारण इन्फेक्शन के प्रति और सेंसिटिव हो सकते हैं, जिससे समस्या बढ़ सकती है।
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. नीतू बताती हैं, “इनवायरमेंटल फैक्टर्स त्वचा में ड्राईनेस और खुजली के मुख्य कारण बन सकते हैं। ठंडे और सूखे मौसम में त्वचा से नमी कम हो जाती है, जिससे ड्राईनेस बढ़ता है। सेंट्रल हीटिंग और एयर कंडीशनिंग भी अंदर नमी को कम कर देती हैं,जिससे त्वचा और ड्राई हो जाती है। ज्यादा धूप में रहना भी त्वचा की सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है,जिससे ड्राईनेस और जलन होती है।”
इसके अलावा हार्ड साबुन, डिटर्जेंट और सॉल्वेंट जैसे कुछ केमिकल्स और इरिटैंट्स के संपर्क में आने से भी त्वचा में सूखापन और खुजली बढ़ सकती है।
लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी त्वचा में ड्राईनेस और खुजली में योगदान कर सकते हैं। डॉ. नीतू कहती हैं “बार-बार नहाना या शॉवर लेना, खासकर गर्म पानी से, त्वचा के प्राकृतिक तेलों को हटा सकता है, जिससे ड्राईनेस होता है। हार्ड साबुन और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करने से त्वचा में और जलन हो सकती है और आवश्यक नमी कम हो जाती है।
कुछ दवाएं, जैसे डाययूरेटिक्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, और रेटिनॉइड्स, भी सूखी त्वचा का कारण बन सकती हैं,” इसके अलावा, नियमित रूप से मॉइस्चराइज नहीं करने से भी ड्राईनेस और खुजली बढ़ सकती है।
यह ड्राई स्किन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। शॉवर के तुरंत बाद, जब आपकी त्वचा अभी भी हल्की नम हो, एक नरम, बिना किसी फ्रेगरेंस का माॅइस्चराइजर लगाएं। ऐसे मॉइस्चराइज़र चुनें जिनमें ग्लिसरीन, यूरिया या सेरामाइड्स जैसे इन्ग्रीडीएंट्स हों, जो नमी को लॉक करने में मदद करते हैं।
लंबे गर्म स्नान या बाथ आपकी त्वचा से प्राकृतिक तेलों को हटा सकते हैं। छोटे, हल्के गर्म शॉवर लेने का प्रयास करें। एक साफ्ट क्लींजर का उपयोग करें जो आपकी त्वचा को परेशान न करे।
बाहर जाते समय खासकर ठंडे और सूखे मौसम या धूप वाले दिनों में, SPF वाले मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें। यह आपकी त्वचा को हानिकारक UV रेज़ से बचाने में मदद करेगा और ड्राईनेस को रोकने में मदद करेगा।
उन पदार्थों की पहचान करें जो आपकी त्वचा को परेशान कर सकते हैं और उनसे बचें। इसमें साबुन, डिटर्जेंट, फ्रेगरेंस या कुछ कपड़े शामिल हो सकते हैं। पैच टेस्ट से आप संभावित एलर्जन्स की पहचान कर सकते हैं।
पर्याप्त पानी पीना आपकी त्वचा को अंदर से हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। अपनी त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए रोज कम से कम 8 गिलास पानी पीने का प्रयास करें।
यदि आप ड्राई वातावरण में रहते हैं, तो ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करने से हवा में नमी बढ़ सकती है, जो आपकी त्वचा के लिए फायदेमंद हो सकती है। आप अपने डर्मेटोलॉजीस्ट से भी सलाह ले सकते हैं कि क्या ह्यूमिडिफायर का उपयोग आपकी त्वचा के लिए अच्छा है या नहीं।
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