यदि हम स्वस्थ हैं, तो पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। इससे हमारे नाखून प्राकृतिक रूप से सुंदर और चमकदार दिखते हैं। हम अपने नाखून की और अधिक सुंदरता बढाने और आकर्षक दिखने के लिए हम तरह-तरह के नेल पेंट नेल्स पर लगाते हैं। वास्तव में नेल पेंट के प्रयोग से हमारे नाखून की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। बाज़ार में कई तरह के मनमोहक नेल पेंट उपलब्ध हैं, जो दावा करते हैं कि उनका प्रोडक्ट टॉक्सिन फ्री है। यहां हमारे लिए ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि नेल पेंट का इस्तेमाल हेल्दी है या अनहेल्दी (nail paint side effects)।
हार्वर्ड हेल्थ नाखून पर नेल पेंट के प्रयोग पर अलग-अलग तरह से शोध करता है। हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, जब सौंदर्य प्रसाधनों की बात आती है, तो नॉन-टॉक्सिक शब्द को समझना जरूरी हो जाता है। नेल पॉलिश के ब्रैंड आमतौर पर फाइव फ्री शब्द का इस्तेमाल करते हैं। यहां फाइव-फ्री से तात्पर्य ऐसे नेल पॉलिश है, जिसमें पांच विशिष्ट तत्व नहीं होते हैं। ये तत्व हैं फॉर्मलडिहाइड, टोल्यूनि, डिब्यूटिल थैलेट, फॉर्मल्डिहाइड रेजिन और केम्फर या कपूर। इन पांचों तत्वों के नहीं रहने पर नेल पॉलिश नॉन टॉक्सिक हो सकते हैं।
ब्रिटेन के वेंकट सेंटर फॉर स्किन एंड सर्जरी में नाखून पर हुए शोध के अनुसार, नेल पॉलिश या नेल पेंट को नेल इनेमल या नेल वार्निश भी कहा जाता है। यह एक चिपचिपा फ्लूइड है, जो मुख्य रूप से फिंगर-नेल और टोनेल की नेल प्लेट की सतह पर लगाया जाता है। यह वाटर रेसिस्टेंट कोटिंग होता है, जो कॉस्मेटिक यूज़ पर बल देता है।
हार्वर्ड हेल्थ इस बात पर जोर देता है कि फॉर्मलडिहाइड प्रीजरवेटिव के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसे अमेरिका का राष्ट्रीय कैंसर संस्थान कैंसर पैदा करने वाले संभावित पदार्थ के रूप में मान्यता देता है। यह एलर्जी के कारण होने वाली सूजन का प्रमुख कारक है। फॉर्मल्डेहाइड रेजिन, डिबूटिल फाथेलेट और टोल्यूनि भी एलर्जी के कारण होने वाले स्किन डिजीज की वजह बन सकता है। आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा में कपूर के तेल का प्रयोग किया जाता है।
यदि मुंह से इसका सेवन किया जाए, तो यह विषैला हो सकता है। कई स्टडी बताती है, नेल पॉलिश में मौजूद रसायन शरीर में अवशोषित हो सकते हैं। यदि नेल पेंट में टॉक्सिन मौजूद है, तो इसके संपर्क में आने से स्किन में जलन, एलर्जी और उल्टी की समस्या हो सकती है। इनके अलावा सांस लेने में परेशानी, कैंसर यहां तक कि रीप्रोडक्टिव ऑर्गन में भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
ब्रिटेन के वेंकट सेंटर फॉर स्किन एंड सर्जरी में नाखून पर हुए शोध रीसर्चगेट में भी शामिल हैं। आलेख में शोधकर्ता सोमदुति चन्द्रा के अनुसार, नेल पॉलिश हटाने की प्रक्रिया भी नाखूनों के लिए हानिकारक हो सकती है। नेल पेंट रिमूवर में एसीटोन मौजूद रहता है, जिसमें डालने पर नाखूनों को नुकसान पहुंच सकता है। यदि आप खुरच कर जल्दबाजी में नेल पेंट को हटाती हैं, तो इससे नेल प्लेट डैमेज हो सकते हैं। वहीं लंबे समय तक नेल पॉलिश लगाने से नाखून में गंभीर रूप से टूट-फूट भी हो सकती है। इससे नेल ड्राई हो सकते हैं।
एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में एमा मेंडेलशन के प्रकाशित शोध नेल पेंट के मुख्य अवयव पर हैं। इसके अनुसार, नेल पॉलिश में ट्राइफिनाइल फॉस्फेट (TPHP) मुख्य सामग्री है। यह फ्लेम रीटार्डेंट या प्लास्टिसाइज़र के रूप में उपयोग किया जाता है।
मनुष्यों में ट्राइफिनाइल फॉस्फेट की विषाक्तता पर बहुत कम डेटा उपलब्ध हैं। लेकिन इसके टॉक्सिक गुणों के मानव जीवन पर प्रभाव बनने की संभावना बनी रहती है। इसका जोखिम अंतःस्रावी प्रभावों, प्रजनन और विकास संबंधी विषाक्तता और जीनोटॉक्सिसिटी से जुड़ा हुआ हो सकता है।
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