कोविड नाखून : आपके नाखून बता सकते हैं कि आपको कोविड -19 है या नहीं

बुखार और खांसी को कोविड -19 का सबसे सामान्य लक्षण माना जा रहा है। पर अब आपके नाखून भी बता सकते हैं कि आपको वायरल संक्रमण है या नहीं।
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बड़े नाखुनो से होने वाले साइड इफेक्ट्स। चित्र-शटरस्टॉ।
Updated On: 17 Oct 2023, 10:24 am IST
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नाखून भी बाकी त्वचा की तरह, कोविड -19 की जानकारी आपको दे सकते हैं। जैसे त्वचा और अन्य लक्षणों से मधुमेह जैसी बीमारियों की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है। कुछ अध्ययनों में नाखून में बदलाव आना भी कोविड-19 के खतरे का संकेत है।

जी हां, आपके नाखून बड़े पैमाने पर कोविड -19 संक्रमण सहित कहीं अन्य बीमारियों के बारे में आपके चिकित्सकों के लिए एक अलार्म के रूप में काम कर सकते हैं।

पहचानिए वे संकेत जिससे आपको पता चलेगा कि आपको कोविड है या नहीं

कोविड संक्रमण वाले रोगियों में नाखूनों में परिवर्तन को सटीक तरह से समझा नहीं गया है। नाखून में लाल आधा-चांद का चिन्ह, जो नाखून के सफेद अर्धचंद्र के अंतिम मार्जिन को घेरता है, वो “माइक्रोवैस्कुलर चोट” या कमजोर इम्युनिटी को दिखाता है।

नाखूनों की ये स्थिति SARS COV-19 में होती है और इसे अक्सर रोग की शुरुआत में देखा जाता है। ये लाल पट्टी काफी समय तक बनी रहती है।

नाखून प्लेट में ब्यू लाइन कोविड -19 का एक संकेत हो सकता है और ये नाखून के विकास में अस्थायी रुकावट के कारण भी हो सकता है।

आपके नाखूनों का रंग आपकी सेहत के संकेत देता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
आपके नाखूनों का रंग आपकी सेहत के संकेत देता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

अंत में, नारंगी नाखून के घावों के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है, लेकिन इसका आकार कोविड -19 जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है।

कोविड -19 में नाखून गिर भी सकते है

अधिक गंभीर मामलों में, नाखून की ग्रोथ रुक जाती है नाखून की प्लेट उंगलियों से अलग हो जाती है। जिससे नाखूनों के गिरने का खतरा बना रहता है, जिसे ओनिकोमाडेसिस भी कहा जाता है।

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टैनिंग से बचने का आपका विश्वसनीय तरीका क्या है?

ये परिवर्तन अक्सर संक्रमण, गंभीर बीमारियां, दवाएं या ऑटोइम्यून रोग से होता है। ये बदलाव बीमारी के दौरान नहीं देखा जा सकता है, लेकिन ये परिवर्तन बीमारी की गंभीरता और शरीर से गुजरने वाले तनाव की ओर इशारा करता है। इस बीमारी में आपको काफी तनाव होता है, जो नाखून चक्र को प्रभावित करता है। यह बीमारी के लगभग एक या दो महीने बाद तक दिखाई दे सकता है।

इसके अलावा, स्टेरॉयड जैसी दवाओं के उपयोग – विशेष रूप से मधुमेह रोगियों और फंगल संक्रमण के इतिहास वाले रोगियों में – नेल शेडिंग के प्रसार में वृद्धि करता है।

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