समर सीजन यानि चिलचिलाती धूप और हानिकारक युवी रेज का मौसम। जहां बात सूरज की किरणों की आती है वहां सनस्क्रीन (sunscreen) कितनी महत्वपूर्ण है, यह तो आप सभी जानती होंगी। हालांकि, सर्दी हो या गर्मी सूरज की किरणों (sun rays) के संपर्क में आने से पहले अपनी त्वचा पर सनस्क्रीन अप्लाई करना अनिवार्य है। पर कभी-कभी ऐसा होता है कि लगातार सनस्क्रीन अप्लाई करने के बाद भी आपकी स्किन टैन होने लगती है। तो उसके लिए सनस्क्रीन संबंधी गलतियां (common sunscreen mistakes) जिम्मेदार हो सकती हैं।
सनस्क्रीन स्किप करना आपकी त्वचा के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। सूरज की हानिकारक किरणें स्किन सेल्स को डैमेज कर देती हैं जिसके कारण त्वचा से जुड़ी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर लगातार इन हानिकारक किरणों के संपर्क में रहा जाए तो स्किन कैंसर का भी खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए इसे केवल त्वचा पर अप्लाई करना ही काफी नहीं है, बल्कि इसे सही तरीके और सही समय पर लगाना जरूरी है। कई बार हम महंगे से महंगा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं, परन्तु इसे अप्लाई कैसे करना है इसकी जानकारी का आभाव होने से इसके उचित लाभों से वंचित रह जाते हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार आमतौर पर लोग सनस्क्रीन के रेकमेंडेड अमाउंट की तुलना में केवल 20 से 25 प्रतिशत सनस्क्रीन ही अप्लाई करते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि स्किन का जो हिस्सा कपड़े से कवर नहीं हो रहा उस पर पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन लगाकर एक प्रोटेक्शन लेयर तैयार करें।
इसे बाहर जाने के 15 मिनट पहले ही त्वचा पर अप्लाई कर लें। साथ ही यदि आप बाहर खुले में हैं और आपको पसीना आ रहा है, तो हर 2 घंटे पर अपनी स्किन पर सनस्क्रीन अप्लाई करना न भूलें।
आमतौर पर धूप न होने पर और बारिश के मौसम में लोग सनस्क्रीन को अवॉयड कर देते हैं। ऐसे में अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव सालों तक बना रहता है तो यदि मौसम क्लॉउडी है तो भी लगभग 80 प्रतिशत तक सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव वातावरण में बना रहता है। यदि ऐसे मौसम में कहीं बहार जा रही हैं, तो नियमित दिनों की तरह पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन लगाना न भूलें।
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आमतौर पर ज्यादातर सनस्क्रीन सूरज की किरणों से प्रोटेक्शन देती हैं परन्तु ये हानिकारक किरणें स्किन कैंसर और समय से पहले एजिंग का कारण बन सकती हैं। आपको जानकारी होनी चाहिए की सभी सनस्क्रीन इनसे बचाव नहीं कर पाती हैं।
केवल कुछ सनस्क्रीन इस परीक्षण को पास करते हैं और उन्हें ‘ब्रॉड-स्पेक्ट्रम’ के रूप में लेबल किया जाता है। वहीं हमेशा सनस्क्रीन खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सनस्क्रीन कम से कम SPF30 या उससे अधिक हो। एसपीएफ़ संख्या जितनी अधिक होगी, यूवीबी किरणों से त्वचा को उतनी बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
स्किन कैंसर फाउंडेशन के अनुसार त्वचा पर सनस्क्रीन अप्लाई करते वक़्त यदि आप इसे एक सामान्य रूप से त्वचा पर सभी और नहीं मिलाती हैं, तो आपको इसका उचित लाभ नहीं मिलता। इसे हल्के हांथों से त्वचा पर सभी और अच्छी तरह मिलाएं।
कई बार लोग स्प्रे का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं परंतु स्प्रे के इस्तेमाल से पता नहीं लगता की स्किन का कौन सा एरिया खली रह गया है। यदि स्प्रे का इस्तेमाल कर रही हैं, तो अधिक ध्यान के साथ इसे अप्लाई करें।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार यदि आप अपने दिन का एक लंबा समय बाहर व्यतीत कर रही हैं, तो कम से कम 2 घंटे पर एक बार अपने सनस्क्रीन को दोबारा से जरूर लगाएं। खासकर यदि आप स्विमिंग करती हैं तो इसे अप्लाई करना निवारय है।
स्विमिंग के लिए वॉटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन उपलब्ध होते हैं, परन्तु यह अपने एसपीएफ को केवल 80 मिनट तक ही बनाये रख सकते हैं। इसके साथ ही स्किन पर बार-बार सनस्क्रीन लगाने से यह त्वचा पर सभी और अच्छे से लग जाती है।
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