एक्ने, पिंपल, ब्रेकआउट, ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, इत्यादि जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से लगभग सारी महिलाएं परेशान हैं। आजकल काफी कम उम्र में ही लड़कियां इन समस्याओं का शिकार हो रही हैं। इसके पीछे कई कारण है, वातावरण में बढ़ रहे टॉक्सिंस से लेकर त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले केमिकल युक्त मेकअप प्रोडक्ट और शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी शामिल है। साथ ही स्किन केयर को लेकर चली आ रही अवधारणाएं भी त्वचा संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ा देती हैं। इसलिए किसी भी मिथ पर भरोसा न करें।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए आज हेल्थ शॉट्स आपके लिए लेकर आया है ऐसे ही 5 स्किन केयर मिथ (skin care myths) की जानकारी जो आपकी त्वचा के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहेंगे।
आमतौर पर जिसकी त्वचा ऑयली होती है उन्हें मॉइश्चराइजर के इस्तेमाल से परहेज रखने की सलाह दी जाती है। खासकर गर्मियों में ऑयली स्किन वाले मॉइश्चराइजर नहीं लगाते हैं, परंतु ऑइली स्किन डिहाइड्रेटेड हो सकती है। जिसकी वजह से त्वचा का ऑयल प्रोडक्शन बढ़ जाता है और एक्ने, पिंपल जैसी तमाम समस्याएं हो सकती हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार यदि आपकी त्वचा ऑयली है तो ऐसे में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रहने में मदद करता है। नियमित रूप से मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें यह आपकी त्वचा पर होने वाले ऑयल प्रोडक्शन को कंट्रोल करता है।
आंखों के नीचे हुए सूजन को कम करने के लिए हमें ठंडे पदार्थों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आमतौर पर लोग अपने आंखों के नीचे इस्तेमाल होने वाली क्रीम को रेफ्रिजरेटर में स्टोर करके रखते हैं, जो कि उचित नहीं है। आपके शरीर का तापमान प्राकृतिक रूप से लगभग 98 डिग्री के आसपास होता है, ऐसे में किसी ठंडे पदार्थ को त्वचा पर अप्लाई करती हैं तो वह फौरन गर्म हो जाता है, जो आपकी स्किन के लिए सही नहीं है।
अपने आई क्रीम को बेशक ठंडी जगह पर रखें पर इसे रेफ्रिजरेटर में बंद न करें। इसे डायरेक्ट सनलाइट के संपर्क से दूर रखें। आंखों के नीचे इस्तेमाल होने वाले क्रीम ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलते हैं, इसके अलावा यदि इन्हें रेफ्रिजरेटर में रखा जाए तो इनके कलर और टेक्सचर पर भी असर पड़ता है।
एसपीएस त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से निकलने वाले यूवी रेज से प्रोटेक्ट करता है। यह अवधारणा सालों से चली आ रही है कि जितना ज्यादा एसपीएफ त्वचा उतनी ज्यादा प्रोटेक्टेड रहती है। परंतु ऐसा नहीं है यदि आपके सनस्क्रीन में एसपीएफ-100 है और किसी और सनस्क्रीन का एसपीएफ-50 तो इसका मतलब यह नहीं कि आपकी त्वचा को सनस्क्रीन डबल प्रोटेक्शन देगी।
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100 एसपीएफ सनस्क्रीन यूवी रेज को 99% तक ब्लॉक करती है तो वही एसपीएफ-50 98 प्रतिशत और एसपीएफ-30 97 प्रतिशत। इसलिए जरूरी यह है कि आप बैंड स्पेक्ट्रम फार्मूला का ध्यान रखें और कम से कम एसपीएस 30 सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
सनस्क्रीन को पर्याप्त मात्रा में त्वचा पर सभी ओर अच्छी तरह से लगाएं। यदि आप सूरज की किरणों के संपर्क में लंबे समय तक रहती हैं तो हर 2 घंटे पर सनस्क्रीन को दोबारा से अप्लाई करें। खासकर जब आप स्विमिंग कर रही हैं या आपको अधिक पसीना आ रहा हो।
हम सभी अक्सर सुनते हैं कि स्किन पोर्स ओपन हो गए हैं या स्किन पोर्स बंद हो गए हैं, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं होता। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार एज और बदलते तापमान के कारण पोर्स स्ट्रेच आउट हो जाते हैं, जिसकी वजह से इनमें गंदगी और ऑयल भर जाता है और यह बंद हो जाते हैं।
इस स्थिति से बचने के लिए आपको एक उचित अवधि पर स्किन को एक्सफोलिएट करने की आवश्यकता होती है। अपनी त्वचा को एक उचित देखभाल दें और एक्ने और स्किन सैगिंग को समय से ट्रीट करें। साथ ही अपनी त्वचा को सन प्रोटेक्शन देना न भूलें।
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