गर्मी में आमतौर पर धूम, नमि, धूल और गन्दगी के कारण त्वचा संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं। वहीं यदि इस स्थिति में तमाम ब्यूटी प्रोडक्ट और घरेलू नुस्खों के इस्तेमाल के बाद भी कोई सुधार नजर नहीं आ रहा, तो आपके शरीर में कोलेजन की कमी हो सकती है। धूम्रपान की लत, सूरज की हानिकारक किरणें, हाई शुगर फूड्स और बाहरी प्रदूषण यह सभी कोलेजन के उत्पादन को प्रभावित करती हैं। जिसकी वजह से त्वचा संबंधी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कोलेजन एक प्रकार का नेचुरल प्रोटीन है, जो शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। यह केवल त्वचा को ही नहीं बल्कि बोन, हेयर, मसल्स, टेंडॉन्स और लिगामेंट्स के लिए बिल्डिंग ब्लॉक की तरह काम करता है। इसकी कमी आपको समय से पहले एजिंग का शिकार बना सकती हैं। कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ा सकती हैं। तो आइये जानते हैं ऐसेही आठ खाद्य स्रोत (Collagen boosting foods) जो कोलेजन प्रोडक्शन में आपकी मदद करेंगे और त्वचा को सन प्रोटेक्शन देने के साथ ही समग्र सेहत को बनाये रखने में आपकी मदद करेंगे।
चिकन उन खाद्य पदार्थों में से एक है जिनमें सबसे अधिक मात्रा में कोलेजन पाया जाता है। एक पूरे चिकन में पर्याप्त मात्रा में कनेक्टिव टिश्यू मौजूद होता है, जिससे कोलेजन प्राप्त किया जा सकता है। इसकी ऊतक की संयोजी संरचना के कारण इसे स्टेक रूप में खाने की सलाह दी जाती है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार चिकेन के कार्टिलेज और नेक में पर्याप्त मात्रा में कोलेजन पाया जाता है इसलिए गठिया पीड़ित मरीजों को इसे खाने की सलाह दी जाती है।
मछली को कोलेजन का बेहतरीन स्रोत माना जाता है। खारे और ताजे दोनों ही पानी की मछलियों में अमीनो एसिड की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। एमिनो एसिड शरीर में कोलेजन प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार मछलियों की हड्डी एवं लिगामेंट में कोलेजन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। साथ ही मछली के हेड, आईबॉल और स्कल्स में सबसे ज्यादा कोलेजन मौजूद होता है।
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आंवला को सुपर फूड के रूप में जाना जाता है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार आंवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा मौजूद होती है जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हुए त्वचा की सेहत को बढ़ावा देती हैं। इसके साथ ही यह मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और इम्युनिटी बूस्टर के रूप में काम करता है।
भारत में दूध, दही, पनीर, मख्खन और अन्य डेयरी उत्पादों को लोग काफी ज्यादा पसंद करते हैं। पब मेड सेंट्रल के अनुसार सभी डेयरी प्रोडक्ट में जिंक की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जिंक एक ऐसा मिनिरल है जो शरीर में कोलेजन के उत्पादन को बढ़वा देता है। शरीर में कोलेजन की एक उचित मात्रा बनाये रखने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।
देश के सभी हिस्से में लोग दाल को नियमित डाइट के रूप में लेते हैं। वहीं इसे अलग अलग प्रकार के व्यंजनों को बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। सस्ती और सुलभ होने के अलावा, दाल सुपर हेल्दी होती है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार दाल में कॉपर, मैंगनीज सहित कई आवश्यक पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। कॉपर और मैंगनीज दोनों ही कोलेजन के उत्पादन के लिए आवश्यक एंजाइम को एक्टिव करने में प्रथम भूमिका निभाते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार शरीर में विटामिन सी की कमी कोलेजन के उत्पादन को कम कर देती हैं। इसलिए, शरीर में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होना बहुत जरुरी है। संतरा, अंगूर, नींबू जैसे खट्टे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं। उचित परिणाम के लिए नियमित रूप से इन फलों का सेवन करें।
पब मेड सेंट्रल के अनुसार काजू में जिंक और कॉपर की भरपूर मात्रा पाई जाती है, यह दोनों पोषक तत्व शरीर में कोलेजन बनाने की क्षमता को बढ़ा देते हैं। उचित परिणाम के लिए नियमित रूप से एक मुठ्ठी काजू खाएं।
एग व्हाइट में प्रोलिन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जो कोलेजन उत्पादन के लिए आवश्यक अमीनो एसिड में से एक हैं। ऐसे में नियमित रूप से इसका सेवन करें यह सेहत के लिए अलग-अलग रूपों में फायदेमंद होता है।
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