गर्मी हो या सर्दी यहां तक कि बरसात के मौसम में जब बादल छाए होते हैं तब भी आपकी त्वचा को सन प्रोटेक्शन की जरूरत होती है। सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव त्वचा पर कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है। सनलाइट की युवी किरणें त्वचा पर टैनिंग, और सरबर्न (sunburn) का कारण बनने के साथ ही आपकी स्किन बैरियर को भी नुकसान पहुंचाती हैं, वहीं स्किन कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी के खतरे को बढ़ा देती हैं। यदि आप इन सभी समस्याओं से दूर रहना चाहती हैं, तो त्वचा को सन प्रोटेक्शन देना जरूरी है।
सन प्रोटेक्शन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है त्वचा पर सनस्क्रीन लगाना। पर बहुत से लोगों के बीच सनस्क्रीन को लेकर कई सारी अवधारणाएं हैं और उन्हें इससे जुड़ी सही जानकारी नहीं है (Sunscreen myths)। इसलिए वे असल में इसे सन प्रोटेक्शन की तरह इस्तेमाल नहीं कर पाते। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको बताएंगे सनस्क्रीन को सन प्रोटेक्शन की तरह इस्तेमाल करने से जुड़ी कुछ जरूरी बातें (Sunscreen myths)।
सूर्य की हानिकारक (यूवी) किरणों के संपर्क में आने से त्वचा पर टैनिंग हो जाती है, जो त्वचा में मेलेनिन उत्पादन को उत्तेजित करती हैं। यह अपने आप में स्किन डैमेज का एक संकेत है। सनस्क्रीन, में यूवी किरणों को रोकने और उन्हें अवशोषित करने वाले फिल्टर होते हैं, जो सनबर्न के जोखिम को कम करने में मदद करता है। इसलिए, सनस्क्रीन का उपयोग टैनिंग को पूरी तरह से नहीं रोकता है, बल्कि टैनिंग की संभावना को कम करता है। वहीं आपके लिए हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क को कम करके हुए, उन्हें सुरक्षित बनाता है।
अलग-अलग SPF स्तर वाले सभी सनस्क्रीन सही तरीके से उपयोग किए जाने पर प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन अलग-अलग स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। हाई सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF) वाला सनस्क्रीन कम SPF वाले सनस्क्रीन की तुलना में UVB किरणों (त्वचा के जलने के लिए जिम्मेदार) से अधिक सुरक्षा प्रदान करता है।
एसपीएफ 50 युक्त क्रीम यूवी किरणों के खिलाफ थोड़ी बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है, जो लगभग 98% यूवीबी किरणों को रोकती हैं, जबकि एसपीएफ़ 30 वाले प्रोडक्ट लगभग 97% सनलाइट ब्लॉक कर सकते बहन।को रोकता है।
एक उच्च एसपीएफ़ uv रेंज के खिलाफ अधिक सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह लंबे समय तक हो। सभी सनस्क्रीन, चाहे उनका एसपीएफ़ कुछ भी हो, समय के साथ सूरज, पानी, पसीने, कपड़े और तौलियों के संपर्क में आने के कारण खराब हो जाती है। दूसरे शब्दों में, एसपीएफ़ 30 सनस्क्रीन का मतलब यह नहीं है कि आप बिना किसी नुकसान के यानी कि सनबर्न के धूप में 30 मिनट बिता सकती हैं।
इसलिए अगर आप स्विमिंग कर रही हैं, या आपको बहुत अधिक पसीना आ रहा है, तो हर दो घंटे पर या उससे अधिक बार सनस्क्रीन लगाना ज़रूरी है, भले ही आप वाटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रही हों।
हालांकि, यह सच है कि हमारे शरीर को विटामिन डी को संश्लेषित करने के लिए UVB किरणों की आवश्यकता होती है, लेकिन सप्ताह में लगभग 3 बार। 10 से 15 मिनट से अधिक समय तक मध्यम धूप में रहने से शरीर अपने लिए आवश्यक विटामिन डी की मात्रा अवशोषित कर लेता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन की माने तो लंबे समय तक धूप में रहने से विटामिन डी का स्तर सामान्य से अधिक नहीं बढ़ जाता है, लेकिन इससे त्वचा कैंसर का खतरा जरूर बढ़ जाता है। विटामिन डी की कमी होने पर, इसे सप्लीमेंट या मछली जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
सभी प्रकार की त्वचा को, चाहे त्वचा का रंग कुछ भी हो, धूप से बचाव की आवश्यकता होती है। सूरज की हानिकारक किरणें असल में त्वचा को नुकसान पहुंचाती है, न की त्वचा की रंगत को। हालांकि, गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों में मेलेनिन अधिक होता है, जो UV किरणों के विरुद्ध प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन यह सन डैमेज को पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सन प्रोटेक्शन इस्तेमाल न किया जाए तो गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को भी सनबर्न हो सकता है, और सन डैमेज से जुड़ी अन्य समस्याएं, जैसे कि समय से पहले बुढ़ापा, काले धब्बे, सेल डैमेज और स्किन कैंसर का जोखिम।
सन डैमेज युवी किरणों के कारण होती है, तापमान के कारण नहीं। इसका मतलब है कि जब सूरज नहीं निकलता है, तब भी वे आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। वास्तव में, यूवी विकिरण बादलों में प्रवेश करती हैं, और उनसे हुए रिफ्लेक्शन के कारण वे अधिक इंटेंसिटी के साथ आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए सचेत रहें और गर्मी, सर्दी, बारिश हर मौसम अपनी त्वचा पर पर्याप्त सनस्क्रीन जरूर अप्लाई करें।
यदि आप लंबे समय तक सूरज के हानिकारक किरणों के संपर्क में रहती हैं और सनस्क्रीन अप्लाई के करने के बाद बेफिक्र हो जाती हैं, तो आपको सचेत होने की आवश्यकता है। सनस्क्रीन के बाद भी आपको स्कार्फ या हैट की मदद से अपनी त्वचा को कवर करना चाहिए, ताकि सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव सीधे आपकी त्वचा पर न पड़े। ऐसे तो वे वातावरण में मौजूद है, और आपकी त्वचा को प्रभावित कर रही होती हैं, परंतु इस प्रकार आप इन्हें सीधे अपनी स्किन के संपर्क में आने से रोक सकती हैं।
यह भी पढ़ें : पसीना, डस्ट एवं इंप्योरिटीज को क्लीन करना है तो सावधानी से चुनें अपना शैंपू, ये विकल्प हो सकते हैं मददगार
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।