आपने कई बार लोगों की त्वचा पर सफेद रंग के धब्बे (white patches on skin) देखे होंगे इस स्थिति को विटिलिगो कहते हैं। सफेद धब्बे आमतौर पर हाथ, बाजू, पैर और त्वचा पर दिखाई देते हैं। विश्व में लगभग 1% आबादी इस समस्या से पीड़ित है। इस स्थिति में त्वचा अपनी असल रंगत से हल्की या सफेद दिखाई देने लगती है। इसके कई कारण होते हैं। लोगों के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि यह हानिकारक होते हैं या नहीं?
स्किन कैंसर अवेयरनेस मंथ में आज हेल्थ शॉट्स के साथ विटिलिगो यानी कि सफेद दाग पर चर्चा करेंगे (white patches on skin)। सबसे पहले जानेंगे यह कितना खतरनाक होता है फिर जानेंगे इसके कुछ मुख्य कारण।
1. ऑटोइम्यून कंडीशन – अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार विटिलिगो एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इस प्रकार की समस्या तब उत्पन्न होती है जब आपका इम्यून सिस्टम आपके खुद के शरीर पर अटैक करता है। विटिलिगो की स्थिति में इम्यून सिस्टम मेलानोसाइट नामक सेल्स को अटैक करते हैं यह सेल्स पिग्मेंट बनाते हैं।
2. जेनेटिक बदलाव – जेनेटिक म्यूटेशन और बॉडी डीएनए में होने वाले बदलाव मेलानोसाइट्स फंक्शन को प्रभावित करते हैं। हमारे शरीर में ऐसे 30 जीन्स होते हैं जो विटिलिगो के खतरे को बढ़ा देते हैं।
3. स्ट्रेस – इमोशनल और फिजिकल स्ट्रेस खासकर किसी प्रकार की चोट विटिलिगो के खतरे को बढ़ा देती है।
4. एनवायरमेंटल ट्रिगर – अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन और टॉक्सिक केमिकल्स के संपर्क में अधिक समय तक रहने के कारण मेलानोसाइट सेल्स फंक्शन पर असर पड़ता है, जिसकी वजह से विटिलिगो की स्थिति उत्तपन होती है।
नेशनल हेल्थ सर्विस इंग्लैंड द्वारा प्रकाशित स्टडी के अनुसार विटिलिगो की स्थिति यानी कि त्वचा पर सफेद धब्बे नजर आना तब शुरू होते हैं, जब मेलानिन प्रोड्यूस करने वाले सेल्स मर जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं। यह सभी प्रकार की त्वचा वाले व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, डार्क स्किन के लोगों में यह स्पष्ट रूप से नजर आता है।
इस स्थिति में आपकी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता न ही ये स्किन कैंसर का कोई प्रकार है। यह एक सामान्य समस्या है जो आपके शरीर पर नजर आती है और आप इसको लेकर चिंतित हो सकती हैं। क्योंकि यह त्वचा पर अच्छी नहीं लगती।
विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य जिंदगी जी सकता है। इसमें किसी प्रकार के शारीरिक समस्याओं का खतरा नहीं होता, न ही यह लाइफ एक्सपेक्टेंसी को प्रभावित करता है।
1. जनरलाइज – यह विटिलिगो का सबसे आम प्रकार है जिसमें शरीर के तमाम अंगों पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे नजर आना शुरू हो जाते हैं।
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कस्टमाइज़ करें2. सेगमेंटल – इस स्थिति में हाथ, त्वचा या शरीर की किसी भी एक अंग पर सफेद धब्बे बनना शुरू हो जाते हैं।
3. म्यूकोसल – इस स्थिति में मुहं या फिर इंटिमेट एरिया के म्यूकस मेंब्रेन प्रभावित होते हैं।
4. फोकल – यह विटिलिगो का एक दुर्लभ प्रकार है, जहां एक छोटे से क्षेत्र में धब्बे विकसित होते हैं और लंबे समय तक इनके आकार में किसी तरह का बदलाव नहीं दिखता।
5. ट्राईकॉम – त्वचा पर सबसे पहले एक सफेद रंग का सेंटर बनता है फिर इसके आसपास के त्वचा की रंगत हल्की होने लगती है।
6. यूनिवर्सल – यह विटिलिगो का एक दुर्लभ प्रकार है जिसमें लगभग 80% त्वचा प्रभावित होती है और इन पर सफेद धब्बे नजर आने लगते हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार सफेद धब्बे किसी भी प्रकार की त्वचा एवं रंगत वाले व्यक्ति को हो सकते हैं। 50% लोगों को यह समस्या 20 की उम्र के बाद होती है, परंतु 50% को बचपन में ही विटिलिगो प्रभावित कर देता है।
इसके अलावा यदि आपके किसी ब्लड रिलेटिव को विटिलिगो की समस्या है तो आप में भी इसका खतरा बना रहता है। इसके अलावा यदि आपके ब्लड रिलेटिव को किसी प्रकार का ऑटोइम्यून डिजीज है, तो भी आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। यदि आपको मेलानोमा (त्वचा के कैंसर का एक प्रकार) है तो आप में सफेद धब्बे होने का खतरा बना रहता है।
मेडिकेशन, लाइट थेरेपी, डिपिगमेंटेशन थेरेपी और सर्जरी की मदद से विटिलिगो को ट्रीट किया जाता है। यदि आपको इस स्थिति में किसी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन नजर नहीं आ रहे हैं तो यह पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसे ठीक कराना चाहती है या नहीं। ज्यादातर लोग कॉस्मेटिक कारणों से इसे ट्रीट करवाते हैं।
हालांकि, इस स्थिति में त्वचा सेंसिटिव हो जाती है। वहीं सूरज की किरणें और अन्य छोटी छोटी चीजें इसे अधिक बढ़ावा दे सकती हैं। इसलिए बाहर निकलने से पहले अपनी त्वचा को पूरी तरह कवर करना न भूलें।
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