आपने देखा होगा जब न्यूड फोटो शूट होते हैं या सेलेब्रिटीज बेबी बम के साथ फोटो शूट करवाती हैं तो उनकी बॉडी एक्स्ट्रा शाइन कर रही होती है। यह असल में बॉडी पॉलिशिंग की वजह से होता है। अब सेलेब्रिटीज ही नहीं, बल्कि अन्य महिलाएं भी विशेष अवसरों पर त्वचा को शाइन देने के लिए बॉडी पॉलीशिंग करवाती हैं। कैसे की जाती है बॉडी पॉलीशिंग (skin polishing treatment) और क्या यह सभी के लिए सेफ है? इन सभी प्रश्नों के जवाब ढूंढने के लिए हेल्थ शॉट्स आपके लिए यहां है।
नई मां और गर्भवती महिलाएं भी क्या इसे आजमा सकती हैं? इस बारे में अधिक जानने के लिए हमने क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बैंगलोर, बेलंदूर की सलाहकार प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अरुणा कुमारी से बात की।
स्किन पॉलिशिंग एक प्रोफेशनल ट्रीटमेंट है जो आपकी त्वचा को गहराई से एक्सफोलिएट करती है। मृत त्वचा कोशिका निर्माण को हटाती है और नीचे की चिकनी त्वचा को बाहर निकालती है। इस ट्रीटमेंट में आपकी त्वचा को रसायनों से पॉलिश किया जाता है। यह प्रक्रिया हाइपरपिग्मेंटेशन, उम्र के धब्बे, फोटो-एजिंग के लक्षण और आंखों के आसपास क्रो फीट के इलाज में प्रभावी है। सभी प्रकार की त्वचा के लिए यह उपयुक्त है। त्वचा की पॉलिशिंग अंदर से सुस्त त्वचा में सुधार करने में मदद करती है।
क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बैंगलोर, बेलंदूर की सलाहकार प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ अरुणा कुमारी बताती हैं कि इसे माइक्रोडर्माब्रेशन भी कहा जाता है। यह फाइन लाइन्स, एज स्पॉट्स, एक्ने स्कैनिंग या सन डैमेज, हाइपरपिग्मेंटेशन और ब्लैकहेड्स को दूर करने में मदद करती है।
जिस क्षेत्र का इलाज किया जा रहा है, उसके आधार पर स्किन पॉलिशिंग के एक सेशन में लगभग 45 मिनट से एक घंटे तक का समय लगता है। ये चार से बारह सेशन के बीच होते हैं। प्रत्येक सत्र के बीच दो से तीन सप्ताह का अंतराल होता है।
हां, स्किन पॉलिशिंग सभी प्रकार की त्वचा के लिए उपयुक्त है। संवेदनशील त्वचा के लिए, सुनिश्चित करें कि आप किसी भी जलन से बचने के लिए उपचार के बाद के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। साथ ही, किसी अनुभवी व्यक्ति से ही ये कारवाएं।
जब एक लाइसेंस प्राप्त त्वचा विशेषज्ञ या एस्थेटिशियन की देखरेख में किया जाता है, तो स्किन पॉलिशिंग का कोई साइड इफैक्ट नहीं होता है। आप त्वचा पर थोड़ी रेडनेस का अनुभव कर सकती हैं। यह किसी भी स्किन ट्रीटमेंट के लिए सामान्य है। संवेदनशील त्वचा वाली महिलाओं के लिए स्किन पॉलिशिंग के कुछ प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए इसे कराने से पहले त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें।
डॉ अरुणा कहती हैं कि ”गर्भावस्था के दौरान माइक्रोडर्माब्रेशन सुरक्षित है। मगर कुछ सावधानियां बरती जानी चाहिए क्योंकि गर्भावस्था में त्वचा में रक्त का प्रवाह वाहिकाओं के फैलाव के कारण बढ़ जाता है। इसलिए रक्त के प्रवाह में वृद्धि से त्वचा निखरी हुई दिख सकती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां रक्त वाहिकाएं अधिक होती हैं जैसे चेहरे पर। इसे ही प्रेगनेंसी ग्लो कहा जाता है।”
इसी कारण त्वचा बहुत संवेदनशील होती है इसलिए माइक्रोडर्माब्रेशन के अंत में केमिकल पील से बचना चाहिए क्योंकि यह प्रेगनेसी में सेफ नहीं हैं। इस प्रक्रिया को करने से पहले इलाज करने वाले प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे अच्छा है।
डॉ अरुणा बताती हैं ”यदि अच्छे टूल्स का उपयोग नहीं किया जाता है, तो यह प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसके बाद दाग-धब्बे, खुजली, जलन, सूखापन या ब्रेकआउट की समस्या देखी जा सकती है।”
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