सूरज की अल्ट्रावायलेट रे (ultraviolet ray) हमारी स्किन के लिए हानिकारक हैं, जिससे बचाव के लिए सनस्क्रीन (sunscreen) का उपयोग जरूरी है, पर क्या सर्दियों में भी सनस्क्रीन हमारे लिए उतनी ही जरूरी हैं? गर्मियों में धूप ज्यादा तेज होती है इसलिए टैनिंग के डर से हम सनस्क्रीन लगाते है, पर सर्दियों में हमें यह धूप अच्छी लगती है। धूप में रहना अच्छा लगता है। यही वजह है कि हम सनस्क्रीन लगाने से बचने लगते हैं। पर क्या यह सही है? तो जवाब है नहीं! जी हां सर्दियों में भी आपके लिए नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाना जरूरी है। तब भी जब आप इनडोर हों और कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम कर रहीं हों। आइए जानते हैं आपके स्किन केयर और सनस्क्रीन के बारे में ऐसे ही कुछ जरूरी तथ्य।
सर्दियों में धूप सुहानी लगती है। इसलिए हम सनस्क्रीन पर उतना ध्यान नहीं देते। जबकि यह गलत है, क्योंकि सिर्फ मौसम बदलते हैं सूरज की हानिकारक किरणें वही रहती हैं। इसलिए सर्दियों में भी सनस्क्रीन की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी गर्मियों में। सर्दियों में हम धूप के साथ ज्यादा समय तक सूरज की हानिकारक किरणों के संपर्क में होते हैं। इसलिए सर्दियों में सनस्क्रीन और ज्यादा जरूरी हो जाती है।
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सूर्य की किरणों में 3 शक्तिशाली अल्ट्रावायलेट रे (ultraviolet ray) होती हैं, यूवीए (UVA), यूवीबी (UVB) और यूवीसी (UVC)। ओजोन परत (Ozone Layer) यूवीसी को अवशोषित करती है, यूवीसी इन तीनों में सबसे शक्तिशाली है। यूवीबी और यूवीए पृथ्वी को गर्म करती हैं। अगर आप यूवीबी रे के संपर्क में ज्यादा समय तक रहेंगे, तो ये हानिकारक सनबर्न का कारण बन सकती है।
जबकि यूवीए रे स्किन की गहराई में जा सकती हैं और स्किन कैंसर का कारण बन सकती हैं। सर्दियों के महीनों में जब सूरज दिखाई नहीं देता है तब भी ये किरणें वातावरण में मौजूद होती हैं। सनस्क्रीन हानिकारक किरणों से लड़ने में मदद करती है। पर जब आप सनस्क्रीन को नजरअंदाज करती हैं, तो सनबर्न और स्किन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
यह असल में एक मिथ है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी सभी स्किन टाइप के लोगों के लिए 30 या उससे अधिक एसपीएफ (SPF) वाले सनस्क्रीन के नियमित उपयोग की सलाह देता है। हालांकि स्किन कैंसर गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों की तुलना में हल्के रंग की त्वचा वाले लोगों में कहीं अधिक देखा जाता हैं। ऐसी कोई स्पष्ट स्टडी नहीं है जो ये दर्शाती है कि गहरे रंग के लोगों को नियमित सनस्क्रीन लगाने के बाद स्किन कैंसर का खतरा कम होता है।
हेल्थ कनाडा 6 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए सनस्क्रीन के उपयोग की सलाह नहीं देता है क्योंकि बच्चों में पतली एपिडर्मिस होती है जो सनस्क्रीन को शरीर में अवशोषित कर स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ा सकती है। शिशुओं को धूप से बचाव के लिए कपड़े पहनने चाहिए। यदि शिशुओं में सनस्क्रीन का उपयोग किया जाता है, तो विशेषज्ञ इसे जल्द से जल्द धोने की सलाह देते हैं।
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हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार सनस्क्रीन यूवीबी किरणों को रोकता है, जो सूर्य से निकलने वाली शॉर्टवेव किरणें होती है, जो स्किन में विटामिन डी बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए सनस्क्रीन को एक तय मात्रा में लगाने की सलाह दी जाती है, जैसे शरीर के लिए लगभग एक शॉट के गिलास जितनी मात्रा और चेहरे पर एक चम्मच।
कुछ लोग सनस्क्रीन की इस मात्रा से बहुत कम ही इस्तेमाल करते हैं। उन लोगों में विटामिन डी की कमी नहीं होती है। यदि आपको ये चिंता हैं कि सनस्क्रीन आपमें विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ा सकता है तो, आप अपने डॉक्टर से विटामिन डी सप्लीमेंट की सलाह ले सकते है।
कुछ विशेषज्ञ सनस्क्रीन लगाने से पहले 10 से 15 मिनट धूप में रहने की सलाह देते हैं, लेकिन इस बात पर बहस चल रही है कि क्या यह वास्तव में आवश्यक है जब विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों से और सप्लीमेंट के रूप में लिया जा सकता है।
ओजोन लेयर (ozone layer) एटमॉस्फियर (atmosphere) में मौजूद है जो सूर्य से आने वाले हानिकारक किरणों को अवशोषित करती है। सर्दियों के दौरान ये ओजोन लेयर पतली हो जाती है, इसलिए आप सूरज की हानिकारक किरणों के संपर्क में ज्यादा होते है। स्किन कैंसर फाउंडेशन के अनुसार कपड़े पहनने से पहले आपको पूरे शरीर पर एसपीएफ (SPF) लगानी चाहिए। कान और गर्दन जैसी जगहों पर भी सनस्क्रीन लगानी चाहिए जहां आमतौर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।
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