फिटकरी, जिसे अंग्रेजी में एलम (Alum) के नाम से जाना जाता है, एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला नमक है जो कई लाभ प्रदान करता है। एल्यूमीनियम सल्फेट और पोटेशियम सल्फेट का एक संयोजन, यह एक सफेद रंग का क्रिस्टल है। इसका उपयोग सदियों से इसके लाभकारी गुणों के लिए किया जाता रहा है।
पुराने समय से फिटकरी का इस्तेमाल पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद में फिटकरी का उपयोग वर्षों से विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता रहा है। फिटकरी पानी में घुलनशील और शराब में अघुलनशील है। यह मुख्य रूप से विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाती है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार फिटकरी बैक्टीरिया को साफ करने और छिद्रों को कसने में भी मदद कर सकती है, जिससे मुंहासे के घाव कम हो सकते हैं। आपको शायद याद हो, जब तक आफ्टर शेव चलन में नहीं थे, तब पुरुष शेविंग के बाद फिटकरी का ही इस्तेमाल किया करते थे।
फिटकरी शेविंग कट से होने वाले रक्तस्राव को रोकने में मदद करती है। यह त्वचा को ठीक करने में मदद करती है और उसमें एक प्राकृतिक चमक जोड़ती है।
इसमें स्वाभाविक रूप से टोनिंग और त्वचा कसने की क्रिया भी होती है, जो 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए अच्छा होता है और जब त्वचा उम्र के साथ ढीली होने लगती है। आप फिटकरी का पानी प्रभावित जगह पर इस्तेमाल कर सकती हैं।
फिटकरी सांस की दुर्गंध को दूर करने में आपकी मदद कर सकती है। यह सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए एक औषधीय उपाय है। बस एक गिलास गर्म पानी में एक ग्राम फिटकरी और एक चुटकी सेंधा नमक मिलाएं, फिर इसके पानी से कुल्ला करें। इसे पिएं नहीं, इससे आपको घबराहट हो सकती है।
मसूढ़ों से खून आना, दांत कमजोर होना और दांतों की सड़न के लिए फिटकरी सबसे अच्छे घरेलू उपायों में से एक है। एक ग्राम फिटकरी, एक चुटकी दालचीनी और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। इससे मसूड़ों पर धीरे-धीरे मसाज करें और फिर मुंह धो लें।
फिटकरी, एक बेहतरीन डियोड्रेंट का भी काम करती है। आप या तो अपने अंडरआर्म्स पर एक गीली फिटकरी का टुकड़ा रगड़ सकती हैं या अपने बगल में थोड़ा फिटकरी पाउडर लगा सकती हैं। यह शरीर से दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है। इसके लिए आपको हर दूसरे दिन फिटकरी का इस्तेमाल करना चाहिए।
फिटकरी का उपयोग करते समय चुभन या जलन होना भी सामान्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि, ये एंटीसेप्टिक होती है और इसके कसैले गुणों के कारण ऐसा होता है।
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