बचपन से ही हमारे माता पिता हमें सर्दियों में अक्सर धूप खिलाने ले जाते थे। गर्मियों में भी सुबह – सुबह धूप में बैठने के कई फायदे होते हैं। धूप हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी है और विटामिन D प्रदान करती है। साथ ही, यह हमारे मन को भी ऊर्जा से भर देती है। मगर धूप में ज़्यादा देर बैठने के कई नुकसान भी हैं, जैसे सन डैमेज। हम बड़ी आसानी से भूल जाते हैं कि सूर्य एक बहुत ही शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत है और इससे निकालने वाली यूवी किरणों की वजह से हमारी त्वचा को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
हेल्थ शॉट्स ने InUrSkin की त्वचा विशेषज्ञ और वेनेरोलॉजिस्ट डॉ सेजल सहेता, से संपर्क किया, जिन्होनें हमें सन डैमेज से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी और यह भी बताया कि ये त्वचा को कैसे नुकसान पहुंचाता है।
ज्यादातर लोग यह भूल जाते हैं कि आपकी त्वचा सिर्फ यह निर्धारित नहीं करती है कि आप कैसे दिखते हैं। बल्कि यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है और हर एक बाहरी कारक के खिलाफ पहले रक्षक के रूप में कार्य करता है। सूरज की किरणें त्वचा के लिए इतनी हानिकारक होती हैं कि ये गंभीर त्वचा संबंधी समस्याओं का का कारण बन सकती हैं।
डॉ सहेता कहती हैं – “यूवी किरणें सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा किरणें हैं जो हमें दिखाई नहीं देती हैं। यह भी दो प्रकार की होती हैं – यूवीए किरणें जो त्वचा की गहरी परतों को प्रभावित करती हैं और यूवीबी किरणें जो त्वचा की सतही परतों को प्रभावित करती हैं।”
यह सबसे बुनियादी प्रभाव है जिसमें सूर्य के संपर्क में आने पर त्वचा का रंग बदलने लगता है। साथ ही, गहरे रंग के पैच भी पड़ जाते हैं जो बिना ट्रीटमेंत के दूर नहीं होते हैं।
सूरज के लंबे समय तक संपर्क में आने पर त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं। साथ ही, लाल – लाल धब्बे भी बनने लगते हैं, जिनमें खुजली भी हो सकती है।
ये छोटे लाल से भूरे रंग के धब्बे होते हैं जो सूर्य के संपर्क वाले क्षेत्रों पर बनते हैं।
ये गाल, नाक और माथे पर दिखाई देने वाले भूरे रंग के धब्बे होते हैं।
त्वचा के नीचे कोलेजन और इलास्टिन में डैमेज या कमी के कारण स्किन एजिंग होने लगती है। इससे फाइन लाइन्स और झुर्रियां आने लगती हैं। यूवी किरणें सीधे कोलेजन और इलास्टिन के स्तर को प्रभावित करती हैं।
ये त्वचा के सूर्य के संपर्क वाले क्षेत्र पर छोटे लाल या त्वचा के रंग के पैच के रूप में देखे जाते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंइस मामले में त्वचा के नीचे की रक्त वाहिकाएं अधिक प्रमुख हो जाती हैं।
स्किन कैंसर जेनेटिक भी हो सकता है। मगर यह सन डैमेज की वजह से भी हो सकत है।
डॉ सहेता कहती हैं, “खुद को धूप से बचना ही यूवी किरणों से बचने का एक मात्र तरीका है। इसलिए, धूप में बाहर निकलने से पहले अपने शरीर को कॉटन के कपड़े से ढकें। साथ ही, कुछ बातों का ध्यान रखें :
डॉ सहेता सलाह देती हैं कि, “घर से निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाएं और यदि लगातार धूप में बाहर निकलें तो हर चार से पांच घंटे में इसे रिफ्रेश करें। सन स्क्रीन के बारे में सबसे बड़ा मिथ यह है कि वे दैनिक आधार पर उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं। यह गलत है और वास्तव में यह बच्चों के लिए भी सुरक्षित हैं।”
डॉ सहेता ने हेल्थ शॉट्स को बताया – “एसपीएफ़ का मतलब सन प्रोटेक्शन फैक्टर है। यह सूर्य की यूवीबी किरणों से सुरक्षा का एक उपाय है। मान लीजिए, अगर आपकी त्वचा 10 मिनट में थोड़ी धूप से झुलस जाती है तो एक एसपीएफ 15 वाला सनस्क्रीन आपकी त्वचा को इस पीरियड में 15 गुना यानी 150 मिनट तक सुरक्षित रखेगा।
एक आम गलत धारणा है कि एसपीएफ़ रेटिंग जितनी अधिक होगी, सुरक्षा उतनी ही बेहतर होगी। वास्तव में एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन ज्यादातर भारतीय त्वचा के लिए काफी अच्छा होता है। मगर, यदि आप दिन में ज़्यादातर समय धूप में बिताती हैं, तो SPF50 या इससे अधिक वाले सनस्क्रीन आपके लिए सही है।
एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन आपकी त्वचा को यूवीए किरणों से भी बचाती है। यूवीए किरणें आपकी त्वचा को समय से पहले बूढ़ा कर देती हैं। इसलिए, एक पीए +++ रेटिंग की तलाश करें।
यदि आपको अक्सर मुंहासे निकलते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका सनस्क्रीन गैर-कॉमेडोजेनिक है। यदि आप समुद्र तट पर एक दिन बिताना चाहते हैं, तो ऐसा सनस्क्रीन चुनें जिसमें पानी से बचाने वाले गुण हों।
डॉ सहेता सलाह देती हैं, “यदि आप अपनी त्वचा को ऊपर बताए गए किसी भी प्रभाव को देखती हैं, तो कृपया त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें। डॉक्टर सन डैमेज के लिए आपको कुछ दवाइयां दे सकते हैं।
इसके अलावा, कुछ उपाय करके आप सन डैमेज को कम कर सकती हैं –
केमिकल पील्स – ये दवाएं डैमेज स्किन को ठीक करती हैं और नई त्वकह को बनाने में मदद करती हैं।
लेज़र स्किन टोनिंग और डी-टैनिंग – लेजर एक्सपोजर के परिणामस्वरूप त्वचा का रंग हल्का हो जाता है और समग्र रूप से त्वचा की रंगत भी निखार जाती है।
त्वचा की पॉलिशिंग – त्वचा की पॉलिशिंग डैमेज त्वचा पर काम करती है और इसे फिर से जीवंत बनाती है।
Iontophoresis के साथ त्वचा कायाकल्प – Iontophoresis एक तंत्र है जिसके द्वारा त्वचा विशेषज्ञ त्वचा की गहरी परतों में दवा ले जाने के लिए एलेक्ट्रिक आयनों की शक्ति का उपयोग करता है।
एंटी-एजिंग उपचार – कभी-कभी झुर्रियों और रेखाओं के रूप में त्वचा को होने वाली क्षति स्थायी होती है। बोटोक्स और फिलर्स का उपयोग करके इसे ठीक किया जा सकता है।
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