समय के साथ पैरों पर गंदगी और डेड स्किन जमा होने लगती है। इसे साफ़ करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। इन दिनों पैर की सफाई के लिए फिश पेडीक्योर भी प्रयोग में लाया जाता है। फिश पेडिक्योर का उद्देश्य हार्ड डेड स्किन हटाकर पैर की मुलायम त्वचा देना है। यह ट्रीटमेंट जहां कराया जाता है, फिश स्पा ट्रीटमेंट (Fish Spa Treatment) या इचिथियोथेरेपी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें पेडीक्योर के दौरान पैरों को पानी के एक बेसिन में डाला जाता है। इसमें छोटी या गर्रा रूफा तैर रही होती है। यह मछली व्यक्ति के पैरों की मृत त्वचा खा जाती (Fish eat Dead Skin) है। आइये जानते हैं फिश पेडीक्योर (Fish Pedicure) के बारे में सब कुछ।
डर्माकेयर की ओनर और डर्मेटोलोजिस्ट डॉ. कशिश कालरा बताती हैं, ‘फिश पेडीक्योर के दौरान सबसे पहले पैरों को गर्म पानी से धोया जाता है। इसके बाद जी रूफ़ा मछली (Garra rufa or Doctor Fish) से भरे पानी के एक बेसिन या टब में पैर को डुबोया जाता है। ये मछली पैर की एड़ी, तलवों और पैर की उंगलियों से मृत त्वचा (Dead Skin) को कुतरने लगती हैं। 10-15 मिनट बाद पैरों को टैंक से हटा दिया जाता है। इसके बाद पैर के नाखूनों को ट्रिम या फाइल किया जा सकता है।’
डॉ. कशिश के अनुसार, पारंपरिक पेडीक्योर की तरह फिश पेडीक्योर पैरों को एक्सफोलिएट (Fish Pedicure for Exfoliation) करता है। यह कॉलस को कम (Fish Pedicure for Callus) कर सकता है। इससे त्वचा मुलायम हो सकती है। पैर सुंदर दिख सकते हैं। जी. रूफ़ा सोरायसिस ((Fish Pedicure for Psoriasis) जैसी स्किन बीमारी के इलाज में भी मदद कर सकता है।
जी रूफा मछली के दांत नहीं होते हैं। इसलिए उनके कुतरने से आमतौर पर रक्तस्राव नहीं होता है। फिश पेडिक्योर में कभी कभी जी रूफा की बजाय साइप्रिनियन मैक्रोस्टोमस मछली का भी प्रयोग किया जाता है। इन मछलियों के दांत भी होते हैं। ये मृत त्वचा के साथ स्किन को टीयर भी कर सकते हैं। ये रक्तस्राव का कारण बन सकते हैं।
कुएरियस जर्नल के अध्ययन के अनुसार, फिश पेडिक्योर में ज़ूनोटिक रोग फैलाने की क्षमता है। ये ऐसे संक्रमण हैं, जो पशुओं में उत्पन्न होते हैं और फिर मनुष्यों में फैल जाते हैं। हालांकि संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता है। एरोमोनास वेरोनी, एरोमोनस हाइड्रोफिला, माइकोबैक्टीरियम मैरिनम जैसे जी रूफा फिश से संक्रमण हो सकता है। पेडीक्योर के बीच बेसिन को ठीक से साफ करना चुनौतीपूर्ण है। ऐसा करने से मछली को नुकसान पहुंचने की संभावना बनी रहती है। संक्रमण के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह या कोई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है।
भारत में बड़ी संख्या में फिश पेडीक्योर स्पा हैं, जहां इस विधि से डेड स्किन ट्रीट की जाती है। कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा,मैसाचुसेट्स न्यूयॉर्क जैसे अमेरिका के कई राज्यों में यह प्रतिबंधित है। यूरोप के कुछ देशों और कनाडा के कुछ राज्यों में इसका प्रयोग अवैध माना जाता है। यहां यह माना जाता है कि पेडीक्योर के दौरान मछलियां विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आ सकती हैं। इन्हें बीमारी हो सकती है। जी रूफा सर्वाहारी हैं। ये एल्गी और फंगस भी खाती हैं।
पैरों को गर्म पानी के टब में भिगो कर उन्हें प्यूमिस स्टोन से साफ किया जा सकता है।
पैरों पर एक्सफोलिएटिंग क्रीम लगा कर रात भर मोज़े पहनकर सोया जा सकता है। सुबह डेड स्किन साफ़ मिलेंगे।
इलेक्ट्रिक ड्राई स्किन और कैलस रिमूवर का उपयोग कर भी पैरों की सफाई की जा सकती है।
फुट पील्स का प्रयोग जिसमें पैरों से मृत त्वचा को हटाने के लिए एसिड का उपयोग किया जाता है।
पोडियाट्रिस्ट से ट्रीटमेंट लिया जा सकता है जो विशेष उपकरणों से डेड और हार्ड स्किन को हटा सकता है।
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