हाल के वर्षों में जेल मैनीक्योर का ट्रेंड बढ़ा है। इसके कारण नेलपॉलिश जल्दी सूखती है। एक्स्ट्रा ग्लॉसी और लंबे समय तक चलने के कारण इसका उपयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ाने वाली साबित हो सकती है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने अपने हालिया शोध में यह दावा किया है कि जेल मैनीक्योर में उपयोग किए जाने वाले यूवी नेल ड्रायर इंसान के डीएनए को नुकसान (manicure gel effect) पहुंचा सकते हैं। यह इंसान के सेल में परिवर्तन कर सकते हैं।
सैन डिएगो में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया कि नेल ड्रायर में अल्ट्रा वायलेट रेज (UV) का उपयोग जेल को सख्त करने के लिए किया जाता है। यह सेलुलर और जेनेटिक सामग्री को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेष रूप से मानव कोशिकाओं में यह स्थायी परिवर्तन ला सकता है। इससे कैंसर का खतरे बढ़ सकता है। कई शोध और अध्ययन पहले भी बता चुके हैं कि यूवी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह स्किन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
कैंसर पर अनुसंधान के लिए मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ब्रॉडबैंड यूवीए (315-400 एनएम) को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन के रूप में क्लासिफाई करती है। अभी भी यूवीए का प्रयोग कई कॉमरशियल प्रोडक्ट को तैयार करने में किया जाता है। ये टैनिंग बेड और यूवी नेल ड्रायर में प्रयोग किये जाते हैं।
टैनिंग बेड का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जा चुका है। यह साबित हो चुका है कि स्किन कैंसर और अप्रत्यक्ष डीएनए डैमेज के साथ इसका संबंध है। मानव कोशिकाओं पर यूवी नेल पॉलिश ड्रायर द्वारा उत्सर्जित विकिरण के प्रभाव को दिखाने के लिए अब तक कोई स्टडी नहीं की गयी थी।
यूवी नेल लैंप में कई बल्ब होते हैं, जो 340 और 395 एनएम के बीच यूवी वेव लेंथ उत्सर्जित करते हैं। ये वेव नेल पॉलिश फ़ार्मुलों को ठीक करने और सुखाने में मदद करते हैं। इन्हें जैल के रूप में जाना जाता है।
केमिकल प्रक्रिया के कारण यूवी रेज के संपर्क में आने से पहले जेल पॉलिमर ऑलिगोमर्स में बदल जाते हैं। इसके कारण नेल पॉलिश हार्ड हो जाते हैं और लंबे समय तक चलते हैं।
आम तौर पर एक सेशन में नाखून और हाथ दोनों को 10 मिनट तक यूवी नेल ड्रायर से एक्सपोज किया जाता है। नियमित उपयोगकर्ता आमतौर पर हर दो सप्ताह में जेल मैनीक्योर बदलते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंसैन डिएगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने डीएनए डैमेज और कोशिकाओं में म्युटेशन जांचा। इसके लिए यूवी नेल
ड्रायर का मनुष्यों और चूहों से प्राप्त कोशिकाओं का इन विट्रो रेडिएशन किया गया।
प्रयोग में कोशिकाओं को एक, दो या तीन बार रेडिएट किया गया। प्रत्येक एक्सपोज़र की अवधि 0 से 20 मिनट के बीच रही।
सभी प्रयोगों में 20 मिनट के विकिरण के बाद 20-30 प्रतिशत सेल डेड पाए गये। लगातार 20 मिनट के तीन रेडिएशन के कारण 65 -70 प्रतिशत सेल डेड पाए गये।
यह शोध नेचर जर्नल में भी प्रकाशित किया गया। नेल पॉलिश ड्रायर रेडिएशन के बाद होने वाली डीएनए डैमेज और सेल में व्यापक परिवर्तन देखा गया। यूवी नेल पॉलिश ड्रायर के कारण होने वाले कैंसर के खतरों के बारे में मनुष्यों में और अधिक शोध की आवश्यकता है।
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