आमतौर पर देखा जाता है कि अगर माता-पिता में से किसी एक के बाल घुंघराले हों, तो बच्चों के बालों का टैक्सचर उसी से प्रभावित नज़र आने लगता है। इसके अलावा अगर आपके बाल लगातार झड़ रहे हैं, तो उसका कनेक्शन भी जीन से ही होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के रिसर्च के मुताबिक एण्ड्रोजन रिसेप्टर प्रोटीन जीन जेनेटिक जीन को कहा जाता है। इसकी मदद से बालों को प्रोटीन की प्राप्ति होती है। एण्ड्रोजन हार्मोन की मदद से टेस्टोस्टेरोन पूरे शरीर में सर्कुलेट होता है। इस पर बालों के टैक्सचर से लेकर वॉल्यूम तक सब कुछ निर्भर करता है। अनुवांशिकी के चलते जहां कुछ लोगों में 20 साल की उम्र से बाल झड़ने की प्रक्रिया होने लगती है, तो कुछ महिलाएं मेनोपॉज के समय इस समस्या से होकर गुज़रती हैं। जानते हैं जीन हेयरलॉस से लेकर हेयरग्रोथ को कैसे प्रभावित करती है ( genes effect on hair growth)।
इस बारे में डर्माटोलॉजिस्ट डॉ अकांक्षा संघवी का कहना है अर्ली हेयरलॉस को दवाओं के ज़रिए नियंत्रित किया जा सकता है। इससे एण्ड्रोजन को ब्लॉक करने वाली क्रिया को रोका जाता है। ये दवाएं बालों के रोम के धीरे.धीरे पतले होने और छोटे होने को नियंत्रित करने और गंजेपन को रोकने में मदद कर सकती हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार महिलाएं अक्सर 40 से 50 की उम्र में पहुंचकर क्राउन एरिया से हेयरलॉस की समस्या से जूझती है। अगर माता पिता दोनों की जीन बच्चों में पहुंचती है, जो उससे पैटर्न हेयरलॉस और एंड्रोजेनिक एलोपीसिया कहा जाता है। इससये हेयर फॉलिकल्स प्रभावित होते हैं और वो धीरे धीरे पतले होने लगते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार हेयर ग्रोथ पर जेनेटिकल प्रभाव देखने को मिलता है। बालों के वॉल्यूम से लेकर लंबाई, रंग और बनावट तक हर चीज आनुवांशिक होती है। तीन ऐसे हेरिडिटी डिसऑर्डर होते हैं, जो बालों की ग्रोथ को प्रभावित करते हैं।
डिस्मोर्फिक सिंड्रोम
मॉडिफायर जीन एबनॉर्मेलिटीज
सिंगल मेजर जीन एबनॉर्मेलिटीज
रिसर्च के अनुसार जीन शरीर के हर अंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नोज़, जॉलाइन, चेहरे की ऊंचाई, हड्डी की बनावट और स्किन टोन। शोध के मुताबिक जेनेटिक फेकटर्स बालों के रंग से लेकर, हेयर फॉलिकल्स के टैक्सचर और आकार तक सभी कुछ सामान्य होता है। इसके अलावा बालों की लंबाई जहां कुछ हद तक जेनेटिक होती है, तो कुछ प्रभाव हेयर केयर हैबिट्स से भी नज़र आने लगता है।
आहार में प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इससे बालों को मज़बूती मिलती है और टैक्सचर भी इंप्रूव होता है। हेयर फॉलिकल्स को मज़बूती मिलने से बाल झड़ने की समस्या को हल किया जा सकता है। इसके लिए डाइट में अंडा, मछली, मांस, पनीर और टोफू को एड करें।
दिन की शुरूआत एक्सरसाइज़ से करें और तनाव मुक्त रहें। इसके अलावा नियमित खानपान और पूरी नींद लें। इससे ओवरऑल हेल्थ के साथ साथ हेयर हेल्थ को भी फायदा मिलेगा।
बालों की जड़ों में नेचुरल ऑयल लगाएं। इससे बालों का रूखापन दूर होने लगता है और बालों का वॉल्यूम बढ़ता है। साथ ही टूटकर झड़ने वाले बालों की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
हेयर कलरिंग से लेकर हीटिंग टूल के इस्तेमाल तक हर प्रकार का ट्रीटमेंट बालों को नुकसान पहुंचाने लगता है। बालों को हेल्दी बनाए रखने के लिए नेचुरल लुक को मेंटेने करें।
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